प्रतिकूलता में कविता की प्रासंगिकता अधिक बढ़ जाती है
Lucknow News - कवि देवी प्रसाद मिश्र की कविताओं से सजी महफिल लखनऊ, कार्यालय संवाददाता कवि देवी प्रसाद
कवि देवी प्रसाद मिश्र की कविताओं से सजी महफिल लखनऊ, कार्यालय संवाददाता
कवि देवी प्रसाद मिश्र की कविता की महफिल बुधवार को शीरोज हैंगआउट में सजी। जहां देवी प्रसाद मिश्र ने प्रेम के बिना कलाबत्तू, मौलिकता, दुनिया को बेहतर बनाने के लिए कलाबत्तू जैसी कविताएं सुनाईं और इन कविताओं पर बातचीत भी की।
देवी प्रसाद ने कहा कि कोई कविता पूरी व्यापकता के साथ आती है। समय की प्रतिकूलता में कविता की प्रासंगिकता और अधिक बढ़ जाती है और यहीं से प्रतिरोध की कविता जन्म लेती है। महफिल में उपस्थित श्रोताओं ने उनसे बेहद मशहूर कविता मुसलमान सुनाने का आग्रह किया। देवी प्रसाद ने कहा कि कोई कविता याद रहे ये बड़ा मुश्किल है और मुसलमान कविता ने तो स्मारक का रूप ले लिया है। वरिष्ठ कथाकार अखिलेश ने देवी प्रसाद का परिचय देते हुए बताया कि इलाहाबाद में उन्होंने देवी प्रसाद के साथ जो समय बिताया वह समय भी उनकी कविता में झलकता है और बाद के समय की सम्पूर्णता भी उनकी कविताओं में परिलक्षित होती है। कवि विजय राय ने कहा कि कवि कब लिखता है और कब कुछ कहता है जब तक कि मन कुछ कुरेदने न लगे। आस इनीशिएटिव की ओर से आयोजित इस महफ़िल में दया शंकर राय, दीपक कबीर, राकेश ने भी अपने विचार व्यक्त किए। राकेश और दीपक कबीर ने देवी प्रसाद की कविता निजामुद्दीन की याद करते हुऐ कहा कि यह भी विलक्षण कविता है। महफिल में कौशल किशोर, शकील सिद्दीकी ने भी शिरकत की। संचालन सुहेल वहीद ने किया।
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