संपादित: पेज--5--सीएमओ का पत्र बना कोरोना मरीजों के गले की फांस
संपादित: पेज--5--सीएमओ का पत्र बना कोरोना मरीजों के गले की फांस -घरों में...
संपादित: पेज--5--सीएमओ का पत्र बना कोरोना मरीजों के गले की फांस
-घरों में तड़पते मरीजों की नहीं हो रही सुनवाई
-एक से दूसरे अस्पतालों में भटक रहे मरीज
लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता
कोरोना मरीजों के इलाज की राह में अभी भी ढेरों अड़चने हैं। ऑक्सीजन के साथ सीएमओ का पत्र मरीजों के गले की फांस बना हुआ है। तीन दिन बाद भी सीएमओ का पत्र मरीजों को नहीं मिल रहा है। मरीज घर में तड़प रहे हैं। अपनों की जान बचाने के लिए परिवारीजन एक से दूसरे अस्पताल भटक रहे हैं। सभी अस्पताल सीएमओ का पत्र मांग रहे हैं। इन मरीजों की कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद भी लखनऊ में सीएमओ के पत्र की अनिवार्यता खत्म नहीं हुई है। मरीज सीएमओ के पत्र के लिए भटक रहे हैं। सीएमओ कार्यालय में तीमारदार धक्के खा रहे हैं। लालबाग स्थित कोविड कमांड सेंटर से भी मरीजों को निराशा मिल रही है।
बुजुर्ग आरती कोरोना की चपेट में हैं। परिवारीजन उन्हें भर्ती कराने के लिए तीन दिन से परेशान हैं। कहीं भर्ती नहीं हो पा रही है। किसी तरह ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया। लगातार कोविड कमांड सेंटर पर पंजीकरण के बाद फोन कर मदद की गुहार लगा रहे हैं। सीएमओ कार्यालय में तो बेबस और परेशान हाल लोगों को दाखिल तक नहीं होने दिया जा रहा है। इससे लोग बेहाल हैं। इसी तरह विकासनगर निवासी साहिल को भी दो दिन बाद भी बेड नसीब नहीं हुआ। परिवार रात-रात भर लाइन में लगकर ऑक्सीजन का इंतजाम कर रहे हैं।
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