आयुर्वेद के नाम पर रजिस्टर्ड क्लीनिकों में दुकान चला रहे सेक्सोलॉजिस्ट
Lucknow News - लखनऊ में 20 से अधिक आयुर्वेद क्लीनिकों में सेक्सोलॉजिस्टों की दुकान चल रही है। ये मरीजों को गुमराह कर मोटी रकम ऐंठ रहे हैं। हाल में एफएसडीए ने छापेमारी कर दवा के नमूने एकत्र किए हैं, जो स्वास्थ्य के...

आयुर्वेद क्लीनिक के रूप में पंजीकृत दवाखाना में सेक्सोलॉजिस्टों की दुकान चल रही है। सेक्सोलॉजिस्टों की क्लीनिक क्षेत्रीय आयुर्वेद अधिकारी कार्यालय में पंजीकृत हैं। जाहिर सी बात है कि इन्हें आयुर्वेद विधि से इलाज करना चाहिए, जबकि इलाज सिर्फ सेक्स संबंधी बीमारी का कर रहे हैं। लखनऊ में 20 से ज्यादा स्थानों पर आयुर्वेद क्लीनिक के रूप में पंजीकृत दवाखानों में सेक्सोलॉजिस्टों की दुकान चल रही है। मरीजों को गुमराह कर मरीजों से मोटी रकम ऐंठ रहे हैं। कुछ की तो एम्बुलेंस भी चल रही
कुछ सेक्सोलॉजिस्टों ने तो चारबाग रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप समेत अन्य प्रमुख संस्थानों पर एम्बुलेंस तक लगा रखी हैं। एफएसडीए के जांच अधिकारियों का कहना है कि सेक्स संबंधी बीमारी में इमरजेंसी व एम्बुलेंस सेवा की क्या जरूरत है। इन पहलुओं पर भी जांच की जा रही है। ऑनलाइन पंजीकरण कराने की सुविधा भी है। मरीजों की सहायता के लिए कॉल सेंटर चल रहे हैं। इनमें फोन कर मरीज इलाज संबंधी जानकारी हासिल कर सकते हैं।
आईजीाआरएस पर शिकायत के बाद हुई जांच
मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत के बाद खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) ने पांच सेक्सोलॉजिस्ट क्लीनिक में छापेमारी की थी। इन क्लीनिक में सिर्फ सेक्स संबंधी बीमारियों का शर्तिया इलाज का दावा किया जा रहा था। छापेमारी के दौरान 10 दवा के नमूने एकत्र किए गए थे। इन नमूनों को जांच के लिए मेरठ लैब में भेजा गया है। आरोप हैं कि आयुर्वेदिक दवाओं में स्टेराइड व दूसरी एलोपैथिक दवा का मिश्रण किया जा रहा है। यह सेहत के लिए नुकसानदेह है।
पंजीकरण के बाद नहीं परखते मानक
क्षेत्रीय आयुर्वेद कार्यालय में करीब 1200 आयुर्वेद क्लीनिक पंजीकृत हैं। विभाग के अफसरों ने पंजीकरण के बाद क्लीनिकों में मानक परखने की जरूरत नहीं समझी। न ही अपने स्तर से दवाओं की गुणवत्ता जांचने की जहमत उठाई। नतीजतन क्लीनिकों में आयुर्वेद दवाएं मरीजों को दी जा रही है या एलोपैथिक? बीएएमएस की डिग्री हासिल करने वाले डॉक्टर सिर्फ सेक्स संबंधी बीमारी का इलाज करेंगे। इसका बोर्ड नहीं लटका सकते हैं। इसका प्रचार-प्रसार नहीं कर सकते हैं। क्षेत्रीय आवुर्दिक अधिकारी डॉ. राजकुमार यादव का कहना है कि पंजीकरण के बाद ही आयुर्वेद डॉक्टर प्रैक्टिस कर सकते हैं। बीएएमएस डॉक्टर खुद को विशेषज्ञ बताकर प्रचार प्रसार नहीं कर सकते हैं।
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