गंदगी के बीच बैठने को मजबूर सब्जी व्यापारी
Lakhimpur-khiri News - लखीमपुर खीरी की सब्जी मंडी में 300 से अधिक दुकानें हैं, लेकिन गंदगी, पानी की कमी और बंदरों के आतंक से व्यापारी परेशान हैं। नगर पालिका की अनदेखी के कारण व्यापारियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता...
सब्जी मंडी शहर के सबसे पुराने बाजार में एक है लेकिन यहां की समस्याओं से सब्जी व्यापार मुरझाता जा रहा है। यहां 300 से अधिक दुकानें हैं, हजारों लोगों की रोजी-रोटी चल रही है और लाखों का व्यापार होता है। लेकिन गंदगी, पीने के साफ पानी की कमी और बुनियादी सुविधाएं न होने से सब्जी व्यापारी परेशान हैं। नगर पालिका इस बाजार से नियमित कूड़ा तक नहीं उठाती है। जगह की कमी है सो अलग। हिन्दुस्तान से बातचीत में सब्जी कारोबारियों ने अपनी परेशानी साझा की। लखीमपुर खीरी का सब्जी बाजार सुबह से ही सजने लगता है और दोपहर तक यहां ग्राहकों की आवाजाही भी शुरू हो जाती है। शहर की मुख्य मंडी से लाकर दुकानदार यहां सब्जियां बेचते हैं। दोपहर से ही सब्जी खरीदने वालों की बाजार में भीड़ लगने लगती है जो रात के नौ बजे तक जारी रहती है। शहर के सब्जी बाजार में 300 से ज्यादा अस्थायी दुकानें, 400 से ज्यादा फड़ लगते हैं। इस बाजार से डेढ़ हजार के करीब व्यापारी जुड़े हुए हैं। इनमें बड़े सब्जी आढ़तियों से लेकर छोटे दुकानदार भी शामिल हैं। इस बाजार में इन दुकानदारों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सबसे बड़ी समस्या गंदगी, बंदरों और आवारा पशुओं के आतंक की है। इसके अलावा पीने के लिए साफ पानी की कमी और सफाई की स्थिति भी चिंताजनक है। इससे दुकानदारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कई किलोमीटर का सफर तय करके ये दुकानदार इस उम्मीद में अपनी दुकानें सजाते हैं कि उनकी मेहनत रंग लाएगी। लेकिन बाजार में कदम रखते ही उन्हें कई ऐसी समस्याओं से जूझना पड़ता है, जो उनके व्यवसाय को मुश्किल बना देती हैं। जब ‘हिंदुस्तान ने इन सब्जी विक्रेताओं से उनकी समस्याओं के बारे में बात की तो उनकी पीड़ा साफ नजर आई। यहां कई साल से खेत से सब्जी लाकर बेचने वाली महिला दुकानदार ने कहा कि बाजार में सबसे बड़ी समस्या गंदगी और बदबू की है। इसकी वजह से अब धीरे-धीरे ग्राहकों ने यहां आना कम कर दिया है।
बंदर झपटकर उठा ले जाते हैं सब्जी
सब्जी दुकानदारों के लिए एक बड़ी समस्या है, बंदरों का आतंक। यहां पूरा दिन बंदरों का झुंड घूमता रहता है। दुकानदार बताते हैं कि कई बार बंदर सब्जियों को उठा ले जाते हैंं। इस डर में हर समय डंडा लेकर बैठने पड़ता है। कई बार तो बंदर हमला भी कर देते हैं। कई दुकानदारों के साथ उनके बच्चे भी आते हैं। हर समय खतरा बना रहता है। बंदरों के हमले से बचने के लिए बच्चों की हर वक्त निगरानी करनी पड़ती है।
नगर पालिका ही यहां फैला रही गंदगी
सब्जी बाजार को साफ करने की कौन कहे, व्यापारियों की मानें तो पालिका ही यहां गंदगी फैला रहा है। सब्जी बाजार में खाली प्लाट की वजह से दुकानदार परेशान हैं। वहां कूड़ा फेंका जाता है। दुर्गंध उठती रहती है और ग्राहकों का खड़ा होना भी मुश्किल हो जाता है। सफाई कर्मी सुबह गलियों की सफाई के बाद कूड़ा इस खाली प्लॉट में डाल देते हैं। दुकानदार बताते हैं मजबूरन उन्हें बदबू में ही बैठना पड़ता है।
सब्जी मंडी में घुस आते हैं आवारा पशु
बाजार में आवारा सांड़ और कुत्तों की भी भरमार है। ये छुट्टा पशु अक्सर दुकानों के पास मंडराते रहते हैं और सब्जियां खा जाते हैं। दुकानदारों का कहना है कि कई बार पशुओं के कारण ग्राहकों का बाजार में आना दूभर हो जाता है। कई बार पशुओं के बीच झगड़े से बाजार में अफरा तफरी का माहौल हो जाता है।
पानी की सुविधा को बस एक हैंडपंप
