अयोध्या फैसले के बाद गांव-कस्बों तक में सन्नाटा, सड़कें खाली, कम दुकानें ही खुलीं
अयोध्या पर फैसला आने के बाद बाजारों-सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। लोगों ने बाहर निकलने के बजाए घरों में टीवी पर खबरों की अपडेट लेते रहे। 12 बजे तक तो कुछ चुनिंदा दुकानें ही खुली रहीं। इसके बाद...
अयोध्या पर फैसला आने के बाद बाजारों-सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। लोगों ने बाहर निकलने के बजाए घरों में टीवी पर खबरों की अपडेट लेते रहे। 12 बजे तक तो कुछ चुनिंदा दुकानें ही खुली रहीं। इसके बाद धीरे-धीरे कुछ हलचल सड़कों पर और बाजारों में दिखनी शुरू हुई। वहीं सुरक्षा को लेकर पुलिस की गश्त लगातार चलती रही। दोनों पक्षों के लोगों ने समझदारी से काम लेते हुए कहीं भी आतिशबाजी-नारेबाजी नहीं की। प्रशासन की सख्ती का असर भी रहा। फैसला आने के बाद अयोध्या सहित अन्य जिलों के गांव-कस्बों में हालात पर एक रिपोर्ट....
अयोध्या जो सबसे अधिक संवेदनशील था, वहां पूरी तरह सौहार्द और अमन बना रहा हालांकि आम दिनों तरह सुबह बाजार गुलजार नहीं हुए। लोग अपने घरों में टीवी चैनलों पर फैसले की एक-एक लाइन पर नजर रखे हुए थे। सड़कों पर लोगों की आवाजाही कम थी और मुख्य बाजारों में दुकानें भी देर तक खुली नहीं थीं।
अमेठी में फैसले के बाद जिले के सभी जगहों पर शांति कायम रही। सड़कों पर लोग कम दिखे। सभी कस्बो में पुलिस प्रशासन गश्त करती रही। कुछ जगहों पर विशेष निगरानी की जा रही थी। जिले में किसी भी वर्ग का प्रदर्शन या विरोध की कोई घटना नहीं हुई।
गोण्डा में कड़ी सुरक्षा के कारण हालात सामान्य बने रहे। लोग टीवी पर फैसला सुनने में व्यस्त रहे। मुख्य सड़कों पर तो सन्नाटा था लेकिन गलियों और मोहल्लों में चर्चाओं के लिए लोग जुटे हुए थे। सुबह 10 बजे से 12-एक बजे तक तो बाजार बंद रहे लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे सामान्य रुप से खुलने लगे। जिला प्रशासन और पुलिस का मूवमेंट बना रहा। कहीं कोई विरोध प्रदर्शन या खुशी मनाने की घटना नहीं हुई।
श्रावस्ती में सभी शांत होकर फैसला सुना। बाजार आम दिनों की तरह खुल गईं। पुलिस का फ्लैग मार्च और चेकिंग होती रही। हिन्दू पक्ष के लोग फैसले को न्याय की जीत बता रहे लेकिन कहीं कोई प्रदर्शन या आयोजन जैसा नहीं हुआ। वहीं मुस्लिम समुदाय अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा लेकिन वह भी विरोध प्रदर्शन आदि में नहीं उतरा।
बहराइच शहर में सुबह बाजार सामान्य रूप से खुले थे। फैसला आने से कुछ मिनट पहले प्रशासन ने उसे बंद करवा दिया। शहर में कहीं भीड़ इकट्ठा नहीं होने दी गई। कम लोग ही सड़कों पर आ जा रहे थे। कहीं से विरोध या खुशी मनाने की कोई सूचना नहीं आई।
सुलतानपुर में फैसले के वक्त बाजार बंद रहे हालांकि पेट्रोल पंप, दवा की दुकानें और सब्जी मंडी खुली रहीं। कहीं कहीं कुछ एक अन्य दुकानें भी खुली दिखीं। पुलिस ने लोगों को एकजुट नहीं होने दिया। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए फोर्स भ्रमणशील रही। फैसले पढ़े जाने वक्त लोग अपने घरों में टीवी पर नजर गड़ाए रहे। कहीं से विरोध या समर्थन में जुलूस नारेबाजी आतिशबाजी की कोई बात सामने नहीं आई है।
बलरामपुर में फैसला आने के पहले ही पुलिस ने सारी दुकानें बंद करवा दी है। धार्मिक संगठनों से जुड़े लोग फोन और सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को बधाई देते रहे लेकिन सड़क पर कोई नहीं उतरा। किसी प्रकार का जुलूस नहीं निकला।
रायबरेली में सुप्रीम कोर्ट का आदेश सुनने के लिए सुबह से ही लोग अपनी टीवी से चिपके रहे। 10.30 बजे जैसे ही फैसला आया वैसे ही सभी वर्गों के लोगों ने अपने-अपने इलाके में शांति बनाए रखने की अपील शुरू कर दी। इस दौरान पूरे जिले में शांति कायम थी। कहीं से किसी भी पक्ष ने कोई आपत्तिजनक टिप्पणी या प्रदर्शन नहीं किया। शहर के अलावा गांव-कस्बों में भी पुलिस की गश्त चलती रही।
सीतापुर पूरे जिले में माहौल पूअरी तरह शांतिपूर्ण रह। सड़कों पर अपेक्षाकृत कम लोग आते जाते दिखे। बिसवां तहसील को छोड़कर जिले में अन्य शहरों-कस्बों आम दिनों की तरह बाजार खुल गए थे। सड़कों और धार्मिक स्थलों पर पुलिस फोर्स तैनात रही। कहीं किसी तरह का कोई प्रदर्शन नहीं हुआ। कहीं से विरोध या खुशी मनाने आदि की सूचना भी नहीं आई।
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