आसान नहीं कल्याण सिंह होना: योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल्याण सिंह की तीसरी पुण्यतिथि पर कहा कि संघर्ष, चुनौती और त्याग से ही महानता पाई जाती है। उन्होंने सपा प्रमुख पर निशाना साधते हुए कहा कि माफिया की मौत पर मातम मनाना...
-कल्याण सिंह की तृतीय पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री -सपा मुखिया पर बोला हमला, कहा हिंदुओं का खून बहाने वाले माफिया की मौत पर मनाते हैं मातम
-बोले जीरो टॉलरेंस की जिस नीति को 1991 में बाबूजी ने लागू किया था, वो आज भी लागू
लखनऊ। विशेष संवाददाता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोई व्यक्ति कल्याण सिंह अचानक नहीं बन जाता। इसके लिए संघर्ष, चुनौती, त्याग और बलिदान का मार्ग चुनना पड़ता है। चुनौती और संघर्ष जब सामने होता है तो त्याग और बलिदान का जज्बा पैदा होता है, तब कोई भी ताकत आपको झुका नहीं सकती। एक अपार जन आस्था और विश्वास आपके साथ खड़ा होता है। मुख्यमंत्री ने यह बातें बुधवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में पूर्व राज्यपाल व सीएम रहे कल्याण सिंह की तीसरी पुण्यतिथि पर आयोजित हिंदू गौरव दिवस कार्यक्रम में कहीं। उन्होंने सपा और इसके मुखिया पर भी हमला किया और पीडीए पर गंभीर सवाल उठाए।
उन्होंने उस समय की ताकतों का मुकाबला किया, विपरीत परिस्थितियों में काम किया लेकिन श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन के मार्ग से कतई नहीं हटे। आज उसकी सुखद अनुभूति पूरी दुनिया में रहने वाले सनातन धर्मावलंबी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि 'बाबूजी' ने शुरुआत से ही संघर्ष और चुनौतियों का मुकाबला करना सीख लिया था। पहले किसान और फिर शिक्षक, आरएसएस के स्वयंसेवी, भाजपा कार्यकर्ता के रूप में अपनी यात्रा प्रारंभ करने वाले बाबू जी की यात्रा शून्य से शिखर तक की यात्रा है। वे विधायक भी थे, सांसद भी थे, स्वास्थ्य मंत्री भी रहे।
राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद उमड़ी हुई आस्था में पहली बार भाजपा की प्रचंड बहुमत से सरकार बनीं तो वह मुख्यमंत्री भी बने। 1997 में वह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और फिर हिमांचल और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे। रामजन्मभूमि आंदोलन में उनकी भूमिका का ही परिणाम आज हम सबके सामने है। दुनिया में कौन सी श्रमिक और वंचित जातियां होंगी, जिन्होंने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अपनी आंखों से नहीं देखा। मानवता का जहां दमन हुआ है, श्रीरामजन्मभूमि पर राम मंदिर का निर्माण उनके लिए आशा की एक किरण है। इस आशा की किरण की शुरुआत तब हुई थी जब 'बाबूजी' ने कहा था कि सरकार जाए तो जाने दिया जाए, लेकिन रामभक्तों पर गोली नहीं चलाएंगे। सीएम ने कहा कि उनका जीवन भारत की राष्ट्रीयता के प्रति समर्पित था। उन्होंने जातिवाद को प्रश्रय नहीं दिया। समाज का विभाजन करने वाली ताकतों से उन्होंने दूरी बनाए रखी। उन्होंने मूल्यों पर जीवन जिया।
हिंदू समाज को बंटने नहीं देना है
मुख्यमंत्री ने कहा कि याद करिए 30 अक्तूबर 1990 और 2 नवंबर 1990 में अयोध्या में रामभक्तों पर गोलियां चलाई गई थीं। उस समय की सरकार एक तरफ हिंदू समाज को आपस में बांटने का कार्य कर रही थी तो दूसरी तरफ रामभक्तों पर गोलियां बरसा रही थी। तब अडिग चट्टान बनकर उनके सामने टकराने वाला व्यक्तित्व 'बाबूजी' कल्याण सिंह थे। तब उन्होंने कहा था कि हम हिंदू समाज को बंटने नहीं देंगे। ये जातीयता का जहर घोलने वाले भारत को तोड़ने का काम कर रहे हैं। 6 दिसंबर 1992 को जब केंद्र सरकार का दबाव था कि अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाई जाए तब बाबू जी ने कहा था कि केंद्र चाहे तो हमारी सरकार बर्खास्त कर दे, नहीं तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं, लेकिन रामभक्तों पर हरगिज गोलियां नहीं चलाई जाएंगी। उन्होंने मुख्यमंत्री पद ठुकरा कर संघर्ष का रास्ता चुना।
