46 दिनों में लखीमपुर के जिला अस्पताल 18 बच्चों की मौत
स्वास्थ्य महकमा एक तरफ बेहतर इलाज का दंभ रहा है वहीं दूसरी तरफ नवजात बच्चों से लेकर बीमार बड़े बच्चों के इलाज का पूरा इंतजाम नहीं कर पा रहे है। आलम यह है कि सर्दी के मौसम में भर्ती होने वाले बच्चों को...
स्वास्थ्य महकमा एक तरफ बेहतर इलाज का दंभ रहा है वहीं दूसरी तरफ नवजात बच्चों से लेकर बीमार बड़े बच्चों के इलाज का पूरा इंतजाम नहीं कर पा रहे है। आलम यह है कि सर्दी के मौसम में भर्ती होने वाले बच्चों को लगातार गिर रहे बच्चों को बिना तापमान मेंन्टेन करे ही रहने पर विवश होना पड़ रहा है। इसका ही कारण है कि इस समय जिला अस्पताल में आने वाले बच्चों की तादात काफी कम है। जो आ रहे है उनमे से कुछ सही आर्थिक स्थिति वाले अपने बच्चों को लेकर चले जा रहे है। इसके बाद भी महज 46 दिन में बच्चों की मौत होने का आंकड़ा 18 पहुंच गया है।
जिला स्तर पर बच्चों के लिए जिला अस्पताल का चिल्ड्रेन वार्ड है, आईसीयू और न्यूबोर्न केयर यूनिट की भी सुविधा है। इसके बाद भी जिले में लगातार बच्चों की हो रही मौतों पर विराम नहीं लग पा रहा है। चिल्ड्रेन वार्ड में बच्चों के इलाज के तौर पर बेड क म्बल देकर ही काम चलाया जा रहा है। चिल्ड्रेन वार्ड में महज एक नेबुलाइजर मशीन है इसके सहारे ही काम चल रहा है। वार्ड में इफ्यूजन पंप, मल्टीपैरा मॉनीटर, पल्स ऑक्सीमीटर, वॉर्मर की भी सुविधा नहीं है। आलम यह है कि आक्सीजन पाइप लाइन न होने के चलते आक्सीजन सिलेंडर से ही काम चलाना पड़ रहा है।
नवजात केसर यूनिट में बेड की कमी
जिला महिला अस्पताल में नवजात बच्चों को भर्ती कर रखने को न्यू बोर्न केयर यूनिट संचालित है। इसमें महज दस बेड की ही सुविधा है। वहीं अस्पताल में रोजाना 25 डिलीवरी होती है। इनमें से करीब पांच बच्चे गंभीर बीमार होते है। मशीन खाली न होने के चलते इनको प्राइवेट भर्ती कराना पड़ रहा है।
खाली आईसीयू लोगों को चिढ़ा रहा
जिला अस्पताल में जेई और एईएस बीमारी सहित गंभीर बीमार बच्चों को भर्ती करने को आईसीयू भी बना हुआ है। इस आईसीयू में इलाज की बेहतर और नई तकनीक के उपकरण लगे है। इसके बाद भी लगभग दो माह से आईसीयू खाली ही पड़ा हुआ है।
इन बच्चों की इलाज के दौरान हुई मौत
सौम्या, अल्सीका, आतिब, गुडिया, मोहम्मद अल्फाक, दिव्या,उस्मान, लकी, महिमा सहित 18 बच्चों की मौतें हुई
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