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Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़लखीमपुरखीरीDevastating Erosion by Ghaghra River Threatens Homes in Dundi Village

धौरहरा में घाघरा नदी ने काट लिए दो और घर

धौरहरा तहसील के डुंडकी गांव में घाघरा नदी ने भारी तबाही मचाई है। आधे से ज्यादा घरों को काट लिया गया है और करीब 50 घरों के निवासियों की नींद उड़ी हुई है। सरकारी प्रयास विफल हो गए हैं और कटान रोकने के...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखीमपुरखीरीWed, 4 Sep 2024 06:05 PM
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ईसानगर/हसनपुर कटौली। धौरहरा तहसील के डुंडकी गांव में घाघरा नदी का कहर जारी है। गांव के ब्रजमोहन और गजे के घरों का आधे से ज्यादा हिस्सा घाघरा ने काट लिया। बचा हिस्सा नदी के किनारे पर लटका हुआ है। डुंडकी के करीब दर्जन भर घर घाघरा नदी में समा चुके हैं। सात घर अभी भी कटान की जद में हैं। डुंडकी में कटान रोकने के सरकारी प्रयास भी फेल हो गए हैं। सिंचाई विभाग के अधिकारी भी हाथ खड़े कर चुके हैं। कटान रोकने के लिए बनाई गईं ठोकरें भी घाघरा नदी की तेज धार के साथ बह गई हैं। धौरहरा तहसील के डुंडकी गांव में करीब दर्जन भर घाघरा नदी की भेंट चढ़ गए हैं। घाघरा नदी के कटान की रफ्तार देख करीब 50 घरों से खुशहाल आबाद छोटे से गांव डुंडकी के वाशिंदों की नींद गायब है। गांव वालों का कहना है कि अब तक कटान रोकने के सभी सरकारी प्रयास ध्वस्त हो चुके हैं। घाघरा नदी के किनारे स्थित तीन स्थानों को चिन्हित कर ठोकरें बनाई गई थीं। दो ठोकरें घाघरा नदी की तेज धार में बह गई हैं। ठोकरों के बहने के साथ मंगलवार को घाघरा का रुख देख अधिकारियों ने भी अब काम रोक दिया है। इधर कटान करती घाघरा नदी ने ब्रजकिशोर और गजे के घर को निशाने पर ले लिया है। बुधवार को सुबह से ब्रजकिशोर और गजे के घर कटने शुरू हुए तो पड़ोस के

गेंदे, रजनीश, प्रमोद, कुसुमा, अमरीश और प्रदीप के घर को घाघरा नदी का अल्टीमेटम मिल गया है। इन घरों के बाशिंदों ने गृहस्थी का सामान समेटना शुरू कर दिया है। कटान पीड़तों को सामान रखने की जगह तलाशना भी मुश्किल हो रहा है। गांव वालों ने बताया कई लोगों ने गृहस्थी का सामान नदी के दूसरे किनारे स्थित गांव में रहने वाले रिश्तेदारों के घरों को ठिकाना बनाया है। डुंडकी गांव में सात घर नदी के मुहाने पर आ गए हैं। जिनके घर कटान की जद में आए हैं। वे गृहस्वामी अपने घरों को उजाड़ रहे हैं। कुछ विस्थापित परिवारों के रिश्तेदार नजदीकी गांवों में हैं। उनको रिश्तेदारों का सहारा मिल रहा है। पर जिनके रिश्तेदार दूर हैं। उनकी दिक्कतें ज्यादा हैं।

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