घुमन्तू समुदायों से प्रकृति संरक्षण के तरीके सीख सकते हैं
Lucknow News - -बीबीएयू में में हुआ घुमन्तू भाषा शब्द संचय प्रविधि द्वितीय शिविर का आयोजन लखनऊ,
बीबीएयू में आयोजित घुमन्तू भाषा शब्द संचय प्रविधि के द्वितीय शिविर में घुमन्तू समुदायों की संस्कृति, शिल्प, कला और भाषा परंपरा के बारे में बताया गया। लोकविद् पद्मश्री डॉ. विद्या बिन्दु सिंह ने कहा कि घुमन्तू समुदायों से संस्कृति, प्रकृति एवं सभ्यताओं के संरक्षण के विभिन्न तरीकों को सीखा जा सकता है। उन्होंने विभिन्न प्रदेशों के अनेकों घुमन्तू जातियों और उनसे जुड़े तौर तरीकों एवं परंपराओं की विस्तृत जानकारी दी। बीबीएयू कुलपति प्रो. एसके द्विवेदी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से सामाजिक तौर पर वंचित रहने वाले समुदायों के प्रति सभी को जागरूक किया जा सकता है। इन समुदायों की भाषाओं के लिए शब्दकोश बनाने का कार्य किया जा रहा है। भारतीय हिन्दी परिषद के सभापति प्रो. पवन अग्रवाल ने कहा कि घुमन्तू समुदाय अपने धर्म एवं संस्कृति के लिए जीता है। इन समुदायों ने समाज कल्याण के क्षेत्र में आजादी से लेकर वर्तमान तक कार्य किया है लेकिर समाज इन्हें नजरअंदाज करता है। दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के निदेशक डॉ. मुकेश मिश्रा ने कहा कि विभिन्न संस्कृतियों के वास्तविक स्त्रोतों तक पहुंचने की आवश्यकता है। जनजातीय लोककला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा प्रकाशित चौमासा के संत रैदास पर केंद्रित 126 वें अंक का लोकार्पण किया गया। इस चौमासा पत्रिका को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा केयर लिस्ट की सूची में सम्मिलित किया गया है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।