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बोले लखीमपुर खीरी: ऐतिहासिक मेला मैदान बाजार के व्यापारियों को चाहिए स्थायी स्थान

Lakhimpur-khiri News - मेला मैदान बाजार के व्यापारी लंबे समय से समस्याओं का सामना कर रहे हैं। यहां 400 से ज्यादा दुकानें हैं, लेकिन पानी, सफाई, शौचालय और पार्किंग की सुविधाएं बेहद खराब हैं। व्यापारियों ने प्रशासन से स्थायी...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखीमपुरखीरीTue, 18 Feb 2025 02:12 AM
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बोले लखीमपुर खीरी: ऐतिहासिक मेला मैदान बाजार के व्यापारियों को चाहिए स्थायी स्थान

मेला मैदान बाजार के व्यापारी लंबे समय से जटिल समस्याओं से जूझ रहे हैं। 400 से ज्यादा दुकानों वाले इस बाजार में कपड़े, जूते-चप्पल, बर्तन, क्राकरी जैसे उत्पादों का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है। यह न केवल शहर, बल्कि आसपास के गांवों और कस्बों के लोगों के लिए भी एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र बन चुका है। इसके बावजूद यहां पीने के पानी, सफाई, नाला निकासी, पार्किंग की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। साथ ही इस बाजार में कारोबारियों को स्थान आवंटित नहीं किया गया है। चैत महीने में जब मेला लगता है तो व्यापारियों को पूरा बाजार खाली करना पड़ता है। ऐसे में व्यापारियों की मांग है कि उन्हें स्थाई जगह आवंटित किया जाए, जिससे वे सालभर निश्चिंत होकर व्यापार कर सकें।

मेला मैदान बाजार की शुरुआत लगभग स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई थी। यह बाजार विशेष रूप से चैती मेले के दौरान अपनी पूरी रौनक पर होता था। बताया जाता है कि जब चैती मेला शुरू हुआ, तो यहां पर लकड़ी की सामान की दुकानें लगने लगीं। हल, चारपाई, लाठियां जैसी वस्तुओं के व्यापार ने यहां अपने पांव पसारे। उस समय यह बाजार केवल अस्थायी रूप में था, लेकिन समय के साथ यह एक स्थायी बाजार के रूप में विकसित हो गया।

व्यापारी बताते हैं कि जैसे-जैसे ग्राहकों की संख्या बढ़ी, यहां की दुकानें भी बढ़ने लगीं और बाजार स्थायी रूप से स्थापित हुआ। आज इस बाजार में 400 से अधिक दुकानें हैं और लगभग दस हजार लोग इससे जुड़कर अपनी आजीविका कमा रहे हैं। कपड़े का कारोबार यहां का सबसे बड़ा व्यवसाय है, और यहां के व्यापारी अपने माल को आसपास के गांवों और कस्बों के बाजारों में भी बेचते हैं। इसके अलावा जूते-चप्पल, बर्तन और क्राकरी जैसी वस्तुओं का भी यहां बड़ा बाजार है।

आज, मेला मैदान बाजार का आकार बहुत बड़ा हो चुका है, लेकिन यहां की सुविधाएं उतनी ही अपर्याप्त हैं। सबसे बड़ी समस्या बाजार में पानी की उपलब्धता की है। व्यापारियों का कहना है कि बाजार में पेयजल का कोई ठोस इंतजाम नहीं है। गर्मियों में ग्राहकों और दुकानदारों को पानी की तलाश रहती है, लेकिन उचित जलापूर्ति की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा, सफाई की स्थिति भी बेहद खराब है। बाजार के प्रमुख मार्गों और दुकानों के पास अक्सर कूड़ा-कचरा पड़ा रहता है, जिसे सफाई कर्मचारी समय पर नहीं हटाते। व्यापारी खुद ही दुकानों के सामने सफाई करते हैं, क्योंकि यदि वे ऐसा नहीं करेंगे तो कूड़ा-बिखरा रहेगा। कई बार व्यापारियों को कूड़ा जलाने तक की नौबत आ जाती है। समस्याओं से परेशान यहां के व्यापारी प्रशासन से समाधान की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि मेला मैदान बाजार का विकास और सुधार हो सके और यह फिर से अपने पुराने रौब और व्यापारिक महत्व को पुनः हासिल कर सके।

महिला ग्राहकों को होती है परेशानी

इस बाजार में शौचालय की समस्या भी एक गंभीर विषय बन चुकी है। खासकर महिला ग्राहकों के लिए शौचालय की अत्यधिक कमी है। व्यापारी बताते हैं कि बाजार के गेटों के हिसाब से कम से कम छह शौचालय होने चाहिए थे, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। महिलाएं यहां शौचालय की तलाश में भटकती हैं, और यह उनकी खरीदारी को भी प्रभावित करता है। हालांकि इस मुद्दे पर कई बार व्यापारियों ने नगर पालिका से गुहार लगाई है, लेकिन इसका समाधान अब तक नहीं निकला है।

