समितियों पर नहीं है डीएपी खाद, भटक रहा किसान
क्षेत्र की समितियों पर खाद का टोटा है। किसान डीएपी और एनपीके खाद के लिए परेशान हैं। मितौली में 300 बोरी डीएपी आई, लेकिन 250 बोरी बिक गई। अन्य समितियों में खाद की भारी कमी है। सचिव ने बताया कि सभी...
क्षेत्र की समितियों पर खाद का टोटा है। डीएपी व एनपीके खाद के लिए लिए किसान समितियों के चक्कर लगा रहा है। लेकिन उसे निराशा ही हाथ लग रही है। खाद न मिल पाने की वजह से गेहूं की बुवाई प्रभावित हो रही है। मितौली कस्बे की सहकारी समिति पर दो दिन बाद मंगलवार को 300 डीएपी की खेप पहुंची है। सचिव अर्चना सिंह ने बताया कि मंगलवार को ही 250 बोरी ब्रिकी हो गई है। उन्होंने बताया कि 16 अक्टूबर को 600 बोरी एनपीके खाद आई थी। जो 7 नवम्बर को खत्म हो गई थी। वहीं 16 अक्टूबर को ही 550 बोरी डीएपी खाद आई थी। जो 18 नवम्बर को खत्म हो गई है। इसके अलावा 5 सितम्बर को 600 बोरी यूरिया खाद आई थी। जिसमें से 250 बोरी यूरिया खाद बची हुई है। उन्होंने बताया कि डीएपी खाद के लिए डिमांड भेज दी गई है। वहीं बबौना समिति पर करीब 12 दिनों से खाद नहीं है। इसके अलावा मुरासा में 17 नवम्बर से, अवगांवा में 10 नवम्बर से, गढ़ी इब्राहिम पुर व संडिलवां समितियों पर कर 15 दिनों से गोदाम खाली पड़े हैं। यहां यूरिया, एनपीके व डीएपी नहीं है। भीखमपुर समिति पर यूरिया की उपलब्धता है। जबकि करें 15 दिनों से डीएपी और एनपीके नहीं है। वहीं ओदरहा समिति पर मंगलवार को वितरण के बाद डीएपी का स्टाक भी निल हो गया है। जबकि एनपी एक सप्ताह से नहीं है। वहीं कस्ता समिति पर डीएपी की उपलब्धता है। सचिव सलीम अहमद ने बताया कि गुरुवार को खाद का वितरण होगा। वहीं गुलौला समिति पर मंगलवार को डीएपी का वितरण किया जा रहा है। कस्ता व गुलौला समिति पर भी एनपीके नहीं है। एडीओ कोऑपरेटिव राम पारस प्रजापति ने बताया की सभी समितियों पर नैनो डीएपी उपलब्ध है। बैग की उपलब्धता अधिकांश समितियां पर नहीं है। मंगलवार को ओडरहा व मितौली समितियों पर डीएपी का वितरण किया गया है। रैक आते ही सभी समितियों पर खाद की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी।
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