फैजुल्लागंज में डेंगू से इंटर के छात्र की मौत
- फैजुल्लागंज में तीन दिन में डेंगू से दूसरी जान गई - संक्रामक बीमारी
- फैजुल्लागंज में तीन दिन में डेंगू से दूसरी जान गई - संक्रामक बीमारी वाले इलाकों में अतिसंवेदनशील फैजुल्लागंज के लोग दहशत में
लखनऊ, संवाददाता।
डेंगू का प्रकोप बढ़ने लगा है। डेंगू से गुरुवार सुबह इंटरमीडिएट के छात्र की निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। सीएमओ का कहना है कि छात्र का डेथ ऑडिट कराया जाएगा। संक्रामक बीमारी फैलने के लिहाज से अतिसंवेदनशील इलाकों में शामिल फैजुल्लागंज में तीन दिन में यह दूसरी मौत है। फैजुल्लागंज के लोगों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम के अफसर बेपरवाह बने हुए हैं। लगातार बीमारी बढ़ रही है। स्थानीय लोग दहशत में हैं।
कारपोरेट अस्पताल में हुई मौत
फैजुल्लागंज प्रथम के श्रीनगर कॉलोनी निवासी प्रदीप श्रीवास्तव का बेटा श्रेयांश श्रीवास्तव (18) निजी स्कूल में इंटरमीडिएट का छात्र था। करीब एक सप्ताह से वह बुखार से पीड़ित था। परिवारीजनों ने पहले उसे बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां हालत में सुधार न होने पर दो दिन पहले परिवारीजन श्रेयांश को लेकर शहीद पथ स्थित कारपोरेट निजी अस्पताल ले गए थे। इस निजी अस्पताल में हालत काफी नाजुक होने पर श्रेयांश को वेंटिलेटर पर इलाज दिया जा रहा था। गुरुवार सुबह श्रेयांश की सांसें थम गईं। परिवारीजनों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया है।
तीन दिन में दूसरी मौत
शहर के संक्रामक बीमारी फैलने वाले इलाकों में अतिसंवेदनशील माने जाने वाले फैजुल्लागंज में तीन दिन में डेंगू से यह दूसरी मौत है। मंगलवार सुबह फैजुल्लागंज के प्रीती नगर निवासी सामंती देवी (57) की डेंगू से मौत हो गई थी। उनका इलाज अयोध्या रोड स्थित चंदन अस्पताल में चल रहा था। उससे पहले वह एक दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती थीं। कार्ड टेस्ट में उन्हें डेंगू की पुष्टि हुई थी। अब गुरुवार सुबह श्रीनगर कॉलोनी के श्रेयांश श्रीवास्तव की डेंगू से मौत हो गई है। इलाके के लोग डेंगू व बुखार फैलने से काफी डरे हुए हैं।
छिड़काव और मुआवजे की मांग
सामाजिक कार्यकर्ता ममता त्रिपाठी का आरोप है कि नगर निगम के कर्मचारी और जोन के अफसर फैजुल्लागंज इलाके के प्रति घोर लापरवाह बने हुए हैं। बीमारियां फैलने, गंदगी पड़े होने, नालियां बजबजाने की शिकायतें नगर निगम से कई बार की जाती रही है, लेकिन नियमित सफाई नहीं होती है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को भी जानकारी दी जाती है, लेकिन नियमित एंटीलार्वा छिड़काव व फॉगिंग नहीं कराई जाती है। इसी से इलाके में डेंगू, मलेरिया, बुखार के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। लोगों की जान जा रही है। नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग को डेंगू से मरने वाले लोगों को 10 लाख रुपए मुआवजा देना चाहिए।
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