चैती मेले में होती है काफी दिक्कत

मेला मैदान बाजार की एक और समस्या है, जो हर साल चैती मेले के दौरान सामने आती है। चैत माह में मेला मैदान की पूरी जमीन का इस्तेमाल किया जाता है। नगर पालिका हर साल मेला शुरू होने से पहले व्यापारियों से अस्थायी दुकानों को हटा देती है। व्यापारी अपना सामान लेकर इधर-उधर चले जाते हैं, और इस दौरान लगभग दो महीने तक उनके पास कोई रोजगार नहीं रहता। यह स्थिति विशेष रूप से मसाला व्यापारियों के लिए ज्यादा कठिन होती है, क्योंकि उन्हें अस्थायी रूप से अपनी दुकानें हटाने के कारण गंभीर नुकसान का सामना करना पड़ता है।

बाजार का एक रास्ता भी किया बंद

मिल रोड से मेला मैदान बाजार को जोड़ने वाली सड़क पर कोतवाली पुलिस द्वारा नींव खुदवा कर निर्माण कराया जा रहा है। इससे सड़क बंद हो गई है, जिसे लेकर मेला मैदान समेत तमाम व्यापारियों ने एतराज जताया है।

संकरी हैं सड़कें, पार्किंग न होने से दिक्कत

मेला मैदान बाजार की एक और बड़ी समस्या यहां की संकरी सड़कें और पार्किंग की अनुपलब्धता है। बाजार के पास कोई उचित पार्किंग व्यवस्था नहीं है, और यही कारण है कि ग्राहक अपनी गाड़ियां सड़क पर ही खड़ी करते हैं। इसके चलते सड़क पर जाम लगना एक सामान्य बात हो गई है। दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है। व्यापारी भी इस समस्या से जूझते हैं, क्योंकि उन्हें अपने वाहनों को दूर कहीं पार्क करने के बाद ही बाजार में आना पड़ता है।

पानी निकासी का नहीं बेहतर इंतजाम

इसके अलावा, बाजार का इलाका सड़क से नीचा है, और इसकी पटाई भी ठीक से नहीं की गई है। नगर पालिका केवल मेला आयोजन के दौरान ही पटाई कराती है, लेकिन बाकी जगहों की स्थिति जस की तस बनी रहती है। बारिश के दौरान जलभराव की समस्या विकराल हो जाती है। जब पानी की निकासी के उचित इंतजाम नहीं होते, तो जलभराव से बाजार का कारोबार प्रभावित होता है। कच्ची गलियों में कीचड़ जमा हो जाता है, और ग्राहकों को खरीदारी में कठिनाई होती है।

नगर पालिका ध्यान दे तो बने व्यवस्था

बाजार में बुनियादी सुविधाओं का अभाव और व्यापारियों की लगातार बढ़ती समस्याओं के बावजूद नगर पालिका कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। सफाई कर्मियों की टीम, शौचालयों की व्यवस्था, जलापूर्ति और पार्किंग की समस्या जैसे मुद्दे अनदेखे हैं। इस पूरी स्थिति में व्यापारियों का कोई हल नहीं निकल रहा है, और वे प्रशासन से उम्मीद करते हैं कि उनकी समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द किया जाएगा।

समस्याएं:

1. मेला मैदान बाजार में गर्मियों के मौसम में पेयजल की समस्या गंभीर हो जाती है। पानी की कमी के कारण दुकानदारों और ग्राहकों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

2. बाजार में सार्वजनिक शौचालयों की बेहद कमी है, जिससे खासकर महिला ग्राहकों को असुविधा होती है। महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था बिल्कुल न के बराबर है।

3. नगर पालिका ने आंबेडकर चौराहे पर स्थित शौचालय को तोड़ दिया है, जिससे आसपास के क्षेत्र के लोग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।

4. मेला मैदान बाजार में वाहन पार्क करने की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। ग्राहक अपनी गाड़ियां सड़क पर खड़ी कर देते हैं, जिससे न केवल जाम लगता है, बल्कि दुर्घटनाओं का भी खतरा बढ़ जाता है।

5. बाजार में समय पर सफाई नहीं होती, जिससे गंदगी का अंबार लगता है। कूड़ा इधर-उधर पड़ा रहता है और स्वच्छता की कोई व्यवस्था नहीं है।

6. हर साल बरसात में मेला मैदान बाजार में जलभराव की समस्या पैदा हो जाती है, जिसके कारण व्यापार प्रभावित होता है और गलियों में कीचड़ जमा हो जाता है।

