नई तकनीकों से कृषि, पर्यावरण और आपदा प्रबंधन में नई संभावनाएं
Lucknow News - एकेटीयू में आयोजित वार्षिक राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में नई दिशाओं का अनावरण किया। विभिन्न सत्रों में कृषि, जल संसाधन, और आपदा प्रबंधन से...
- एकेटीयू में दूसरे दिन विशेषज्ञों व शोधकर्ताओं ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में नई दिशाओं को उजागर किया लखनऊ, संवाददाता।
एकेटीयू में रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर की ओर से इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग और इंडियन सोसाइटी ऑफ जियोमेटिक्स की वार्षिक राष्ट्रीय संगोष्ठी में दूसरे दिन विशेषज्ञों व शोधकर्ताओं ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में नई दिशाओं को उजागर किया।
सत्र की शुरुआत कृषि और मृदा पर केंद्रित शोधों से हुई। इसमें अर्चना वर्मा ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) योजना के तहत आंवला उत्पादन और इसकी लागत प्रभावशीलता पर अपने निष्कर्ष रखे। वहीं चंद्रशेखर यादव ने भू-स्थानिक तकनीकों और मशीन लर्निंग का उपयोग करते हुए उत्तर प्रदेश में केले की खेती के लिए साइट उपयुक्तता विश्लेषण पर जानकारी दी। अंकित कुमार यादव और अमिताभ श्रीवास्तव ने क्रमशः ललितपुर में मृदा नमी गतिशीलता और जौनपुर में बागवानी क्षेत्रों में जल उपलब्धता का मूल्यांकन विषय पर शोध प्रस्तुत किए। श्वेता वर्मा ने कासगंज में मृदा जैविक कार्बन के जरिए मृदा स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र लचीलेपन को बढ़ाने की भूमिका पर अपने अध्ययन को साझा किया। वन और पर्यावरण सत्र में अपर्णा सी ने इंडो-गंगा के मैदानी इलाकों में कार्बन मोनोऑक्साइड स्रोत निर्धारण पर चर्चा की, जबकि सुमित कुमार ने भारत में वनाग्नि की प्रवृत्तियों का विश्लेषण प्रस्तुत किया। गौरव कुमार मिश्रा ने लखनऊ में सड़क किनारे के शहरी विस्तार का मूल्यांकन किया। जबकि दीपक कुमार चौरसिया ने उत्तर प्रदेश के रामसर आर्द्रभूमियों का वर्गीकरण विषय पर अपनी प्रस्तुति दी।
रिमोट सेंसिंग, जीआईएस का इस्तेमाल कर शोध हुए
जल संसाधन और पृथ्वी विज्ञान सत्र में मांसा सोनी ने गोमती नदी बेसिन में जल गुणवत्ता का मूल्यांकन पर चर्चा की। ममता शुक्ला ने पीलीभीत जिले के पूरनपुर ब्लॉक में सतही जल निकायों के विश्लेषण और प्रमोद कुमार ने कठाना नदी में मौसमी प्रवाह के लिए रिमोट सेंसिंग और जीआईएस का उपयोग पर अपने शोध निष्कर्ष साझा किए। आपदा प्रबंधन सत्र में सचिन शुक्ला ने कानपुर में शहरी आवासीय विकास के कारण अतिक्रमण और इसके प्रभाव बताए। सुदीकिन प्रमणिक ने उत्तराखंड में हिम आवरण और हिम पिघलने की गतिशीलता पर अपने निष्कर्ष रखे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।