हिंदू भारत की सुरक्षा की गारंटी
सीएम योगी ने कहा कि हमें हिंदू एकता के महत्व को समझना पड़ेगा। हिंदू कोई जाति, मत और मजहब नहीं है। यह किसी संकीर्ण दायरे का माध्यम नहीं है। यह भारत की सुरक्षा की गारंटी है, ये भारत की एकता और एकाग्रता की गारंटी है। याद रखना जब तक भारत का मूल सनातन हिंदू समाज मजबूत है भारत की एकता और अखंडता को दुनिया की कोई ताकत चुनौती नहीं दे सकती। लेकिन जिस दिन यह एकता खंडित होगी उस दिन भारत को फिरके-फिरके में बांटने की विदेशी साजिशें सफल होती दिखाई देंगी। हमें इन साजिशों को सफल नहीं होने देना है। जो लोग आपको बांटने का काम कर रहे हैं, इनके चेहरे, चाल और चरित्र अलग हैं। ये बोलेंगे कुछ, दिखाएंगे कुछ और करेंगे कुछ। जब भी इन्हें अवसर मिला, उत्तर प्रदेश को इन्होंने दंगे की आग में झोंका है। जब भी इन्हें अवसर मिला है, इन्होंने हिंदुओं के नायकों को अपमानित किया है।
माफिया की मौत पर सपा के मुखिया मनाते हैं मातम
योगी ने सपा और उसके मुखिया पर हमला करते हुए कहा कि कौन नहीं जानता कि बाबूजी के दिवंगत होने पर श्रद्धांजलि देने जाने की बात तो दूर समाजवादी पार्टी के मुखिया के मुंह से संवेदना का एक भी शब्द नहीं निकला। वहीं प्रदेश का एक दुर्दांत माफिया मरा तो फातिया पढ़ने वो उसके गांव तक चले गए थे। क्या यही पीडीए है? सैकड़ों हिंदुओं के खून से जिनके हाथ रंगे हुए थे, ऐसे माफिया के मरने पर ऐसे मातम मना रहे थे, जैसे इनका कोई सगा चला गया हो। यही पीडीए का वास्तविक चरित्र है। अयोध्या में एक निषाद बालिका के साथ, कन्नौज में और लखनऊ में जो घटनाएं घटित हुईं, यही इनका चेहरा हैं। जब तक इनका एकजुट होकर मुकाबला नहीं करेंगे, ये लोग प्रदेश की जनता को ऐसे ही बेवकूफ बनाते रहेंगे। आज ये परेशान हैं, क्योंकि उनकी गुंडागर्दी, अराजकता की दुकानें डबल इंजन की सरकार ने बंद कर दी हैं। डबल इंजन की ये सरकार प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में अपराध और अपराधियों, भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ काम करेगी, चाहे इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े।
कल्याण ने नहीं की सरकार की परवाह: भूपेंद्र
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि राम मंदिर के लिए बाबूजी कल्याण सिंह ने सरकार जाने की भी परवाह नहीं की। उन्होंने हमेशा गांव, गरीब, किसान को अपनी प्राथमिकता में रखा। सरकार में रहने के दौरान भी उन्होंने कमजोर, पिछड़ों, दलितों के उत्थान के लिए काम किया। वो हमेशा दृढ़ता से अपने संकल्पों पर आगे बढ़ते रहे। उन्होंने जो अधूरे काम छोड़े हैं, उन्हें समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक हमें पहुंचाना है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि रामभक्ति और राष्ट्रभक्ति से समझौता न बाबूजी की सरकार में किया गया और न ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में हो रहा है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि बाबूजी कल्याण सिंह ने राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। कुर्सी को छोड़ उन्होंने राममंदिर को चुना। केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. महेंद्रनाथ पांडेय, राज्यसभा सांसद डा. दिनेश शर्मा, कैबिनेट मंत्री सूर्यप्रताप शाही, स्वतंत्रदेव सिंह, सांसद साक्षी महाराज ने भी पुण्यतिथि पर कल्याण सिंह से जुड़े संस्मरण सुनाए। स्वागत भाषण पूर्व सांसद राजवीर सिंह राजू ने दिया। जबकि धन्यवाद राज्यमंत्री संदीप सिंह ने दिया।
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