Hindi NewsUttar-pradesh NewsLucknow NewsElectricity Workers Protest Against Privatization in Uttar Pradesh - Regulatory Commission s Chair Violates Agreement

23 को प्री-बिडिंग के दिन सौ फीसदी बिजलीकर्मी करेंगे विरोध प्रदर्शन

Lucknow News - रविवार को उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ विरोध सभाएं कीं। 23 जनवरी को यूपी पावर कारपोरेशन के प्रबंधन द्वारा आयोजित प्री-बिडिंग कांफ्रेंस में सभी कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करेंगे।...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊSun, 19 Jan 2025 06:38 PM
share Share
Follow Us on

- रविवार को पूरे प्रदेश में बिजली कर्मियों ने की विरोध सभाएं - निजीकरण पर टिप्पणी कर आयोग अध्यक्ष ने किया समझौते का उल्लंघन

लखनऊ, विशेष संवाददाता

बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के आह्वान पर रविवार को सभी जिलों और बिजली उत्पादन परियोजनाओं पर कर्मचारियों ने विरोध सभाएं की। सभाओं के माध्यम से ऐलान किया कि 23 जनवरी को जब उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन कंसल्टेंट चयन के लिए प्री-बिडिंग कांफ्रेंस करेगा। उस दिन यूपी बिजली महकमे के सौ फीसदी कर्मचारी कार्यालयों से बाहर निकल कर विरोध प्रदर्शन करेंगे। ऊर्जा मुख्यालय शक्ति भवन पर भी यह विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

भविष्य की लाइसेंसी लिखने पर नियामक आयोग अध्यक्ष की निंदा

संघर्ष समिति ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग अध्यक्ष द्वारा बिजली दरें तय करने की प्रस्तावित नियमावली में भविष्य के लाइसेंसी का उल्लेख किए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। समिति के पदाधिकारियों ने कहा है कि विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार जब पावर कारपोरेशन के चेयरमैन थे, उस समय एक लिखित समझौता हुआ था। 6 अक्तूबर 2020 को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के साथ हुए लिखित समझौते में यह कहा गया है कि विद्युत वितरण की मौजूदा व्यवस्था बनाए रखते हुए सुधार के कार्यक्रम किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निजीकरण बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लिए बगैर नहीं किया जाएगा। यह समझौता वित्त मंत्री सुरेश खन्ना तथा तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की उपस्थिति में हुआ था, जिसमें पावर कॉरपोरेशन के तत्कालीन चेयरमैन अरविंद कुमार एक पार्टी है। अब उनके द्वारा निजीकरण की बात कहा जाना सीधे-सीधे इस समझौते का उल्लंघन है। उनके द्वारा इस तरह निजीकरण के समर्थन की बातें लिखे जाने से बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा है।

नियामक आयोग के अध्यक्ष द्वारा भविष्य की लाइसेंसी के रूप में निजी कंपनियों का उल्लेख करना पूर्णतया अनावश्यक और अवांछनीय है। निजीकरण हुए बिना निजी कंपनियों को भविष्य की लाइसेंसी लिखना एक भड़काने वाला कदम है।

रियायती बिजली छीनने की कोशिश का करेंगे पुरजोर विरोध

संघर्ष समिति ने कहा है कि रियायती बिजली की सुविधा 25 जनवरी 2000 को तत्कालीन मुख्यमंत्री के साथ हुए लिखित समझौते तथा ट्रांसफर स्कीम 2000 का एक अंग है। यह एक्ट का हिस्सा है। ऐसे में विद्युत नियामक आयोग द्वारा यह टिप्पणी ठीक नहीं है कि विभागीय कर्मचारियों को सामान्य एलएमवी-एक के तहत मिल रही बिजली की दरें दोगुनी होंगी। बिजली कर्मचारियों को रियायती बिजली की सुविधा छीनने की कोशिश हुई तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी, जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी। संघर्ष समिति के आह्वान पर अगले सप्ताह हर दिन बिजली कर्मी काली पट्टी बांधकर पूरे दिन कार्य करेंगे और विरोध सभाएं करेंगे।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें