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बोले लखीमपुर खीरी: प्रमाणपत्रों का समय से सत्यापन और कैशलेस इलाज चाहते हैं माध्यमिक शिक्षक

Lakhimpur-khiri News - लखीमपुर खीरी के माध्यमिक शिक्षकों ने वेतन में देरी, पदोन्नति में रुकावट और चिकित्सा सुविधाओं की कमी के खिलाफ आवाज उठाई है। 1500 शिक्षक परेशान हैं और प्रमाणपत्रों के सत्यापन में देरी के कारण वेतन लंबित...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखीमपुरखीरीSat, 1 March 2025 12:02 AM
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बोले लखीमपुर खीरी: प्रमाणपत्रों का समय से सत्यापन और कैशलेस इलाज चाहते हैं माध्यमिक शिक्षक

बोले लखीमपुर खीरी: प्रमाणपत्रों का समय से सत्यापन और कैशलेस इलाज चाहते हैं माध्यमिक शिक्षक माध्यमिक विद्यालयों में सेवाएं दे रहे शिक्षक-शिक्षिकाएं परेशानियों से जूझ रहे हैं। वेतन में देरी, पदोन्नति में रुकावट की समस्या तो है ही, उनकी पुरानी पेंशन बहाली की मांग पर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। साथ ही कई विद्यालयों मे स्टाफ की कमी से उनकी समस्या और बढ़ गई है और शिक्षकों पर अतिरिक्त कार्यों का भी बोझ है। चिकित्सा सुविधा न मिलने की दिक्कत है सो अलग। हिन्दुस्तान से बातचीत में माध्यमिक शिक्षकों ने अपनी परेशानियां साझा कीं, साथ ही हेल्प डेस्क बनाने का सुझाव दिया जिससे उनकी समस्याओं का ससमय और समुचित समाधान हो सके।

जनपद के माध्यमिक विद्यालयों में 1500 के करीब शिक्षक-शिक्षिकाएं अपनी सेवा दे रहे हैं। संसाधन और सुविधाओं के कमी के बीच बेहतर शिक्षण कार्य का प्रयास कर रहे राजकीय व अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के इन शिक्षकों की मांगों पर कभी कोई विचार नहीं हुआ। जनपद स्तर पर इनकी समस्याओं को सुनने के लिए हेल्प डेस्क तक नहीं बनी है। वेतन में देरी, पदोन्नति में रुकावट, पुरानी पेंशन बहाली और चिकित्सा सुविधाओं की कमी से परेशान हैं। वेतन लंबित होने और प्रमाणपत्र सत्यापन में देरी ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

शिक्षकों की सबसे बड़ी परेशानी वेतन भुगतान में देरी है। तीन वर्षों से नवनियुक्त शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन नहीं हो सका है। इसके कारण उनका वेतन लंबित है। वहीं कई शिक्षक चयन वेतनमान और प्रोन्नत वेतनमान से वंचित हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति पर तो असर पड़ ही रहा, मानसिक रूप से भी परेशान हो रहे हैं। महंगाई भत्ते और हड़ताल अवधि के वेतन का भी भुगतान अब तक लंबित है। माध्यमिक शिक्षकों की एक अहम मांग पेंशन के साथ ही 2014 में बंद किए गए सामूहिक बीमा को दोबारा शुरू करने की भी है ताकि शिक्षक कठिन परिस्थितियों में सुरक्षित महसूस कर सकें। माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष विशाल वर्मा बताते है कि जिले के माध्यमिक विद्यालयों में पदोन्नति प्रक्रिया दो वर्षों से रुकी हुई है। जबकि अन्य मंडलों में यह प्रक्रिया जारी है। इससे न केवल शिक्षकों की पदोन्नति बाधित हो रही है बल्कि विद्यालयों का प्रशासनिक ढांचा भी प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा प्रधानाचार्य की नियुक्तियां भी रुकी हुई हैं जिससे विद्यालयों का संचालन प्रभावित हो रहा है। शिक्षकों की मांग है कि इन पदों को जल्द से जल्द भरा जाए। हर साल टीचर रिटायर होते हैं, उस मुकाबले उतनी भर्तियां नहीं हो पातीं। ऐसे में विषय विशेषज्ञ शिक्षक को भी दूसरी क्लास लेनी पड़ती है।

नए शिक्षकों के वेतन भुगतान में हो रही देरी

माध्यमिक शिक्षकों ने बताया कि जिले में कई नवनियुक्त शिक्षक-शिक्षिकाओं के शैक्षिक प्रपत्रों का सत्यापन समय से पूरा नहीं होता जिससे उनका वेतन लंबे समय तक लंबित रहता है। कई शिक्षक आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं और कर्ज लेने को मजबूर हो रहे हैं। कुछ शिक्षक परिवार की जरूरतें पूरी न कर पाने के कारण मानसिक तनाव झेल रहे हैं। शिक्षक लगातार इस समस्या के समाधान की मांग कर रहे हैं लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। विभागीय उदासीनता के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है, जिससे शिक्षकों में नाराजगी बढ़ रही है।

अब तक जारी नहीं हुआ चयन वेतनमान एवं प्रोन्नत वेतनमान

शिक्षकों का चयन वेतनमान एवं प्रोन्नत वेतनमान अब तक जारी नहीं किया गया है। यह शिक्षक-शिक्षिकाओं का अधिकार है, लेकिन देरी के कारण उन्हें आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई शिक्षक वर्षों से एक ही पद पर कार्यरत हैं, जिससे उनका मनोबल भी गिर रहा है और वे अन्य सुविधाओं से भी वंचित रह रहे हैं। शिक्षक संगठनों ने कई बार इस मामले में ज्ञापन दिया लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। मांग की जा रही है कि जल्द से जल्द लंबित वेतनमान जारी किए जाएं, ताकि शिक्षकों को राहत मिल सके।

एनपीएस खाता और लेखा-जोखा समय से हो अपडेट

माध्यमिक विद्यालयों के कई शिक्षकों का अब तक एनपीएस खाता नहीं खुला है, जिससे वे अपने बचत और पेंशन को लेकर असमंजस में हैं। वहीं, जिन शिक्षकों का एनपीएस कट रहा है, उनका लेखा-जोखा व्यवस्थित नहीं किया जा रहा। कई शिक्षकों को अपने कटौती का पूरा ब्यौरा तक नहीं मिल रहा है, जिससे भविष्य को लेकर वह ऊहापोह में हैं। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता न होने के कारण शिक्षकों में असंतोष बढ़ रहा है। शिक्षक चाहते हैं कि यह जीपीएफ की तरह नियमित और पारदर्शी हो ताकि उन्हें भविष्य में किसी प्रकार की परेशानी न हो और उनकी बचत की राशि सुरक्षित रहे।

पदोन्नति प्रक्रिया रुकने से बढ़ रही समस्या

शिक्षकों की पदोन्नति पिछले दो वर्षों से लंबित है, जबकि अन्य मंडलों में यह प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है। कई शिक्षक वर्षों से एक ही पद पर कार्य कर रहे हैं जिससे उनकी प्रोन्नति और वेतनमान में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है। बिना पदोन्नति के न केवल शिक्षकों का मनोबल गिरता है, बल्कि विद्यालयों की शैक्षिक गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है। जिले के शिक्षक मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द पदोन्नति प्रक्रिया बहाल की जाए, ताकि वे अपने करियर में आगे बढ़ सकें और उच्च पदों पर उनकी नियुक्ति हो सके। शिक्षकों का कहना है कि देरी से उनकी वरिष्ठता भी प्रभावित हो रही है जिससे उनके अधिकारों का हनन हो रहा है।

