फ्लिपकार्ट के डिलीवरी ब्वाय की हत्यारोपी पर एनएसए लगा
Lucknow News - - चिनहट में हुई थी सनसनीखेज वारदात, डेढ़ लाख रुपये के मोबाइल लूटकर की गई
फ्लिपकार्ट के डिलीवरी ब्वाय भरत कुमार साहू के मुख्य हत्यारोपित गजानन दुबे पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 (एनएसए) की कार्रवाई की गई है। यह सनसनीखेज हत्याकांड 24 सितंबर को चिनहट के तकरोही मोहल्ले में हुआ था। भरत करीब डेढ़ लाख रुपये कीमत के दो मोबाइल की डिलीवरी देने गजानन के घर गया था। गजानन ने साथी आकाश के साथ मिलकर भरत कुमार को जमकर पीटा था। इसके बाद लैपटॉप चार्जर के तार से गला कसकर उसे मार डाला था। साथी के साथ मिलकर भरत के दोनों मोबाइल समेत बैग में रखा लाखों रुपये का सामान लूट लिया था। इसके बाद बैग में शव भरकर कार में डाला और फिर उसे इंदिरानहर में फेंक दिया था। घटना की जानकारी पर पुलिस और एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमों ने शव की काफी खोजबीन की थी। शव अबतक नहीं मिल सका है। भरत का मोबाइल बंद था। संपर्क न हो पाने पर फ्लिपकार्ट के मैनेजर ने उनके परिवारीजन को सूचना दी। 25 सितंबर को भरत के भाई प्रेम कुमार ने चिनहट थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई थी। तफ्तीश में लगी पुलिस टीम ने 30 सितंबर को मोबाइल की कॉल डिटेल्स और लोकेशन के आधार पर हत्याकांड की जानकारी हुई थी। भरत मूल रूप से अमेठी के जमो सम्भई गांव का रहने वाला था। यहां सतरिख रोड पर पत्नी अखिलेश कुमारी के साथ किराए के मकान में रहता था। उसका भाई निशातगंज में रहता था। अपर पुलिस उपायुक्त पूर्वी पंकज कुमार सिंह के मुताबिक मुख्य आरोपित गजानन और उसका साथी आकाश जेल में है। गजनन के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 (एनएसए) की कार्रवाई की गई है।
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अब 12 महीने तक नहीं हो सकेगी जमानत
पुलिस कमिश्नरेट के संयुक्त निदेशक अभियोजन अवधेश सिंह के मुताबिक अब 12 महीने तक जघन्य हत्याकांड के मुख्य आरोपित गजानन की जमानत नहीं हो सकेगी। उन्होंने बताया कि एनएसए की कार्रवाई दुस्साहसिक हत्या, डकैती अथवा जघन्य अपराध करने वाले ऐसे अपराधी पर की जाती है जिसकी वजह से लोक व्यवस्था छिन्न भिन्न हो जाए। गजानन ने दिन दहाड़े डिलीवरी ब्वाय की हत्या करके लोक व्यवस्था छिन्न भिन्न कर दी थी। इस लिए उसके खिलाफ यह कार्रवाई अति आवश्यक थी। एनएसए की कार्रवाई के बाद उस अपराधी को बिना जमानत के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। इस कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी की रिपोर्ट पर राज्य सरकार अनुमोदन करती है। फिर एडवाइजरी बोर्ड (वरिष्ठ जज की कमेटी) की अध्यक्षता में इस पर विचार और अनुमोदन कर एनएसए की कार्रवाई की जाती है। कार्रवाई उपरांत रिपोर्ट शासन को भेज दी जाती है।
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