लबों पर वन्देमातरम गान और अंतस में हिंदुस्तान
निकटवर्ती ग्राम डेलपंडरवा में पंडित रामखिलावन मिश्र की स्मृति में साहित्य व कवि सम्मेलन हुआ । लखीमपुर के प्रसिद्ध गीतकार व संगीतकार राजेन्द्र प्रसाद तिवारी कंटक को यह सम्मान दिया गया। कवि...
निकटवर्ती ग्राम डेलपंडरवा में पंडित रामखिलावन मिश्र की स्मृति में साहित्य व कवि सम्मेलन हुआ । लखीमपुर के प्रसिद्ध गीतकार व संगीतकार राजेन्द्र प्रसाद तिवारी कंटक को यह सम्मान दिया गया। कवि जगजीवन मिश्र की वाणी वंदना बसे शुरू हुए कार्यक्रम में हरदोई के कवि करुणेश दीक्षित ने सुनाया- जीवन है खेल कोई पास को फेल, चलती है यूं ही ये सुख दुख की रेल। हास्य कवि विशेष शर्मा ने पढ़ा-कविता शारदा भवानी है, कविता समाज का दर्पण है।
सीतापुर के ओज कवि रजनीश मिश्र ने देश प्रेम की चेतना जगाते हुए पढ़ा-लबों पर वन्देमातरम गान और अंतस में हिंदुस्तान। न कोई लोभ न कोई भय बोल भारत माता की जय। अध्यक्षता कर रहे गोला के श्रीकांत तिवारी कांत ने कहा-यह हनक यह शान भी अच्छी नहीं लगती, झूठ की मुस्कान भी अच्छी नही लगती। कवियत्री अपर्णा सिंह ने चिंतन की पंक्तियां कुछ इस तरह पढ़ी-खो न जाएं हम कहीं कौम की किताब में, संस्कृति के साथ साथ सभ्यता बनी रहे। गीतकार अरविंद कुमार ने कुछ इस तरह से अपनी बात कही-अपने बारूद के हाथों में तुम नमी कर लो, राख की ढेरियों से आग निकल सकती है।
हास्य कवि कमलेश धुरंधर ने अलग अंदाज में पढ़ा-पानी बरसाओ मत बिजली चमकाओ मत,मेरे कमरे में रोशनी बहुत है। मिश्रिख से आये जगजीवन मिश्र ने मौजूदा हालातों को कुछ इस तरह व्यक्त किया-बड़ा मानता हूं तभी तो बड़े हो, नही कुछ पता बेबजह लड़े हो। कवि राजेंद्र तिवारी कंटक ने प्रेम की रचनाएं सुनाई-रूप को रंग में घोला जाए, कोई घूंघट न यूं खोला जाए। प्यार में लाजिमी है चुप रहना, क्या जरूरी है कि बोला जाए। कवि सुनीत बाजपेई , श्रीकांत सिंह , विनीत दीक्षित वागी , विकास मिश्र व संयोजक आशीष मिश्र ने भी रचनाएं सुनाई । कवि कंटक को अंग वस्त्रम व प्रशस्तिपत्र के साथ 2100 धनराशि देकर सम्मानित किया गया।
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