सैनिकों की जान बचाने के लिए सतत चिकित्सा शिक्षा जरूरी
लखनऊ में आर्मी मेडिकल कोर द्वारा 'सैन्य चिकित्सा के बदलते प्रतिमानः अनिवार्यताएं और आगे का रास्ता' विषय पर सतत चिकित्सा शिक्षा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन ने तकनीकी...
लखनऊ, वरिष्ठ संवाददाता। छावनी स्थित आर्मी मेडिकल कोर (एएमसी) में ऑफिसर्स ट्रेनिंग कॉलेज की ओर से शुक्रवार को 'सैन्य चिकित्सा के बदलते प्रतिमानः अनिवार्यताएं और आगे का रास्ता' विषयक सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) आयोजित की गई। इसमें युद्ध के अनुरूप बदलते सैन्य चिकित्सा के स्वरूप पर प्रकाश डाला गया। मध्य कमान के जनसम्पर्क अधिकारी शांतनू प्रताप सिंह ने बताया कि एएमसी के मेजर लैशराम ज्योतिन सिंह अशोक चक्र सभागार में कार्यक्रम हुआ, जिसमें सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं की महानिदेशक सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन मुख्य अतिथि रहीं।
इस मौके पर कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल शिवंद्र सिंह और ऑफिसर्स ट्रेनिंग कॉलेज के मुख्य प्रशिक्षक मेजर जनरल पराग ए. देशमुख भी मौजूद रहे। साथ ही सेना नौसेना और वायुसेना के डॉक्टरों व नसिंग अधिकारियों ने हिस्सा लिया। लेफ्टिनेंट जनरल शिवेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में सैन्य चिकित्सा के विकास, गतिशील और तेजी से बदलते युद्धक्षेत्र के माहौल के अनुरूप नए प्रयोगियों को अपनाने की जरूरत है। सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन ने अधिकाधिक सैनिकों की जान बचाने के लिए कॉम्बैट मेडिकल सपोर्ट में प्रोद्योगिकी संचालित समाधानों के महत्व पर जोर दिया। एयर वाइस मार्शल अनुपम अग्रवाल ने संघपो से निपटने के लिए सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं के प्रशिक्षण और तैयारियों पर रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव का एक महत्वपूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत किया।
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