झांसी की घटना को लेकर प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों में अलर्ट
झांसी के रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हाल ही में हुए अग्निकांड के बाद सभी मेडिकल कॉलेजों में अग्निशामक इंतजामों की समीक्षा की जाएगी। खासतौर पर आईसीयू और एनआईसीयू में फायर सेफ्टी उपायों पर ध्यान...
-नए सिरे से सभी जगह परखे जाएंगे अग्निशमन संबंधी इन्तजाम -खास तौर से बाल रोग विभाग में फायर सेफ्टी के उपायों की होगी समीक्षा
-दिल्ली के अस्पताल में अग्निकांड के बाद केंद्र ने जारी किए थे राज्यों को निर्देश
-जून में सभी मेडिकल कॉलेजों में कराया गया था फायर सेफ्टी ऑडिट
लखनऊ। विशेष संवाददाता
झांसी के रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नीकू (एनआईसीयू) वार्ड में हुए भीषण अग्निकांड ने सबको हिलाकर रख दिया। इस घटना को लेकर प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों को अलर्ट कर दिया गया है। सभी जगह आग से बचाव के इंतजामों को नये सिरे से परखा जाएगा। खासतौर से आईसीयू और एनआईसीयू को लेकर अग्निशमन संबंधी उपायों की फिर से समीक्षा की जाएगी। इसमें अग्निशमन विभाग का भी सहयोग लिया जाएगा। शासन की ओर से यह निर्देश सभी मेडिकल कॉलेज प्रधानाचार्यों को दिए गए हैं।
इसी साल मई में राजकोट और दिल्ली में हुए दो अग्निकांडों में 16 बच्चे हताहत हुए थे। राजकोट के एक गेम जोन में हुए अग्निकांड में मरने वाले 27 लोगों में 9 बच्चे शामिल थे। जबकि दिल्ली के विवेक विहार स्थित एक निजी अस्पताल में आग से सात नवजात शिशुओं की मृत्यु हो गई थी। इस घटना के बाद जून में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों के लिए फायर सेफ्टी संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसमें ज्वलनशील पदार्थों के सुरक्षित स्टोरेज के साथ ही इलेक्ट्रिक सर्किट की नियमित जांच के निर्देश भी शामिल थे। उसी समय प्रदेश में भी स्वास्थ्य विभाग ने सभी मेडिकल कॉलेजों को फायर सेफ्टी ऑडिट कराने के आदेश दिए थे। फिर मॉक ड्रिल भी कराई गई थी। बावजूद इसके कानपुर की घटना ने सबको झकझोर को रख दिया, जहां 10 नवजात शिशुओं की आग में जलने से मृत्यु हो गई। आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया गया है।
इस घटना को देखते हुए एक बार फिर प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों को सचेत कर दिया गया है। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा का कहना है कि पूर्व में भी सभी मेडिकल कॉलेजों में फायर सेफ्टी ऑडिट कराया गया था। झांसी मेडिकल कॉलेज की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सभी मेडिकल कॉलेजों को निर्देशित किया गया है कि वे एक बार फिर से फायर सेफ्टी से जुड़े इंतजामों को परख लें। खासतौर से आईसीयू और एनआईसीयू को लेकर विशेष सतर्कता बरतने को कहा गया है। इन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत इसलिए है क्योंकि इनका आकार छोटा होता है और पूरे में वायरिंग काफी अधिक होती है। इसके अलावा ऑक्सीजन होता है।
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