प्रधानाचार्यों की नियुक्ति में देरी का असर विद्यालय पर

माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्यों के कई पद रिक्त पड़े हैं जिससे विद्यालयों का प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहा है। शिक्षकों को अतिरिक्त कार्यभार संभालना पड़ रहा है। इसके चलते कहीं न कहीं शिक्षण कार्य भी बाधित हो रहा है। प्रधानाचार्य न होने से कई निर्णय लंबित रहते हैं और विद्यालयों की शैक्षिक व प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित होती है। शिक्षकों का कहना है कि प्रधानाचार्य की नियुक्ति प्रक्रिया तेज की जानी चाहिए ताकि स्कूलों का संचालन सुचारू रूप से हो सके और विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित न हो। शिक्षा व्यवस्था के बेहतर संचालन के लिए जल्द से जल्द रिक्त पदों को भरा जाना चाहिए, जिससे विद्यालयों में अनुशासन और गुणवत्ता बनी रहे।

हमारी भी सुनें:

माध्यमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष के अध्यक्ष विशाल वर्मा ने बताया कि माध्यमिक शिक्षकों को वेतन देरी, पदोन्नति बाधा, पुरानी पेंशन बहाली और चिकित्सा सुविधाओं की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। तीन वर्षों से नवनियुक्त शिक्षकों के प्रमाणपत्र सत्यापन में देरी के कारण उनका वेतन लंबित है। कई शिक्षक चयन वेतनमान और प्रोन्नत वेतनमान से वंचित हैं, जिससे आर्थिक संकट बढ़ रहा है। पुरानी पेंशन प्रणाली बहाल करने और 2014 में बंद सामूहिक बीमा को फिर शुरू करने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। इन समस्याओं का समाधान जल्द निकाला जाना चाहिए।

शिक्षक मनोज ने बताया कि 28 मार्च 2005 से पूर्व विज्ञापित पदों पर पुरानी पेंशन के विकल्प का शासनादेश हुआ था। इससे संबंधित फाइलों की आपत्तियों को यदि जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय से गहन जांचोंपरांत निस्तारित कर दिया जाए तो शिक्षकों को कार्यालय के बार-बार चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और फाइलें वापस नहीं आएंगी।

आशीष कुमार पांडे ने बताया कि माध्यमिक शिक्षकों को वेतन, पेंशन और प्रमोशन से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जीपीएफ अंशदायी शिक्षकों को लेखा पर्चियां समय पर नहीं मिल रही हैं और एनपीएस पासबुक प्रक्रिया भी धीमी है। 2016 भर्ती के शिक्षकों के प्रमाणपत्र सत्यापन में लापरवाही के कारण एरियर भुगतान अटका हुआ है। इसका जल्द समाधान जरूरी है।

शिक्षक विनोद कुमार वर्मा ने बताया कि शासकीय विद्यालयों में रखरखाव के लिए कोई भी अलग धनराशि आवंटित नहीं है जिससे विद्यालयों में कई समस्याएं बनी रहती हैं। पीने को साफ पानी मिलना चाहिए। स्वच्छ जल और शौचालयों की उचित व्यवस्था भी एक गंभीर समस्या है।

शिक्षक रामेंद्र कुमार गुप्त ने बताया कि बच्चों और अभिभावकों में शिक्षा के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही है। सरकार को ऐसी कोई स्कीम लानी चाहिए जिससे छात्र शिक्षा में रुचि लें और उनका झुकाव पढ़ाई की ओर बढ़े। जिससे शिक्षक छात्रों को आसानी और अच्छे ढंग शिक्षा दे सके।

दलीप कुमार सिंह ने बतााया कि हम सभी की अपनी परेशानियां होती हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर मेडिकल अवकाश के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं मिलता। कई बार ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं जब हमें छुट्टी की सख्त जरूरत होती है लेकिन हमारे पास कोई सुविधा नहीं होती।

शिक्षिका शिवानी शुक्ला ने बताया कि बोर्ड परीक्षाओं और मूल्यांकन कार्यों के दौरान अन्य कक्षाओं की लंबी छुट्टियों से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होती है। इससे पढ़ाई में अंतराल आ जाता है। शिक्षकों को इसे भरने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। साथ ही छात्रों को फिर से शुरुआत करनी पड़ती है। पढ़ाई की अंतराल न हो, इसके लिए व्यवस्था होनी चाहिए।