सब्जी बाजार में पीने के पानी की भी उचित व्यवस्था नहीं है। दुकानदारों को दूरदराज से पानी लाना पड़ता है या फिर पानी खरीदना पड़ता है। गर्मियों में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। यहां एक टंकी सप्लाई तो है पर सालों से उसमें पानी नहीं है। एक हैंडपंप है, जिसमें पीने योग्य पानी नहीं आता है।
शिकायतें
- सब्जी बाजार की रोज साफ सफाई नहीं होती है।
- कोल्ड स्टोरेज नही बना है। इस वजह से सब्जियां खराब हो रहीं।
- पूरे सब्जी बाजार में एक हैंड पंप है, उसमे भी साफ पानी नहीं आता।
- नगर पालिका के सफाई कर्मी बाजार के खाली प्लाटों में भर रहे कूड़ा
- बंदर और छुट्टा गोवंश पशुओं का जमावड़ा रहता है।
- सब्जी बाजार में फड़वालों की जगह तय नहीं है, कई बार जगह को लेकर भी विवाद होने लगता है
सुझाव
- बंदरों और छुट्टा गोवंश पशु से निजात दिलाई जाए।
- सप्ताह में एक बार कूड़ाघर की सफाई करवाई जाए।
- पीने के लिए साफ पानी के लिए आरओ की व्यवस्था हो।
- सभी दुकानदारों को स्थाई दुकान या चबूतरा बनवाकर दिया जाए।
- सरकारी कोल्ड स्टोरेज का नर्मिाण हो।
- मंडी में कोई ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे दुकानदारों को जगह के लिए मशक्कत न करनी पड़े
सुनें हमारी परेशानी
सब्जी वक्रिेता सोमवती ने बताया कि महेवागंज से रोज सब्जी बेचने आती हैं। जब कभी देर हो जाती है तो दूसरे सब्जी वक्रिेता सामान रखकर बैठ जाते हैं, जिससे जगह नहीं मिलती है।
बसंत ने बताया कि बंदर और गौवंशीय बहुत नुकसान करते हैं। सब्जी उठा ले जाते हैं। पूरा दिन जानवरों से सब्जी बचाना पड़ता है। हम लोगों को स्थायी चबूतरा बनाकर दिया जाए, जिससे व्यापार हो सके।
गुरदीन गुप्ता ने बताया कि सब्जी मंडी में पीने के पानी के लिए एक हैंडपाइप लगा है। एक टंकी लगी थी जो काफी समय से खराब पड़ी है। नगर पालिका से कई बार मांग की गई, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
व्यापारी विमल कुमार ने बताया कि हम लोगों को बैठने के लिए कोई स्थाई जगह नहीं मिलती है। स्थाई चबूतरा बनवा दिया जाए तो अच्छा रहेगा। मंडी के अंदर अस्थायी दुकानों की भी जगह नहीं है।
प्रदीप कुमार बताते हैं कि सब्जी बाजार में हम लोगों को पल्ली बिछाकर बैठना पड़ता है। बरसात में पल्ली भीग जाती है तब बहुत समस्या होती है। बैठने की कोई जगह ही नहीं बचती है।
सब्जी वक्रिेता दीपक ने बताया कि बाजार में गंदगी बहुत बड़ी समस्या है। कई-कई दिनों तक सफाई नहीं होती। खाली पड़े प्लाटों में कूड़ा डाल दिया जाता है। इससे दक्कित आती है। हर मौसम में अपने और सब्जी के बचाव के लिए हमें ही व्यवस्था करनी पड़ती है।
जयपाल सिंह ने बताया कि सब्जी मंडी में बंदरों का झुंड हर समय रहता है। बंदर कई बार ग्राहकों और हम लोगों पर हमलावर भी हो जाता है। इस वजह से ग्राहक बाजार में आने से कतराते रहते हैं।
शिवा कश्यप ने बताया कि हम लोग राजापुर मंडी से सब्जी खरीद कर बेचने आते हैं। बची हुई सब्जी घर ले जाना पड़ता है। अगर यहां कोल्ड स्टोरेज बन जाए तो हम लोग किराया देने के लिए भी तैयार हैं।
सब्जी वक्रिेता मुख्तार ने बताया कि सब्जी मंडी में कई साल से कूड़ा घर बना है। यहां कभी कभार सफाई हो जाती है। रोज सफाई न होने से सारा दिन दुर्गंध आती रहती है। इस ओर पालिका ध्यान नहीं देती।
30 वर्षों से शहर की सब्जी मंडी में सब्जी बेचते आ रहे शराफत ने बताया कि इतने सालों में कभी कोई हमारी समस्या पूछने नही आया। यहां न तो साफ सफाई होती है, ना ही कोई योजना हम लोगों के लिए बनाई जाती है।
मोहम्मद जीशान ने बताया कि यहां सौ से अधिक सब्जी वक्रिेता आते हैं। पीने के पानी के नाम पर अभी एक हैंडपंप है। उसमें भी पीला खारा पानी आता है। हम लोगों को खरीदकर पानी पीना पड़ता है। पीने के पानी की समस्या का समाधान जरूरी है।
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