खेतों को निगलते देवीपुरवा गांव की ओर बढ़ रही घाघरा नदी
घाघरा नदी का कटान देवीपुरवा और माथुरपुर के पास नहीं रुक रहा है। नदी तेजी से खेत और फसलें निगल रही है। यदि ठोस कदम नहीं उठाए गए तो गांवों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। पिछले दो दशक में 18 से अधिक...
रमियाबेहड़। देवीपुरवा और माथुरपुर के पास घाघरा नदी का कटान नहीं थम रहा है। बाढ़ खंड के बचाव के सभी दावों को दरकिनार करते हुए नदी तेजी से कटान करते हुए आगे बढ़ रही है। नदी तेजी से लहहाती फसलों और खेतों को निगलते हुए आगे बढ़ रही है। कटान रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो जल्द ही मुहाने पर आए सभी गांवों का वजूद खत्म हो जाएगा। घाघरा नदी में पिछले दो दशक के अंदर 18 से अधिक गांव समा चुके हैं। इसमें से माथुरपुर, सहजदिया और मोटे बाबा गांव अब फिर घाघरा के निशाने पर आ गए हैं। यह तीनों गांव एक दशक पूर्व घाघरा में समा गए थे। यहां के कटान पीड़ित सभी ग्रामीण नदी से कोसों दूर सुरक्षित स्थानों पर जैसे तैसे अपना-अपना आशियाना बनाकर गुजर बसर कर रहे थे। अब नदी ने फिर से निशाने पर ले लिया है।
घाघरा नदी इन दिनों सुजानपुर, देवीपुरवा, माथुरपुर, सहजदिया, लालापुर, मोटेबाबा, रामनगर बगहा और गुलरिहा तालुके अमेठी, तेलियाघाट के पास जबरदस्त कटान कर रही है। इसमें माथुरपुर और देवी पुरवा गांव पर कटान का खतरा मड़राने लगा है। दोनों गांवों से नदी की दूरी महज सौ मीटर दूरी बची है। सुजानपुर निवासी ग्रामीण रामसमुझ, मिहींलाल, रत्तीराम, बांके लाल तथा रमेश कुमार आदि कटान रोधक कार्य करा रहे जिम्मेदारों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए बताया कि दिन में बांस बल्ली और बोरियों में मिट्टी भरकर डाली जाती है और रात में नदी सब कुछ बहा ले जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते शासन प्रशासन द्वारा कटान रोधक कार्य के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये गए तो पहले की तरह सभी गांव बारी बारी से कटान की भेंट चढ़ जाएंगे। एसडीओ बाढ़ खंड बीडी गौतम ने बताया कि कटान रोधक कार्य पर चल रहा है। गांव को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहें हैं।
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