लाल की जगह करें फ्लाई एश ईंट का प्रयोग: अरुण
Lucknow News - -वन मंत्री ने बैठक में लाल ईंट की जगह अन्य विकल्पों के

लाल ईंट की जगह दूसरे विकल्पों पर फोकस करें। फ्लाई एश से निर्मित ईंटें व अन्य निर्माण सामग्री का प्रयोग करें। खासतौर से सभी सरकारी निर्माण संस्थाओं में लाल ईंट के अतिरिक्त फ्लाई ऐश ईंट के प्रयोग पर विशेष प्राथमिकता दी जाये। इससे टॉप स्वाइल के बचाव के साथ ही मिट्टी खनन को भी नियंत्रित किया जा सकेगा। यह बातें शुक्रवार को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री डा. अरुण कुमार सक्सेना ने बापू भवन में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में दिए।
डा. सक्सेना ने कहा कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से निर्माणकारी गतिविधियों में लाल ईंट के प्रयोग के कारण कुछ प्रमुख समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जैसे कि ईंट को बनाये जाने में ईंधन में फॉसिल फ्यूल (कोयले का प्रयोग) होता है। इससे पार्टिकुलेट मैटेरियल, सल्फर आक्सिडेन्ट्स तथा कार्बन आक्सिडेन्ट्स की समस्या परिवेशीय वायु गुणता में परिलक्षित होती है। उन्होंने कहा कि लाल ईंट के अतिरिक्त फ्लाई ऐश ईंट के प्रयोग के संबंध में भारत सरकार द्वारा वर्ष 1999 तथा वर्ष 2021 में नोटिफिकेशन जारी किए गए हैं। इसी क्रम में पर्यावरण विभाग द्वारा समस्त सरकारी निर्माणकारी संस्थाओं को इस नोटिफिकेशन के अनुपालन के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में चल रही विभिन्न निर्माणकारी परियोजनाओं में यथासंभव अधिकतम रूप से लाल ईंट के विकल्पों का प्रयोग किया जाए। ग्रामीण परियोजनाओं में गलियों, ग्रामीण मार्गों इत्यादि में लाल ईंट के स्थान पर ब्लॉक पेवर्स का प्रयोग किया जाए। बैठक में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष आरपी सिंह ने लाल ईंट के विकल्पों से सभी को अवगत कराया। इसमें मुख्य विकल्प फ्लाई ऐश ब्रिक, कम्प्रेश्ड स्टेब्लाईज्ड अर्थ ब्लॉक (सीएईबी), ऑटोक्लेव्ड एरेटेड कंक्रीट ब्लॉक (एएसी), इण्टरलॉकिंग ब्लॉक्स, हॉलो कंक्रीट ब्लॉक इत्यादि हैं। उन्होंने नोयडा में विभिन्न निर्माणकारी परियोजनाओं में प्रयोग हो रहे विकल्पों के संबंध में फोटोग्राफ के साथ जानकारी दी। बैठक में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसके सिंह, निदेशक पर्यावरण घनश्याम सिंह, विशेष सचिव लोक निर्माण विभाग शेषनाथ, मुख्य अभियंता आवास-विकास परिषद डीबी सिंह आदि मौजूद थे।
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