सुझाव:

1. बाजार में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था के लिए आरओ सिस्टम लगवाए जाएं, जिससे दुकानदारों और ग्राहकों को साफ पानी मिल सके।

2. कम से कम चार सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया जाए, जिससे महिलाओं और अन्य ग्राहकों को दिक्कत न हो।

3. बाजार में वाहनों के लिए उचित पार्किंग की व्यवस्था बनवानी चाहिए, ताकि ग्राहक बिना परेशानी के अपना वाहन पार्क कर सकें।

4. बाजार की नालियों की नियमित सफाई की जाए और कूड़ादान लगवाए जाएं, ताकि गंदगी और जलभराव की समस्या से निजात मिल सके।

5. बाजार की गलियों को पक्का करवा दिया जाए, जिससे बरसात के मौसम में जलभराव और कीचड़ की समस्या कम हो सके।

व्यापारियों की आवाज़:

रेडीमेड कपड़े के व्यापारी मकसूद अली का कहना है कि मेला मैदान बाजार एक बहुत पुरानी और पारंपरिक जगह है, जहां पीढ़ी दर पीढ़ी लोग काम करते आए हैं। बड़े शहरों से लाकर यहां कपड़े बिकते हैं, लेकिन इतनी पुरानी बाजार होने के बावजूद हमारी समस्याओं का हल नहीं निकला है।

क्राकरी दुकानदार शीबू बताते हैं कि इस बाजार में सैकड़ों दुकानें हैं और हर दिन हजारों ग्राहक आते हैं। खासकर सहालग के सीजन में ग्राहक की संख्या और बढ़ जाती है। बाजार की गलियां संकरी होने के कारण न तो हम वाहन अंदर ला पाते हैं, और न ही ग्राहक को अंदर लाने में कोई सुविधा है।

बर्तन व्यापारी गोविंद कुमार का कहना है कि समय के साथ ग्राहक बढ़े हैं, तो सुविधाएं भी बढ़नी चाहिए थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। बाजार में कई गलियां पक्की नहीं हैं, जिससे बारिश के मौसम में दुकानदारों और ग्राहकों को बहुत परेशानी होती है।

व्यापारी साहिल अंसारी कहते हैं कि बाजार की सफाई व्यवस्था नियमित नहीं है, और गलियों को समतल किया जाना चाहिए। यदि निचले इलाकों की मिट्टी पटाई कर दी जाए, तो यह व्यापारियों और ग्राहकों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकती है।

विशाल गुप्ता बताते हैं कि मेला मैदान बाजार में कपड़ा, जूते-चप्पल, क्राकरी, चूड़ियां, कास्मेटिक्स, जनरल स्टोर आदि की लगभग 400 दुकानें हैं। यहां काम करने वालों की संख्या लगभग दो हजार है, लेकिन यहां की सुविधाएं बहुत खराब हैं।

व्यापारी रमेश सिंह का कहना है कि कई ग्राहक साइकिल या मोटरसाइकिल से आते हैं, लेकिन कहीं भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। लोग अपनी बाइक को गलियों में छोड़ देते हैं, जिससे दुकानों के सामने रास्ते बंद हो जाते हैं। इसके लिए बाजार में पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए।

बीना सिंह का कहना है कि मेला मैदान बाजार में सबसे ज्यादा महिलाएं आती हैं। महिलाओं की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यहां शौचालय की बेहतर व्यवस्था की जानी चाहिए। महिलाओं के लिए अलग-अलग गेटों और छोरों पर शौचालय बनाए जाएं।

व्यापारी मुन्ना सिंह का कहना है कि बाजार में सुरक्षा के इंतजाम किए जाने चाहिए। कई बार छोटी-बड़ी चोरियां हो चुकी हैं, और रात के समय यहां सन्नाटा रहता है। सभी गलियों में पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था नहीं है, इसलिए दुकानें सुरक्षित नहीं रहतीं।

चांदनी का कहना है कि मेला मैदान बाजार से हजारों लोगों की रोजी-रोटी चलती है, और यह न केवल शहर, बल्कि पड़ोस के कस्बों और गांवों से भी जुड़ा हुआ है। खासकर चैती मेले के दौरान और सहालगों में बाजार में भीड़ बढ़ जाती है, इसलिए यहां की व्यवस्था और सुविधाओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

व्यापारी मेजाज अली का कहना है कि मेला मैदान बाजार निजी बाजार है, जहां नगर पालिका के काम केवल आधे हिस्से तक ही सीमित हैं। बाकी हिस्से में शौचालय, पेयजल और अन्य सुविधाओं के इंतजाम अधूरे हैं, जिन्हें जल्द से जल्द सुधारने की आवश्यकता है।

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