महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते फिर भी किए जाते सबसे उपेक्षित
Lalitpur News - बोले ललितपुरफोटो- 2कैप्सन- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एकत्रित आशा महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते फिर भी किए जाते सबसे उपेक्षितसरकारों और विभाग ने जि
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बोले ललितपुर फोटो- 2
कैप्सन- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एकत्रित आशा
महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते फिर भी किए जाते सबसे उपेक्षित
सरकारों और विभाग ने जिम्मेदारी का बोझ तो लाद दिया पर मेहनताने में सिकोड़े हाथ
दूरदराज के गांवों तक स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन में अहम भूमिका
ललितपुर। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ कही जाने वाली आशा सबसे अधिक उपेक्षित हैं। एक के बाद एक योजनाओं को ग्रामीणों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उन पर डाली जा रही हैं लेकिन कमजोर आर्थिक स्थितियों के कारण गिरते कंधों को संभाले रखने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए। टीकाकरण में सहयोग, टीबी, फाइलेरिया व मलेरिया की दवा खिलाने, मातृ-शिशु दर कम करने, महिलाओं की जागरुकता सहित स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन में आशा की महती भूमिका है। लेकिन, उनको किसी प्रकार की सुविधाएं नहीं दी गयीं। महिला के प्रसव के दौरान होने वाली दिक्कतों पर कभी किसी ने ध्यान नहीं दिया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मड़ावरा में प्रसव के समय आशा को 24 घंटे तक रहना पड़ता है। बावजूद इसके रात में रुकने के लिए कोई स्थान तय नहीं है। उनको इधर-उधर टहलकर याफिर अस्पताल परिसर में खुले आसमान के नीचे रात बितानी पड़ती है। आशा बहुएं अपनी जिम्मेदारी को लेकर तो हमेशा मुस्तैद रहती हैं पर उनकी समस्याओं, दिक्कतों को लेकर कोई भी संजीदा नहीं है। यही नहीं, उनको सम्मान भी नहीं दिया जाता है। आशा प्रसूताओं को लेकर जिला मुख्यालय आती जाती हैं लेकिन यहां कार्यरत कर्मी उनसे अच्छे से बात तक नहीं करते हैं। जिला अस्पताल में प्रसव पीड़िता और उनके परिजन भ्रष्टाचार के शिकार होते हैं। बगैर फीलगुड के यहां गर्भवर्ती महिलाओं को हाथ तक नहीं लगाया जाता है। वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग से हर एक हजार की आबादी में एक आशा जोड़ी गई हैं। पहले चार से पांच हजार आबादी में एक आशा रहती थीं, तब प्रतिमाह छह से आठ प्रसव के केस मिलते थे, अब इनकी संख्या बहुत कम हो गयी है। महंगाई तो तेजी से बढ़ रही है लेकिन उनकी आदमनी में कोई इजाफा नहीं हुआ है। आशा बहुओं का सबसे बड़ी समस्या मानदेय की है। एक प्रसव पर आशा को 400 रुपये मिलते हैं। ये रुपये पाने के लिए उन्हें गर्भवती महिला के घर लगातार नौ माह तक जाना पड़ता है और जब डिलीवरी का मौका आता है तो आशाओं को 400 रुपये देने की आड़ में शोषण शुरू हो जाता है। आशा बहुओं के मुताबिक उनकी सेवाओं को देखते हुए उनको राज्य कर्मी का दर्जा और वेतन आदि समस्त सुविधाएं मिलनी चाहिए। यदि सरकार ऐसा नहीं कर सके तो कम से कम बीस हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय दिलाया जाए।
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ललितपुर। मड़ावरा निवासी आशा बहू गजरा देवी के मुताबिक हर हाल में अपनी जिम्मेदारी उठाने वाली आशाओं को अच्छे मेहनताने के रूप में उनका हक मिलना चाहिए। इससे वह और भी बेहतर ढंग से काम करेंगी। इतने कम मानदेय में आशाओं के सामने परिवार का भरण पोषण करने में समस्या रहती है। इस विषय में जिम्मेदारों को गंभीरता से विचार करना होगा।
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ललितपुर। आशा बहू दयावती देवी ने बताया ऊ्र८ स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत कर्मचारियों की तुलना में वह लोग कम काम नहीं करती हैं। लेकिन, उनका दर्जा कर्मियों के आस पास भी नहीं टिकता है। इसलिए कार्य की महत्ता को ध्यान में रखकर आशा को राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाए। राज्य सरकार का यह कदम आशा बहुओं के जीवन को बदलकर रख देगा।
आशा कर्मचारी को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने की मांग लंबे समय से की जा रही है। पर सरकार आशाओं को उनके हक देने में आनाकानी कर रही है। राज्य कर्मचारी का दर्जा मिलेगा तो आशाओं का जीवन आसान होगा।
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ललितपुर। मड़ावरा निवासी आशा बहू सकनलता देवी के मुताबिक गर्भवती महिला को वह निर्धारित समय पर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ दिलाती है। इसके बाद वह उसको लेकर सीएचसी व जिला अस्पताल जाती हैं। यहां उनको प्रसव के दौरान चौबीस घंटे अस्पताल में ही गुजारने पड़ते हैं। उनको रुकने के लिए तो कहा जाता है लेकिन ठहरने का स्थान नहीं बताया जाता है।
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ललितपुर। बैरवारा निवासी अनीता देवी ने बताया कि दूसरे के घरों में खुशहाली लाने में सहायक आशा बहुएं इस सिस्टम से बहुत दुखी रहती हैं। उनके जीवन की दुश्वारियां किसी को भी दिखाई नहीं देती हैं। उन्होंने विभिन्न समस्याओं को लेकर अफसरों को समय-समय पर शिकायती पत्र सौंपे लेकिन वह इनके निस्तारण को लेकर कभी भी गंभीर नहीं दिखाई दिए।
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ललितपुर। रनगांव निवासी आशा बहू पुष्प ने बताया कि सबका उपचार कराने के बावजूद उनके इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है।
जनपद की सभी आशा बहुओं को स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलना चाहिए। आशा और उनके परिवार के लोगों को आयुष्मान योजना से जोड़ दिया जाए तो स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं दूर हो जाएंगी। सकारात्मक दृष्टिकोण से आशाओं के लिए सोंचना ही होगा।
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ललितपुर। बैरवारा निवासी उत्तम देवी ने बताया कि कार्य क्षेत्र में सुरक्षा भी आशा बहुओं के लिए बहुत बड़ी समस्या है। रात के समय ये गर्भवती महिलाओं के साथ आवागमन उनको करना ही पड़ता है। अस्पताल और रास्ते में आते जाते समय कठिनाई होती है, ऐसे में आशा की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारों को सोंचना और आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
- आशा को मिले यह सुविधाएं
राज्यकर्मी घोषित करें याफिर बीस हजार रुपये मानदेय दें
अस्पतालों और सीएचसी में रुकने के लिए हो इन्तजाम
आशा की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उठाएं कदम
परिवार को स्वास्थ्य सेवाओं व आयुष्मान का दिलाएं लाभ
आशा के सम्मान और सुरक्षा का रखा जाए विशेष ध्यान
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