गूगल की आधारित इलाज से मरीज की जान खतरे में
इलाज से पहले बनाएं मरीज की बनाएं प्रोफाइल लखनऊ, वरिष्ठ संवाददाता। गूगल जानकारी का
गूगल जानकारी का भंडार है। मेडिकल की ढेर सारी जानकारी गूगल पर उपलब्ध है, लेकिन इसका इस्तेमाल मरीज के इलाज पर नहीं किया जा सकता है। यह पुण्डुचेरी की डॉ. महालक्ष्मी वीएन का कहना है। शुक्रवार को एराज मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 15वें राष्ट्रीय स्वास्थ्य व्यवसाय शिक्षा सम्मेलन के दौरान कुलपतियों के सम्मेलन हुआ। डॉ. महालक्ष्मी वीएन ने कहा कि डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की क्लीनिकल क्षमता को बढ़ाना जरूरी है। चिकित्सा संस्थानों में क्लीनिकल ऑडिट होना चाहिए, ताकि यह पता चल सके कि मरीजों की सुरक्षा की दिशा में क्या कदम उठाए जा सकते हैं? गलतियां कहां हो रही हैं? इन गलतियों को सुधार के लिए क्या किया जाए? उन्होंने बताया कि डाक्टरों को प्रैक्टिस करके सीखना चाहिए न की गूगल से। आज गूगल पर बहुत ज्ञान भरा पड़ा है। लेकिन उसे चिकित्सा के क्षेत्र में प्रयोग नहीं किया जा सकता। ऐसा करने से मरीज की जान खतरे में पड़ सकती है। अस्पताल में काम करके सीखना चाहिए। इससे डॉक्टरों की क्षमता में निखार आता है। डॉक्टर वार्ड में जाकर मरीज का इलाज करके ही इलाज का तरीका सीख सकता है। मरीजों की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि अस्पताल में मरीज की प्रोफाइल। मरीज की प्रोफाइल बनाएं। इलाज से पूर्व डॉक्टर को यह जान लेना चाहिए कि मरीज को कोई दवा रिएक्ट तो नहीं करती। यदि ऐसा है कि उस दवा के विकल्प का प्रयोग किया जाए।
इलाज के मानक तय करना जरूरी
डॉ. थॉमस चेको ने कहा कि मरीजों की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए हर अस्पताल को इलाज के मानक तय करने होंगे। राष्ट्रीय स्तर पर मानक बने हुए हैं। उनका पालन करना सुनिश्चित किया जाए। हर मरीज के लिए एक ही प्रकार के मानक नहीं हो सकते। भारतीय मरीजों को ध्यान में रखते हुए इलाज की तकनीक तय करनी होगी। इलाज की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि चिकित्सालय में मानकों का अनुपालन हो सके। कई बार लापरवाही हो जाती है जिससे मरीज की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
चिकित्सा संस्थानों में आपसी तालमेल जरूरी
चिकित्सा संस्थानों में आपसी तालमेल काफी जरूरी है। ताकि हम एक दूसरे के संसाधनों की जानकारी साझा कर सकें। यह काफी मुश्किल है कि कोई एक संस्थान हेल्थकेयर और चिकित्सा शिक्षा के सभी संसाधनों से लैस हो। यह बातें एरा मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अब्बास अली महदी ने कही।
फैकल्टी का विकास जरूरी
कुलपति डॉ. अब्बास अली महदी ने कहा कि किसी भी संस्थान को बेहतर बनाने के लिए फैकल्टी का विकास जरुरी है। मेडिकल क्षेत्र को जो ग्रांट मिलती है वो न्यूनतम होती है। नासिक स्थित महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस की कुलपति डॉ. माधुरी कनितकर ने कहा कि मेडिकल संस्थानों में पढ़ाई के साथ इलाज भी होता है। इसलिए तकनीक व ज्ञान का आदान प्रदान जरूरी है।
एआई की भूमिका बढ़ी
एरा विश्वविद्यालय की उप कुलपति डॉ. फरजाना मेहंदी ने कहा कि हेल्थकेयर और मेडिकल शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की भूमिका बढ़ी है। आने वाले समय में एआई मेडिकल क्षेत्र के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। इससे मेडिकल शिक्षा और सेवा को बेहतर तो बना सकता है, लेकिन यह डॉक्टर का विकल्प नहीं बन सकता है। तकनीक के इस दौर में एआई स्कूल और अस्पताल बन रहे हैं, हमें इस बात पर फोकस करना होगा कि एआई का इस्तेमाल समाज के हित में कैसे किया जा सकता है। कार्यक्रम में डॉ. पायल को एकेडमी आफ हेल्थ प्रोफेशन एजूकेशन एएचपीई का नया अध्यक्ष चुना गया। वर्तमान अध्यक्ष डॉ. चेतना देसाई ने इसकी घोषणा की।
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