सरकार से मिले बाढ़ राहत अनुदान में हिस्सा मांग रहे लेखपाल
निघासन में बाढ़ से तबाह किसानों को मामूली मुआवजा मिला है, लेकिन लेखपाल उनसे हिस्सा मांग रहे हैं। इससे किसान बेहद परेशान हैं। सरकार ने गेहूं और गन्ने की फसल के लिए मुआवजा दिया, पर यह नुकसान की भरपाई...
निघासन। एक तो शारदा और मोहाना आदि नदियों की बाढ़ ने किसानों को तबाह करके रख दिया है। ऊपर से सरकार से उनको मिली मामूली रकम में भी लेखपाल हिस्सा मांग रहे हैं। इससे बाढ़ में फसल गंवाने वाले किसान बहुत परेशान हैं। बाढ़ में अपनी गेहूं और गन्ने की फसल गंवाने वाले कुछ किसानों को सरकार ने कृषि निवेश से मुआवजा देकर उनके घाव पर मरहम रखने की कोशिश की है। सरकार के निर्देश पर जिले और तहसील के अफसरों ने आनन-फानन में लेखपालों से फाइलें बनवाकर उनको ऑनलाइन करवा दिया। सरकार की तरफ से बाढ़ में कटी धान की फसल के लिए सत्रह हजार रुपए प्रति हेक्टेयर और गन्ने के लिए साढ़े बाइस हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की मदद प्रभावित किसानों को दी गई है। हालांकि किसानों के मुताबिक यह उनके नुकसान की भरपाई नहीं है।
इसके अलावा तहसील के सभी किसानों को यह मदद हासिल भी नहीं हो सकी है। तमाम किसान कृषि निवेश से मिली यह सहायता नहीं पा सके हैं जबकि उनकी जमीन और फसल सभी कुछ नदी ने लील लिया है। ऊपर से रही सही कसर कुछ लेखपाल पूरी कर रहे हैं। तहसील के कुछ किसानों ने नाम न खोलने की शर्त के साथ बताया कि उनको सरकार से जो इमदाद उनके बैंक खातों में भेजी गई है, उसमें आधा हिस्सा मांग रहे हैं। न देने पर अगली बार उनकी कोई मदद न करने और कोई और मामला पड़ने पर रगड़ देने की बात कहते हैं। इससे किसान परेशान हैं। उनका कहना है कि नुकसान ज्यादा और मुआवजा कम होने से वे पैसा देना नहीं चाहते लेकिन वे लेखपाल को पैसे न देकर या उसकी शिकायत करके बैर भी नहीं ले सकते।
हालांकि अभी तक मेरे पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है लेकिन अगर दैवी आपदा के पैसे में सेंधमारी की कोई शिकायत मिलती है तो संबंधित लेखपाल के विरुद्ध निश्चित ही कठोर कार्रवाई होगी।
राजीव निगम, एसडीएम निघासन
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