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डॉक्टर का अपने क्षेत्र में सक्षम होना जरूरी: डॉ. गुलाटी

एराज मेडिकल कॉलेज में 15वें राष्ट्रीय स्वास्थ्य व्यवसाय शिक्षा सम्मेलन लखनऊ, वरिष्ठ संवाददाता। कोविड महामारी

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊSat, 23 Nov 2024 08:34 PM
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एराज मेडिकल कॉलेज में 15वें राष्ट्रीय स्वास्थ्य व्यवसाय शिक्षा सम्मेलन लखनऊ, वरिष्ठ संवाददाता।

कोविड महामारी के बाद स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी बदलाव हुए हैं। स्मार्ट फोन, ई-कॉमर्स जैसी चीजें आम आदमी की पहुंच में आईं। दूसरे क्षेत्रों के मुकाबले स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों की अपेक्षाएं बढ़ीं और सरकार भी इस ओर लगातार काम कर रही है। आयुष्मान भारत और ई-संजीवनी पोर्टल जैसी सेवाएं इसका प्रमाण हैं। यह बातें एरा विश्वविद्यालय के एडिशनल डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन जां अली खान ने कही।

वह शनिवार को एराज मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में आयोजित 15वें राष्ट्रीय स्वास्थ्य व्यवसाय शिक्षा सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। डॉ. अली खान ने कहा कि ई-संजीवनी पोर्टल-टेली मेडिसिन के जरिए डॉक्टरा से कंसल्टेशन की संख्या में काफी तेजी से इजाफा हुआ। जॉ अली खान ने कहा कि हम सुपरपॉवर्ड केयर के युग में प्रवेश कर चुके हैं। एरा में हम डिजिटल हेल्थ पर कोर्स शुरू कर चुके हैं। टेलीमेडिसिन पिछले चार से पांच सालों से संचालित कर रहे हैं। डिजिटल हेल्थ सोल्यूशन का प्रयोग भी शुरू कर चुके हैं। कोविड महामारी के दौरान हमने आईसीयू में बेडों की संख्या बढ़ाई। हमें इलेक्ट्रिक कोर्स ऑन डिजिटल हेल्थ की इसी वर्ष अनुमति मिली। इसके अलावा आई-ओटी पेशेंट मॉनीटर के माध्यम से घर पर रह कर मरीज के ब्लड प्रेशर, हृदय गति आदि की जानकारी हॉस्पिटल तक बिना किसी देर के पहुंच सकती है।

जयपुर में महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. अचल गुलाटी ने कहा कि चिकित्सा संस्थान की जिम्मेदारी है कि वह समाज को एक बेहतरीन डॉक्टर दें। डॉक्टर का अपने क्षेत्र में सक्षम होना जरूरी है। ताकि वह मरीजों का सटीक इलाज कर सके। डॉक्टरों को व्यवहारिक बनाना होगा। जो मरीज की बीमारी का सही डायग्नोस कर उसका इलाज करें ताकि उसे जल्द रोग से राहत मिले।

डॉ. गुलाटी कहा कि अधिकांश डॉक्टर मशीन लर्निंग पर भरोसा करते हैं। यह सक्षम और समर्थ डॉक्टर बनने का सही रास्ता नहीं है। डॉक्टर को वार्ड में मरीजों का इलाज करके ज्ञान अर्जित करना होगा। चिकित्सा संस्थानों की फैकल्टी की भी अपनी जिम्मेदारियां होती हैं कि वह मेडिकल छात्रों को प्रयोगात्मक ज्ञान दें ताकि वह अपने क्षेत्र में परांगत हो सकें। डॉ. गुलाटी ने बताया कि मौजूदा समय में एआई का प्रयोग सभी क्षेत्रों में हो रहा है। चिकित्सा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है।

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