शाहजहांपुर के विहिप नेता को दुराचार मामले में जमानत
ट्रस्ट विवाद के चलते फर्जी मामले में फंसाने की दलील लखनऊ, विधि संवाददाता। हाईकोर्ट की
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कथित दुराचार के मामले में अभियुक्त शाहजहांपुर के विहिप नेता व व्यवसायी अभिनव ओमर की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया है। न्यायालय ने पाया कि एफआईआर काफी विलम्ब से दर्ज करायी गई और दोनों पक्षों के बीच ट्रस्ट को लेकर विवाद था। इन आधारों पर 8 सितंबर 2024 से जेल में बंद अभिनव ओमर को जमानत पर रिहा करने का आदेश न्यायालय ने दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने पारित किया। अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने दलील दी कि पीड़िता ने कथित दुराचार की पहली घटना 3 नवंबर 2022 की बतायी है, जबकि एफआईआर 15 जुलाई 2024 में दर्ज कराई गई। कहा गया कि इस बीच पीड़िता ने ट्रस्ट के विवाद को लेकर जिलाधिकारी, शाहजहांपुर के समक्ष शिकायत की जिसमें दुराचार की घटना के सम्बंध में कोई बात नहीं की, वहीं जांच के उपरांत सिविल प्रकृति का विवाद होने के आधार पर प्रशासन ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया, इससे खिन्न होकर पीड़िता ने लखनऊ के महिला थाने में झूठे आरोपों में एफआईआर दर्ज करवा दी। वहीं पीड़िता की ओर से अधिवक्ता ईशान बघेल ने जमानत का विरोध करते हुए दलील दी कि अभियुक्त काफी रसूख और पहुंच वाला व्यक्ति है, जिसके जमानत पर रिहा होने पर पीड़िता को खतरा है। यह भी दलील दी गई कि एफआईआर में देरी के सम्बंध में पीड़िता ट्रायल कोर्ट के समक्ष सफाई देगी। न्यायालय ने सभी पक्षों की बहस के उपरांत जमानत याचिका को मंजूर कर लिया।
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