संपादित: पेज--5--ईसाई समाज के कब्रिस्तान में एक वर्ष के बराबर एक माह में हुए अंतिम संस्कार
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संपादित: पेज--5--ईसाई समाज के कब्रिस्तान में एक वर्ष के बराबर एक माह में हुए अंतिम संस्कार
लखनऊ। निज संवाददाता
कोरोना काल में ईसाई समाज के कब्रिस्तान में होने वाले अंतिम संस्कार की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। एक माह में कब्रिस्तान में 182 शव का अंतिम संस्कार हो चुका है। जिसमें से 44 कोरोना संक्रमित शव थे। जबकि कोरोना काल के पहले पूरे वर्ष में करीब 180 से 200 शव का अंतिम संस्कार होता था। शव दफनाने के लिए कब्रिस्तान में जगह भी कम पड़ने लगी है। लखनऊ क्रिस्टियन बरियल बोर्ड के मैनेजर वीपी सागर ने बताया कि निशातगंज और सदर कब्रिस्तान में ईसाई समाज के लोगों का अंतिम संस्कार होता है। कोरोना काल के पहले एक महीने में करीब 15 से 20 शव का अंतिम संस्कार होता था। वहीं अप्रैल में ही पूरे एक वर्ष के बराबर अंतिम संस्कार कराए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार में लोगों को सीमित संख्या में आने की अनुमति दी जा रही है।
पुरानी कब्र खोदकर नए शव दफनाए जा रहे हैं
लखनऊ क्रिस्टियन बरियल बोर्ड के मैनेजर वीपी सागर का कहना है कि मौत की संख्या अचानक बढ़ने से शव दफनाने के लिए ईसाई समाज के कब्रिस्तान में जगह कम पड़ने लगी है। दफनाने के लिए 50 वर्ष पुरानी कब्रों को खोद कर उस स्थान पर नई कब्र बनाई जा रही हैं। पुरानी कब्रों को न खोदा जाए तो नई कब्रों के दफन के लिए जगह ही नहीं बची है।
पहले से खोद रखी हैं कब्रें
कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शव की संख्या अचानक बढ़ने से पहले से ही कब्रें खोद कर रखी जा रही हैं। जिससे कम समय में अधिक अन्तिम संस्कार कराए जा सकें। एक दिन में कई शव आने से तुरंत कब्र खोदने में परेशानी होने लगी थी। समय भी अधिक लग रहा था। जिसके कारण पहले से ही शव दफनाने के लिए कब्र खोदकर रखने का निर्णय लिया गया।
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