सुभासपा का चुनाव चिह्न अब चाबी होगा, उपचुनाव से पहले छड़ी छोड़कर चाबी पकड़ लिए हैं ओपी राजभर
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का सिंबल बदल गया है। राजभर ने छड़ी की जगह अब चाबी पकड़ ली है। सुभासपा की मीटिंग में चुनाव चिह्न को बदलने का फैसला लिया गया। साथ एक बार फिर ओम प्रकाश राजभर को सुभासपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का सिंबल बदल गया है। उपचुनाव से पहले राजभर ने छड़ी की जगह अब चाबी पकड़ ली है। सुभासपा की मीटिंग में चुनाव चिह्न को बदलने का फैसला लिया गया। साथ एक बार फिर ओम प्रकाश राजभर को सुभासपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। सोमवार को लखनऊ के रविंद्रालय में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की बैठक थी। बैठक में प्रदेशभर से पार्टी के कार्यकर्ताओं को बुलाया गया था। मीटिंग में पहले नई कार्यकारिणी को लेकर चर्चा हुई। इसके बाद यूपी विधानसभा उपचुनाव को लेकर पार्टी ने रणनीति तय करके कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए। कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में पार्टी के नए अध्यक्ष पर विचार विमर्श हुआ, जिसमें एक बार भी कार्यकर्ताओं ने ओम प्रकाश राजभर को सुभासपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया। इसके बाद सुभासपा अध्यक्ष ने अपनी पार्टी का चुनाव चिह्न भी बदल दिया। राजभर ने छड़ी छोड़कर अब चाबी का साथ पकड़ लिया।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता अरुण राजभर ने बताया कि पिछले एक महीने तक प्रदेश स्तरीय सदस्यता अभियान चलाया गया। ग्रामीण स्तर पर सक्रिय सदस्यता अभियान जारी रहेगा। सालिक यादव राष्ट्रीय संगठन मंत्री, रामललित चौधरी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, पतिराम राजभर राष्ट्रीय सदस्यता प्रभारी, राष्ट्रीय सचिव विनोद राजभर, कालूराम प्रजापति व रामाश्रय पासवान बनाए गए हैं। राधिका पटेल महिला मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाई गई हैं। इसके अलावा बिछेलाल राजभर एमएलसी को पूर्वांचल, अमरमणि कश्यप को मध्यांचल, सुजीत बंजारा को पश्चिमांचल, कालूराम प्रजापित को बुंदेलखंड का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा मोर्चों व प्रकोष्ठों के पदाधिकारियों की भी घोषणा की गई।
सरकार में रहते नहीं आई दलितों-पिछड़ों की याद
इस मौके पर ओम प्रकाश राजभर ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अभी से 2026 में होने वाले जिला पंचायत और आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटने का आह्वान किया। पूर्व सरकारों पर हमलावर होते हुए कहा कि सरकार में रहते हुए इन्हें शोषित, वंचित, पिछड़ा, दलित, अतिपिछड़ा एवं अल्पसंख्यक समाज के लोगों की याद क्यों नहीं आई? सरकार में रहते हुए जातिगत जनगणना, सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को लागू करने की याद क्यों नहीं आई? उन्होंने प्रदेशवासियों से इन पार्टियों से सावधान रहने की अपील की।
राजभर ने क्यों बदला पार्टी का सिंबल?
सुभासपा का सिंबल बदलने की चर्चा लोकसभा चुनाव के दौरान ही शुरू हो गई थी। दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान सुभासपा अपनी पार्टी की सिंबल छड़ी के साथ मैदान में आई थी। सुभासपा ने घोसी लोकसभा सीट से राजभर ने अपने बेटे को चुनाव मैदान में उतारा था। इस सीट से कई प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था। प्रत्याशी की संख्या बढ़ने की वजह से एक प्रत्याशी को चुनाव चिह्न हॉकी अलॉट किया गया था। चूंकि हॉकी और छड़ी एक जैसे लगते हैं इसको लेकर मतदाताओं में कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा हो गई थी। राजभर समर्थित मतदाताओं ने इसको लेकर सुभासपा के कार्यकर्ताओं से शिकायत भी की थी। हालांकि राजभर के बेटे चुनाव हार गए थे। इसी के बाद से ही सुभासपा के सिंबल को बदलने को लेकर राजभर चर्चा कर रहे थे।
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