जय गुरुदेव संगत के सत्संग में उमड़ा भक्तों का सैलाब
जय गुरुदेव धर्म प्रचारक और मुख्य उत्तराधिकारी माने जाने वाले रतन दास महाराज को सुनने के लिए गुरुवार को उमरी बेगमगंज स्थित ठाकुरद्वारा के समीप अनुयायियों का सैलाब उमड़ पड़ा। रतनदास महाराज ने शाकाहार...
जय गुरुदेव धर्म प्रचारक और मुख्य उत्तराधिकारी माने जाने वाले रतन दास महाराज को सुनने के लिए गुरुवार को उमरी बेगमगंज स्थित ठाकुरद्वारा के समीप अनुयायियों का सैलाब उमड़ पड़ा।
रतनदास महाराज ने शाकाहार एवं भाईचारे के साथ रहने की सीख दी। कहा कि यहां रहना 100 साल नहीं और तैयारी एक हजार साल की। हम किस दौड़-भाग में जी रहे हैं। खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाना है। इच्छाओं और तृष्णाएं कभी समाप्त नहीं होती। मनुष्य रूप प्रभु को पाने के लिए दिया गया है। अभी समय है, भजन कर अपना काम बना लो। जीते जी प्रभु को पा लो और मनुष्य शरीर पाने का असली मकसद पूरा कर लो।
उन्होंने कहा कि परमात्मा की भक्ति, पूजा, भजन के लिए शाकाहारी और मानवतावादी बनना बहुत जरूरी है। सबसे पहले इंसान बनो, चरित्रवान बनो, मानव धर्म का पालन करो। सबसे प्रेम करो, जरूरतमंदों की निस्वार्थ भाव से सेवा करो। जीवन का सबसे जटिल प्रश्न है कि हम कहां से आए। मरने के बाद कहां जाना है। किस गांव के लिए आए, इसी प्रश्न को हल कर लिया तो जीवन सार्थक हो जाएगा। संत, महात्मा या फकीर, कोई कौम बनाने या मजहब चलाने नहीं आते। उनका काम जाति- पांत, धर्म की सीमा से परे होता है। वे सबके होते हैं, सबकी भलाई करते हैं। यह वक्त धर्म मजहब, जाति-पांत के नाम पर लड़ने-झगड़ने का नहीं। यह इंसानों का काम नहीं, हैवानों का काम है।
उन्होंने कहा चरित्र मानव धर्म की सबसे बड़ी पूंजी है। चरित्र के अभाव में मनुष्य की कोई कीमत नहीं। अच्छे संस्कार कोई डिग्री, डिप्लोमा से नहीं आते हैं। प्रबंधन समिति सदस्य रामचंद्र सिंह बेलसर, अर्जुन जैसवाल, रामदयाल, रामू यादव, शशांक शेखर सिंह, अनिल सिंह, सांवल सिंह, सूरज, जग प्रसाद जायसवाल, राज बक्स सिंह, किशन लाल, मनोज सिंह, पवन कुमार रहे।
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