शिक्षक रंजन कुमार पाण्डेय ने बताया कि जितना ध्यान सरकार बेसिक शिक्षा पर देती है, उतना ही माध्यमिक शिक्षा पर भी देना चाहिए। आखिरकार इन छात्रों को भी सभी आवश्यक सुविधाएं मिलनी चाहिए ताकि वे बेहतर भविष्य बना सकें। माध्यमिक शिक्षक कई बुनियादी मांगे वर्षों से कर रहे हैं पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया।

शिक्षिका रश्मि सिंह ने बताया कि शीतकालीन अवकाश की कोई निश्चित व्यवस्था नहीं है जिससे शिक्षकों और छात्रों को परेशानी होती है। बेसिक की तरह माध्यमिक में भी व्यवस्था होनी चाहिए। नि:शुल्क चिकित्सा सुविधाएं दी जानी चाहिए।

स्वामी श्याम प्रकाश इंटर कॉलेज के शिक्षक अमित सिंह का कहना है कि हमारा तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। जिससे घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है। प्रबंध समिति को भंग कर विद्यालय का प्रबंधन कंट्रोलर के अधीन कर दिया गया है, लेकिन वेतन भुगतान को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। हमने कई बार डीआईओएस कार्यालय से संपर्क किया पर मामला हल नहीं हुआ।

शिक्षक मदन गोपाल वर्मा ने बताया कि अशासकीय शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने से गंभीर बीमारियों में भारी खर्च उठाना पड़ता है। साथ ही एरियरों का समय पर भुगतान न होने से आर्थिक परेशानियां बढ़ जाती हैं। सरकार को इन मुद्दों पर जल्द समाधान निकालना चाहिए।

शिक्षिका पूनम वर्मा ने बताया कि माध्यमिक विद्यालयों में महिलाओं की स्थिति में सुधार की नितांत आवश्यकता है। महिला कालेजों की बात अलग है, लेकिन सामान्य सहायता प्राप्त कालेजों में महिलाओं को पुरुषों के साथ ही काम करना होता है। ऐसे में उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कालेज स्तर पर एक हेल्प डेस्क बने।

कमल किशोर मौर्या ने कहा कि प्रमोशन पर लगी रोक तत्काल समाप्त हो। टीजीटी, पीजीटी की परीक्षाएं समय पर कराई जाएं। खेलकूद के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए और खिलाड़ियों को आर्थिक प्रोत्साहन मिले। सभी कालेजों में खेल शिक्षकों के पद भरे जाएं।

शिकायतें:

- नवनियुक्त शिक्षकों के प्रमाणपत्र सत्यापन में देरी से उनका वेतन लंबित है जिससे आर्थिक संकट बढ़ रहा है।

- वर्षों से शिक्षकों की पदोन्नति नहीं हुई जिससे उनका मनोबल गिर रहा है और वेतन वृद्धि भी प्रभावित हो रही है।

-कई कालेजों में प्रबंध समिति के विवाद के चलते शिक्षकों का वेतन अटक रहा है।

- विद्यालयों में प्रधानाचार्यों की नियुक्ति न होने से प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं और शिक्षकों पर अतिरिक्त भार बढ़ रहा है।

- अशासकीय शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने से गंभीर बीमारियों में भारी खर्च उठाना पड़ता है।

- कालेजों में रिक्त पड़े पद न भरे जाने के कारण शिक्षकों पर काम का बोझ है।

सुझाव:

- प्रमाणपत्र सत्यापन शीघ्र पूरा कर शिक्षकों को समय पर वेतन दिया जाए जिससे उनकी आर्थिक समस्याएं दूर हों।

- शिक्षकों की वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए पदोन्नति प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए ताकि उनका मनोबल बना रहे।

- विद्यालयों में प्रधानाचार्य के रिक्त पद शीघ्र भरे जाएं इससे प्रशासनिक व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित हो सकेंगी।

- शिक्षकों के लिए कैशलेस चिकित्सा सुविधा शुरू की जाए। इससे उन्हें गंभीर बीमारियों के इलाज के समय वित्तीय संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।

- कालेज प्रबंधन से जुड़े विवादों में शिक्षकों का हित न प्रभावित हो।

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