जलकल व लेसा ही सबसे ज्यादा खोदते हैं सड़क, इन पर कैसे लगेगी रोक
Lucknow News - शहर में जलकल और लेसा सबसे ज्यादा सड़कें खोदते हैं। जलकल को रोजाना 130 से 150 शिकायतें मिलती हैं, जिसमें पानी और सीवर की समस्या होती है। हाल ही में जिलाधिकारी ने सड़क खोदने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल...

शहर में सबसे ज्यादा सड़कें जलकल व लेसा ही खोदते हैं। यह दोनों आगे भी सड़कें खोदते रहेंगे। क्योंकि इन्हें इमरजेंसी सेवा में लिया गया है। जिलाधिकारी की ओर से सड़क खोदने की अनुमति देने के लिए जो पोर्टल तैयार कराया गया है उसमें भी इन्हें रियायत दी गयी है। अकेले जलकल के पास रोजाना पानी व सीवर के लिए 130 से 150 शिकायतें आती हैं। जिसके उसे तमाम जगहों पर सड़कें खोदना पड़ता है। लेसा भी एक दर्जन से ज्यादा स्थानों पर लाइनों की मरम्मत व नयी डालने के लिए खोदता है। खोदने के बाद इन्हें बनाने की कोई व्यवस्था नहीं करता है। इससे सड़कें महीनों खुदी पड़ी रहती हैं। मनमाने तरीके से शहर में खोदी जाने वाली सड़कों पर अंकुश लगाने के लिए जिलाधिकारी विशाख जी ने आन लाइन रोड कटिंग परमिशन सिस्टम (ओआरसीपीएस) पोर्टल तैयार कराया है। इसी पोर्टल के माध्यम से विभागों को शहर की सड़कों की खोदाई की अनुमति मिलेगी। बिना एनओसी के कोई विभाग सड़क नहीं खोद पाएगा। सात दिनों में उन विभागों को एनओसी देनी होगी जिनकी सड़क होगी। सड़क खोदने के बदले विभाग की ओर से इसे बनाने के लिए मांगी जाने वाली रकम भी जमा करनी होगी।
पोर्टल से सभी जिम्मेदार विभागों को जोड़ा गया है। लेकिन इसमें जलकल व लेसा को विशेष रियायत दी गयी है। यह बिना एनओसी के सड़क खोद सकेंगे। क्योंकि इन्हें आवश्यक सेवाओं में जोड़ा गया है। हिन्दुस्तान ने पड़ताल किया तो पता चला कि शहर में सबसे ज्यादा सड़कें जलकल ही खोदता है। उसके पासर रोजाना 130 से लेकर 150 शिकायतें आती हैं। पानी व सीवर लाइन की मरम्मत के लिए सड़कों को खोदा जाता है। इसी तरह लेसा भी नयी लाइनें डालने तथा खराब लाइनों को ठीक करने के लिए सड़कें खोदता है। 10 से 12 स्थानों पर वह भी सड़कें खोदता है।
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खोदने की अनुमति तो मिली लेकिन बनाएगा कौन तय नहीं
जलकल के पास रोजाना जो शिकायतें आती हैं उसमें करीब 40 प्रतिशत पेयजल लाइन में लीकेज की होती हैं। इन्हें बनाने के लिए वह सड़कें खोदता है। बाकी 60 प्रतिशत शिकायतें सीवर लाइन की होती है। इसमें कुछ ही जगहों पर खोदाई करनी होती है। जहां लाइन डैमेज होती हैं वहां खोदाई होती है। जहां लाइनें खोदी जाती हैं बाद में उन्हें न लेसा बनाता है और जलकल। अकेले जलकल 50 से 60 जगहों पर रोजाना सड़कें खोदता है। लेकिन बनाता नहीं। इससे सड़कें खराब पड़ी रहती हैं। क्योंकि यह खोदते हैं ऐसे में इन्हें खोदने वाले विभागों से सड़क बनवाने की भी व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन इससे इन्हें मुक्त रखा गया है।
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जलकल को पानी की लाइनों की तत्काल मरम्मत करानी रहती हैं। इसीलिए उसे छूट दी गयी है। रोजाना लगभग 150 शिकायतें आती हैं। 30 से 40 प्रतिशत पानी के लीकेज की होती हैं। इनकी मरम्मत के लिए सड़क खोदना होता है। फिर सड़क बनाने की जिम्मेदारी उसी विभाग की रहती है जिसकी रोड होती है। उन्हें बनाने में वक्त लगता है।
सचिन सिंह, अधिशासी अभियन्ता, जलकल
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