लखनऊ में जुटे 24 छावनी बोर्डों के कर्मचारियों ने राज्य सरकार में विलय का विरोध किया
मध्य कमान के तहत आने वाले राज्यों के 24 कैंटोनमेंट बोर्ड के कर्मचारी संगठनों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की, जैसे की विलय प्रक्रिया, एसीपी और पेंशन। उन्होंने गाइडलाइन की मांग की और विलय के खिलाफ विरोध...
मध्य कमान के तहत आने वाले राज्यों के 24 कैंटोनमेंट बोर्ड के कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने बुधवार को एसीपी, पेंशन, प्रमोशन, संविदा समेत कई मुद्दों पर चर्चा की। रक्षा संपदा निदेशालय में आयोजित जेसीएम में उपस्थित प्रधान निदेशक रक्षा सम्पदा को समस्याएं गिनाईं। कर्मचारी संगठनों ने कैंटोनमेंट बोर्ड के राज्य सरकार में विलय की प्रक्रिया का विरोध किया। विलय की दशा में वेतन, भत्ता व पेंशन को लेकर तमाम आशंकाएं जताईं। विलय की निश्चित गाइडलाइन जारी किए जाने की मांग की। इसमें यूपी, उत्तराखंड, एमपी, बिहार, झारखंड कैंट बोर्ड के कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। कैंट में करिअप्पा मार्ग स्थित प्रधान निदेशलय, रक्षा सम्पदा के सभागार में मध्य कमान की सभी कैंटोनमेंट बोर्ड के कर्मचारी संगठनों की 12 वर्ष बाद आयोजित जेसीएम (संयुक्त परामर्शदात्री तंत्र) की बैठक में द कैंट बोर्ड कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री ईश्वर सिंह टनवाल ने कैंटोनमेंट बोर्ड के राज्य सरकार में विलय की प्रक्रिया का विरोध किया। उन्होंने कहा कि कैंट क्षेत्रों में कर्मचारियों के लम्बे समय से एसीपी (सुनिश्चित कैरियर प्रगति) व एमएसीपी लम्बित हैं। कई छावनियों में पदोन्नति पद रिक्त हैं। उन्हें शीघ्र भरा जाए। उन्होंने विलय की दशा में कर्मचारियों के लिए एक पक्की गाइडलाइन बनाए जाने की मांग की।
ऑल इंडिया कैंटोनमेंट बोर्ड इम्प्लाइज फेडरेशन के महासचिव राम पांडेय ने भी छावनी परिषद की राज्य सरकार में चल रही विलय की प्रक्रिया का विरोध किया। विलय की दशा में उन्होंने पेंशनर्स की पेंशन समय पर मिलने पर सवाल उठाया। उन्होंने बताया कि नगरीय निकायों की वित्तीय स्थित ऐसी नहीं है कि वे समय से पेंशन दे सकेंगी। जेसीएम में तमिलनाडु से यूनियन प्रतिनिधि ने भी भाग लिया।
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