शोध लेखन सारांश, साहित्य अवलोकन के साथ परिणाम जुड़ी जानकारी जरूरी
-बीबीएयू में शोध आनन्दशाला कार्यक्रम में विद्यार्थियों को शोध के लिए प्रेरित किया लखनऊ। कार्यालय
बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में शुक्रवार को शोध लेखन और प्रकाशन के लिए ' शोध आनंदशाला ' कार्यक्रम का आयोजन किया। बीबीएयू के गृह विज्ञान विद्यापीठ एवं भारतीय शिक्षा मंडल (अवध प्रांत) की ओर से हुए कार्यक्रम में विद्यार्थियों को शोध के लिए प्रेरित किया गया। मुख्य अतिथि डिपार्टमेंट ऑफ कम्प्यूटर इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष एवं रिसर्च व डेवलपमेंट के डायरेक्टर प्रो. शिशिर कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि हम सभी को डॉक्यूमेंटेशन के साथ-साथ प्रयोगों पर भी उतना ही अधिक ध्यान देना चाहिए। इसके अतिरिक्त ज्यादा से ज्यादा शोध पत्रों को लिखने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि यह आपमें कहीं न कहीं दूरगामी सोच को विकसित करता है। मुख्य वक्ता प्रो. संगीता सक्सेना ने शोध पत्र लेखन के चरणों को बताते हुए कहा कि हमें शोध पत्र लिखते समय सारांश, साहित्य अवलोकन, उद्देश्य, शोधविधि, की-वर्ड्स एवं परिणाम से जुड़ी बारीकियों को ध्यान में रखना चाहिए। यह सभी सावधानियां किसी भी शोध पत्र को प्रख्यात प्रकाशन में प्रकाशित होने योग्य बनाता है जो कि किसी भी शोधार्थी के अकादमिक भविष्य के लिए आवश्यक है। प्रो. कमल जायसवाल ने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल युवाओं के साथ मिलकर भारतीय संस्कृति को जीवित रखने का कार्य कर रहा है। इस मौके पर प्रो. यूवी किरन, डा. रचना गंगवार, प्रो. शिशिर कुमार, प्रो. नीतू सिंह, प्रो. शालिनी अग्रवाल समेत अन्य शामिल रहे।
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