रबी में नैनों फर्टिलाइजर बनेगा खाद संकट का विकल्प
लखनऊ, प्रमुख संवाददाता। रबी सीजन के दौरान सम्भावित खाद संकट की आशंकाओं के बीच नैनो
-सूर्य प्रताप शाही ने केंद्रीय रसायन मंत्री जेपी नड्डा से की मुलाकात लखनऊ, प्रमुख संवाददाता
रबी सीजन के दौरान सम्भावित खाद संकट की आशंकाओं के बीच नैनो फर्टिलाइजर को ही अब एक मात्र विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। विश्व में जारी दो बड़े युद्धों के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों विशेष कर फास्फेटिक एवं पोटाशिक के दाम चार गुना तक बढ़ गए हैं। नतीजा कई उर्वरक कंपनियों ने रसायनिक उर्वरकों के आयात को रोक दिया है। ऐसे में अब यूपी समेत पूरे देश में रबी के दौरान डीएपी एवं पोटाश आदि के संकट की आशंकाएं व्यक्त की जा रही है।
सूर्य प्रताप शाही ने केंद्रीय रसायन मंत्री से की मुलाकात
यूपी में राज्य सरकार ने अभी इस दिशा में कवायद शुरू कर दी है। इसी परिप्रेक्ष्य में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही मंगलवार को केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा से मिलने दिल्ली पहुंच गए। वहां श्री शाही ने प्रदेश को नवम्बर के लिए कम से कम छह लाख टन डीएपी एवं दो लाख टन एनपीके देने की मांग रख दी है। हालांकि प्रदेश के कृषि विभाग ने उर्वरकों की किसी भी प्रकार की कमी की दशा में किसानों को विकल्प उपलब्ध कराने के लिए कमर कस ली है। विभाग ने अभी से खेतों में नैनो डीएपी एवं एनपीके के प्रयोग के लिए किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है।
संकट का मुख्य कारण दो-दो युद्ध है
विश्व के दो क्षेत्रों में जारी दो-दो युद्ध ही रसायनिक उर्वरकों की कमी या इनकी कीमतें बढ़ने का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। देश में डीएपी या उसे बनाने के लिए उसका कच्चा माल रॉक फास्फेट मोरक्को, जॉर्डन तथा ट्यूनीशिया आदि देशों से आयात किया जाता है। यह रॉ मैटेरियल इजराइल के पास से होकर आता रहा है जो चार से पांच दिन में आ जाता था। युद्ध की वजह से अब यह 40 से 42 दिनों में भारत पहुंच रहा है। चूंकि काफी लम्बी दूरी तय कर रॉ मैटेरियल आ रहा है लिहाजा उसके भाड़े में कई गुना वृद्धि तो हो ही गई है। समय भी काफी अधिक लग रहा है। यही स्थिति पोटैशिक उर्वरकों की भी है। पोटाश का आयात रूस और यूक्रेन से होता है और दोनों देशों के बीच लम्बे समय से भीषण युद्ध चल रहा है। ऐसे में पूर्व में इन दोनों देशों से जिस पोटाश को लाने में 40-42 दिन लगता था उसे अब लाने में कई गुना अधिक लम्बी दूरी तय करने से 85 से 90 दिन लग रहे है। इससे अन्तराष्ट्रीय बाजार में दोनों उर्वरकों के दाम भी आसमान छूने लगे हैं।
नैनो फर्टिलाइजर है विकल्प जिसकी नहीं है कोई कमी
यूपी सहित देश के कई राज्यों ने नैनो फर्टिलाइजर का भंडारण कर रखा है। विश्व की सबसे बड़ी सहकारी समिति इफ्को ने सरकार को भरोसा दिया है कि उसके पास इस समय 12 करोड़ बोतल से अधिक नैनो डीएपी एवं 18 करोड़ बोतल नैनो यूरिया बनाने की व्यवस्था है जिसे भविष्य में मांग के अनुसार बढ़ाया भी जा सकता है। यदि प्रदेश की कुल मांग का 25 प्रतिशत नैनो डीएपी की पूर्ति करा दी जाए तो खाद संकट को नियंत्रित किया जा सकता है। दो नैनो उर्वरकों की प्रयोग विधि को किसानो के बीच प्रचलित करने के लिए विभाग एवं सहकारी समिति यदि संयुक्त प्रयास करे तो खाद संकट का कोई असर नहीं रह जाएगा।
विकल्प के रूप में एनपीके के प्रयोग पर दिया जा रहा है जोर-
कृषि विभाग डीएपी व पोटाश की कमी की आशंका को देखते हुए किसानों को एनपीके के प्रयोग को बढ़ाने पर बल दे रहा है। कृषि निदेशक डा. जितेन्द्र कुमार तोमर का कहना है कि किसान महंगे डीएपी की जगह अलग-अलग अनुपात के एनपीके का प्रयोग कर सकते हैं, इससे उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा।
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