संपादित: कैम्पस: कोरोना का दंश: बैंड बाजा और बग्गी की बुकिंग हो रही कैंसिल, कारोबारी परेशान
- शादियों का सीजन अप्रैल के तीसरे सप्ताह से शुरू होने वाला है - कोरोना
- शादियों का सीजन अप्रैल के तीसरे सप्ताह से शुरू होने वाला है
- कोरोना संक्रमण के कारण नहीं दिखेगी शादियों में पहले जैसी रौनक
लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता
राजधानी में शादियों का सीजन अप्रैल के तीसरे सप्ताह से शुरू होने वाला है लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण एक बार फिर शादियों में न तो पहले जैसी रौनक दिखेगी और न ही शादी से जुड़े कारोबारियों की गाढ़ी कमाई होगी। लिहाजा कारोबारी काफी परेशान हैं। बुकिंग न होने से बैंड बाजे वालों, घोड़ी बग्गी के मालिकों और डीजे संचालकों के चेहरे उतरे हुए हैं। बाजार के जानकार बताते हैं कि अभी तक 10 प्रतिशत भी बुकिंग नहीं हुई है। कारोबारियों के मुताबिक जिन लोगों ने जनवरी-फरवरी में बुकिंग करवाई थी, उनमें से कइयों ने ऑर्डर कैंसिल कर दिए हैं। ऐसे में अपना खर्च निकालना भी दूभर है।
शादी की 23 में से बुकिंग 12 कैंसिल हो गईं
आलमबाग के डीजे संचालक मनीष अरोड़ा ने बताया कि अप्रैल-मई में शादियों के लिए 23 लोगों ने बुकिंग की लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण 12 आर्डर कैंसिल हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी से पहले शादियों के सीजन में बैंड बाजा की बंपर बुकिंग रहा करती थी। एक तारीख पर बैंड संचालक तीन-तीन बुकिंग लेते थे। तीन शिफ्ट में काम के बाद भी कई बुकिंग कैंसिल करनी पड़ती थीं। वहीं इस बार अभी तक अप्रैल, मई के लिए मात्र 10 से 15 प्रतिशत ही बुकिंग हो पाई हैं।
बिन बग्गी बारात
आलमबाग में मुन्नन बग्गी वाले ने बताया कि शादियों के लिए बैंड बाजा, बग्गी और घोड़ी की बुकिंग अभी भी अधर में है। लोग बिना बारात के ही शादियां पूरा करने का मन बना चुके हैं। ऐसे में शादियों के लिए बग्गी की बुकिंग 5 से 10 प्रतिशत है। इक्का स्टैंड में घोड़ी बग्गी संचालक सगीर ने बताया कि पहले छोटे-छोटे आयोजनों में भी उनके पास एडवांस बुकिंग होती थी जिससे कई परिवारों का रोजगार चलता था। अब कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने के बाद से कोई बग्गी की बुकिंग पूछने तक नहीं आ रहा है।
घोड़ों को खिलाएं या परिवार को
आलमबाग, डालीगंज, नाका हिंडोला, डंडइया बाजार सहित कई स्थानों पर ऐसे परिवार हैं जिनकी रोजी रोटी शादी ब्याह के कारोबार के दम पर चलती है। कोरोना संक्रमण के बाद से अब इनके पास कोई विकल्प ही नहीं है। घोड़ा बग्गी का काम करने वाले राकेश कुमार ने बताया कि संकट के दौर से गुजर रहे हैं समझ नहीं आ रहा है कि घोड़ों को खिलाएं या परिवार का लालन-पालन करें।
इंफो
- शहर में करीब 270 बैंड-बाजा संचालक
- 1300 से ज्यादा घोड़े और 160 बग्गियां
- 10 से 15 प्रतिशत बुकिंग इस बार
- करीब 10 से 12 हजार कर्मचारी
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