हिन्दी भाषा भारत देश की एकता का सूत्र
लखनऊ में बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में हिन्दी पखवाड़ा के अंतर्गत एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने हिन्दी की महत्वता पर जोर दिया और मातृभाषा के पुनर्जीवित करने की आवश्यकता बताई।...
लखनऊ, कार्यालय संवाददाता बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में हिन्दी पखवाड़ा के अंतर्गत हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में वक्ताओं ने हिन्दी महत्वता पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि बीबीएयू के पूर्व एग्जीक्यूटिव इंजीनियर डॉ. एस. के. गोयल ने कहा कि आजकल हम हिन्दी भाषा को भूलते जा रहे हैं, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। दूसरी ओर अपनी मातृभाषा को पुनर्जीवित करने के लिए हमें प्रत्येक स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है। मुख्य वक्ता एवं सेंटर ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट लीगल स्टडीज की डायरेक्टर प्रो. प्रीति सक्सेना ने चर्चा के दौरान ने कार्यालय संबंधी गतिविधियों में पत्राचार के विभिन्न तरीकों के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने कार्यालय प्रबंधन के क्षेत्र में हिन्दी भाषा को सम्मिलित करने पर प्रकाश डाला। संस्कृत एवं वैदिक अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रिपुसूदन सिंह ने कहा कि हिंदी भाषा देश की एकता का सूत्र है। पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रचार करने का श्रेय एक मात्र हिंदी भाषा को जाता है। साथ ही तकनीकी सेवाओं का प्रयोग करके आधुनिक रूप से हिन्दी को बढ़ावा दिया जा सकता है। इस मौके पर संध्या दीक्षित, प्रो. शूरा दारापुरी, डॉ. रमेश चंद्र नैलवाल, राम कुमार गुप्ता समेत अन्य शामिल रहे।
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