संपादित: पेज--5--मुंबई, कोलकाता के लोग नहीं चख पायेंगे लखनऊ की मशहूर किमामी सेवई
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पेज--5--मुंबई, कोलकाता के लोग नहीं चख पायेंगे लखनऊ की मशहूर सेवई
हाल ए कारोबार, फोटो
- कोरोना कफ्र्यू के कारण कारखानों में अधिक माल नहीं बन पाया
- चौक, बालागंज, ठाकुरगंज में करीब 60 कारखाने हैं
लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता
लखनऊ की मशहूर किमामी सेवईं का स्वाद इस बार मुंबई, कोलकाता और चेन्नई के लोग नहीं चख पायेंगे। कोरोना कफ्र्यू के कारण कारखाने बंद हैं जिससे अधिक माल नहीं बन पाया। कारोबारियों के मुताबिक इस बार सिर्फ स्थानी बाजार चौक, अमीनाबाद और डालीगंज में बिकने लायक सेवइयां बनी हैं।
बिना मीठी सेवईयों के ईद का त्योहार अधूरा होता है। लखनऊ की सेवईं तो पूरी दुनिया में मशहूर है। पश्चिम बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक लखनऊ से सेवई जाती हैं। बालागंज में सेवई कारोबारी फारुख ने बताया कि लखनऊ में सेवई के करीब 60 कारखाने हैं। सेवई कारोबारी जाकिर अली ने बताया कि इस समय सेवइयों का सीजन चल रहा है। पहले के समय में कारखाने में चौबीस घंटे काम चलता था लेकिन कोरोना कफ्र्यू के कारण कारखाने बंद पड़े हैं। अधिकतर कारीगर अपने गांव जा चुके हैं।
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60 कुंतल सेवइयां रोज बनती थीं
बालागंज में सेवईं कारखाना मालिक अतीक ने बताया कि हर कारखाने में रोजाना औसतन एक कुंतल सेवई तैयार की जाती हैं। लखनऊ में वर्ष 2019 तक रोजाना 60 कुंतल सेवई बनती थीं। इसमें से 50 फीसदी सेंवइयां बाहर के राज्यों में बेच दी जाती थीं। कारोबारियों के मुताबिक लच्छे भी काफी बिकते थे लेकिन इस बार लच्छे का कारोबार भी कम हुआ।
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30 करोड़ रुपए का होगा नुकसान
कारोबारी अतीक ने बताया कि सेवई बनाने का काम रमजान शुरू होने से दो महीने पहले शुरू हो जाता था। यह काम सिर्फ तीन महीने ही चलता है। बाकी के महीनों में इतनी सेवई नहीं बनाई जाती है। सीजन में दुकानदार 25 से 30 लाख रुपए का माल तैयार करता है। कारखाने बंद रहने से करीब 30 करोड़ का नुकसान हो चुका है।
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