कवि सम्मेलन के साथ धौरहरा महोत्सव का समापन

कस्बा में चल रहे धौरहरा महोत्सव के अंतिम दिन पुरस्कार वितरण सम्मान समारोह और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। मंगलवार को महोत्सव का समापन कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह के साथ किया गया। कार्यक्रम में...

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान संवाद, धौरहरा-खीरीWed, 8 Jan 2020 12:50 PM
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कस्बा में चल रहे धौरहरा महोत्सव के अंतिम दिन पुरस्कार वितरण सम्मान समारोह और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। मंगलवार को महोत्सव का समापन कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह के साथ किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रांत समरसता प्रमुख राज किशोर मौजूद रहे। कवि सम्मेलन की शुरुआत कवि आशुतोष शुक्ला ने मां शारदे की वाणी वंदना से की। संचालन धीरज मिश्रा ने किया। 

कवि ज्ञान प्रकाश आकुल ने पढ़ा- मानता हूं कि हमारे लिए गंगा, गीता ,गाय और गायत्री गणेश से बड़ा नहीं किंतु आर्त हो पुकारती है भारती तो कोई धर्म मेरे लिए देश से बड़ा नहीं। कवि शोभित तिवारी ने पढ़ा- नारियों की ओर जो भी डालते कुदृष्टि नित्य छातियों पर उनके भी गोली होनी चाहिए। धीरज मिश्र ने पर्यावरण पर कविता सुनाई- हे विराट वृक्ष तो क्षमा हम तुम्हें बचा नहीं सके। शाश्वत अभिषेक ने पढ़ा- दुखी त्रासित जमाने के हृदय उद्गार लिख दूंगा गरीबी पर प्रशासन की करारी मार लिख दूंगा।

कवि आशुतोष शुक्ला ने सुंदर प्रस्तुति से सबको ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। इसके अलावा महेश मिश्रा, राजहंस मिश्रा, प्रभात बाजपेयी और जगदीश पांडे ने काव्यपाठ किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता अचल अवस्थी ने की। धौरहरा महोत्सव में योगदान देने वाले व प्रतियोगिता में भाग लेने वाले बच्चों को सम्मानित किया गया। इस दौरान सुरेंद्र दीक्षित, योगेंद्र मिश्रा, तरुण अवस्थी, प्रमोद तिवारी, हर्षित मिश्रा, राहुल जयसवाल, रविंद्र साहू,अमन मिश्रा सहित समस्त कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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