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डायबिटीज, बीपी वाले लोग ग्लूकोमा को लेकर रहें संजीदा

Lucknow News - ग्लूकोमा, जिसे काला मोतिया भी कहा जाता है, एक गंभीर नेत्र बीमारी है जो आंखों की रोशनी को प्रभावित करती है। 40 वर्ष से ऊपर के लोगों को नियमित आंखों की जांच करवाने की सलाह दी गई है। आईएमए लखनऊ ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊSun, 9 March 2025 07:57 PM
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डायबिटीज, बीपी वाले लोग ग्लूकोमा को लेकर रहें संजीदा

ग्लूकोमा को काला मोतिया या संबलबाई भी कहा जाता है। यह एक गंभीर नेत्र बीमारी है, जो धीरे-धीरे आंखों की रोशनी को प्रभावित करता है। इससे बचाव के लिए 40 साल के ऊपर के सभी लोगों को आंखों की नियमित जांच कराते रहना चाहिए। यह जानकारी आईएमए लखनऊ शाखा के सचिव डॉ. संजय सक्सेना ने दी। आईएमए लखनऊ और ऑप्थल्मोलॉजिस्ट सोसाइटी की ओर से गोमती नगर जनेश्वर मिश्रा पार्क में जागरूकता कार्यक्रम और वॉकथॉन हुआ। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और विधायक डॉ. नीरज बोरा भी मौजूद रहे। इस मौके पर वॉकथॉन का भी आयोजन हुआ। डॉ. संजय सक्सेना ने बताया कि ग्लूकोमा के अधिकतर मामलों में शुरुआती दौर में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। जब तक मरीज को अहसास होता है, तब तक दृष्टि हानि हो चुकी होती है, जो अपरिवर्तनीय होती है। इसलिए समय पर इसकी पहचान और इलाज बेहद जरूरी है। विशेष रूप से जिन्हें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या ग्लूकोमा का पारिवारिक इतिहास उन्हें अधिक संजीदा होने होने की जरूरत है।

डॉ. भारतेंदु अग्रवाल ने बताया अधिकतर लोग जो इसके शिकार है। वह इससे अनजान है। यदि पता न लगे या इलाज न हो तो काला मोतिया से आंख की रोशनी जा सकती है। काला मोतिया का सबसे बड़ा कारण आंखों के अंदरुनी दबाव में वृद्धि है। एक स्वस्थ आख से द्रव्य निकलता है, जिसे एक्चुअस हयूमर कहते है। उसी गति से बाहर निकल जाता है। उच्च दबाव तब होता है जब इसे निकलने वाली प्रणाली में रुकावट आ जाती है। द्रव्य सामान्य गति से बाहर नही निकल पाता। यह बढ़ा हुआ दबाव ऑप्टिक नर्व को धकेलता है, जिससे धीरे-धीरे नुकसान होने लगता और नतीजा दृष्टि कम होने लगती है।

देश में 1.2 करोड़ लोग ग्लूकोमा से पीड़ित

आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. पीके गुप्ता ने बताया इस बीमारी के प्रति अज्ञानता और समय पर पहचान की कमी के कारण अंधत्व के मामलों में वृद्धि हो रही है। देश में करीब 1.2 करोड़ लोग ग्लूकोमा से प्रभावित हैं। यह देश में अंधत्व का तीसरा प्रमुख कारण है, जो मोतियाबिंद और अपवर्तक दोष के बाद आता है। ग्लूकोमा के 40 से 90 फीसदी तक मामले बिना पहचाने रह जाते हैं। कार्यक्रम में आईएमए अध्यक्ष डॉ. सरिता सिंह, डॉ. सुधीर श्रीवास्तव, डॉ. अमित अग्रवाल, डॉ. श्वेता श्रीवास्तव आदि रहे।

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