कोरोना मरीजों को मौत से बचाने के लिए मेडिकल कालेजों में बनेंगी कमेटी - मरीजों की पहले की बीमारियों को ठीक कर मृत्यु से रोकने के उपाय
प्रमुख संवाददाता / राज्य मुख्यालय। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की मृत्यु हो जाने पर उनका डेथ ऑडिट करने के लिए 11 मेडिकल कालेजों में कमेटी बनेगी। ये कमेटी दो सरकारी चिकित्सा विश्वविद्यालयों,तीन...
---- मरीजों की पहले की बीमारियों को ठीक कर मृत्यु से रोकने के उपायप्रमुख संवाददाता / राज्य मुख्यालय कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की मृत्यु हो जाने पर उनका डेथ ऑडिट करने के लिए 11 मेडिकल कालेजों में कमेटी बनेगी। ये कमेटी दो सरकारी चिकित्सा विश्वविद्यालयों, तीन संस्थानों व छह पुराने मेडिकल कालेजों में बनेगी। कमेटी संक्रमित मरीज के अस्पताल में आने पर उसका पहले की स्थाई बीमारियों का विश्लेषण करेगी। यदि कोरोना संक्रमित रहते मरीज की मृत्यु हो जाती है तो वह यह तथ्य उजागर करेगी कि कोरोना से कम अमुख मरीज की पहले की स्थाई बीमारियों के कारण मौत हुई है। इससे मरीज के अस्पताल में प्रवेश करने के बाद से ही उन स्थाई बीमारियों का इलाज करने को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि कोरोना वायरस की वजह से मरीजों की बढ़ रही मौतों पर नियंत्रण पाया जा सके। चिकित्सा शिक्षा विभाग मेडिकल कालेजों में डेथ ऑडिट के लिए कमेटी गठित करने के लिए जल्द ही आदेश जारी करेगी। कमेटियों में शामिल होंगे फोरेन्सिक एक्सपर्ट और डॉक्टरये 11 कमेटियां, केजीएमयू लखनऊ, सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, एसजीपीजीआई लखनऊ, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के साथ ही कानपुर, आगरा, प्रयागराज, झांसी, गोरखपुर और मेरठ जैसे छह पुराने मेडिकल कालेजों में बनेंगी। मेडिकल कालेजों में बनी इन 11 कमेटियों से मेडिकल कालेज के आसपास के जिलों को भी जोड़ दिया जाएगा ताकि उन जिलों में कोरोना मरीजों की हुई मौत की असल वजहों का विश्लेषण किया जा सके। संस्थान के प्रमुख की अध्यक्षता में बनने वाली कमेटियों में फोरेन्सिक एक्सपर्ट व मेडिकल कालेज के डॉक्टर भी शामिल होंगे। कोविड अस्पताल कमेटी को भेजेंगे मरीज की बीमारी की हिस्ट्री सरकार ने जिलों में संचालित उन सभी कोविड-19 के अस्पतालों के डॉक्टरों को आदेश दिया है कि मेडिकल कालेज में बनने वाली इस कमेटी को कोरोना से संक्रमित अस्पताल में आने वाले प्रत्यक मरीज की पहले की बीमारियों की हिस्ट्री का ब्योरा भेजें। इसका मकसद है कि कोरोना वायरस के इलाज के साथ ही पहले की बीमारियों का भी आइसोलेशन की अवधि में इलाज किया सके। इलाज करके मरीज को ठीक किया जा सके। इससे कोरोना वायरस के मरीजों की मृत्यु दर में कमी हो सकेगी।
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