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बोले लखीमपुर खीरी, फूल कारोबारियों को मिले स्थायी बाजार तो खिल उठे कारोबार

Lakhimpur-khiri News - लखीमपुर जिले के फूल व्यापारियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्थायी मंडी और कोल्ड स्टोरेज की कमी से उनका व्यापार प्रभावित हो रहा है। फूल विक्रेता अस्थायी दुकानों पर निर्भर हैं और नगर...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखीमपुरखीरीTue, 18 Feb 2025 11:56 PM
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बोले लखीमपुर खीरी, फूल कारोबारियों को मिले स्थायी बाजार तो खिल उठे कारोबार

मौका चाहे किसी मांगलिक समारोह का हो या फिर किसी के सम्मान का, मंदिर की मूर्तियों पर चढ़ाना हो या दरगाह में सजदा करना, हर मौके पर फूल की जरूरत होती है। बिना फूल के कोई भी आयोजन अधूरा है। फूल का कारोबार करने वाले, हर वक्त इनके बीच रहने वाले फूल कारोबारियों के चेहरों पर खुशी नजर नहीं आती। जिले में फूल के व्यवसाय से जुड़े तीन हजार लोगों के पास ना तो फूलों को सहेजने के लिये कोल्ड स्टोरेज है ना ही कोई मण्डी। फूल विक्रेताओं के पास स्थायी दुकान तक नही है। सरकारी योजनाओं की रोशनी भी इन लोगों तक कम ही पहुंच पाती है। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान से फूल कारोबारियों ने दर्द साझा किया।

फूल के कारोबार में मुनाफे की कम और नुकसान बचाने की चिंता अधिक रहती है। लखीमपुर शहर में संकटा देवी, स्टेशन रोड, मेला मैदान के आसपास फूलों की 50 से ज्यादा दुकानें हैं जबकि गोला में भी करीब 100 दुकानें हैं। लखीमपुर जिले के करीब तीन हजार लोग फूल व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। फूल विक्रेता स्थानीय व्यापारियों के साथ ही लखनऊ और बरेली तक से माल मंगाते हैं। सड़क किनारे फूलों की दुकानें चलाने वाले अक्सर अतिक्रमण के नाम पर हटा दिए जाते हें। शादी-विवाह, नवरात्र या कोई बड़ा त्योहार छोड़ दिया जाए तो उनका धंधा मंदा ही रहता है। मंदिरों के बाहर फूल की अस्थायी दुकानों को अगर स्थायी बना दिया जाए तो रोजगार चल पड़े। लखीमपुर शहर के संकटा देवी बाजार में फूल व्यवसाइयों के पास कोई स्थायी दुकान नही हैं। फूल बेचने वाले बड़े मंदिरों के परिसर और उसके बाहर अस्थायी दुकान लगाकर अपना काम चला रहे हैं। नगर पालिका कई बार अभियान चलाकर इन दुकानों को हटवा देती है या फिर चालान कर दिया जाता है। संकटा देवी मंदिर के आसपास छोटी-बड़ी कई दुकाने हैं। यहां व्यापारियों व ग्राहकों के लिये पार्किंग भी नहीं है। लखीमपुर शहर व गोला में फूल की आढ़त न होना, स्थायी मण्डी की कमी, बड़ा स्टोरेज न होना, उद्यान विभाग की तरफ से कोई प्रशिक्षण न मिलना भी फूल व्यापारियों के लिये चुनौती बना हुआ है।

लखीमपुर जिले के फूल व्यवसायियों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। स्थायी मंडी के अभाव, नगर पालिका के चालान, फूलों के संरक्षण के लिए उचित स्थान न होना भी दुश्वारी की एक बड़ी वजह है। इसके अलावा प्लास्टिक व फाइबर के फूलों की बढ़ती मांग ने भी फूल व्यापार को संकट में डाल दिया है।

स्थायी बाजार उपलब्ध नहीं

लखीमपुर और गोला में फूलों का बड़ा कारोबार है। दोनों जगह धार्मिक नगरी है लेकिन बाजार के नाम पर खिलवाड़ है। लखीमपुर शहर में संकटा देवी बाजार में फूल वालों को संकरी गलियों में कारोबार चलाना पड़ रहा है। यहां इतनी जगह भी नहीं है कि दुकानदार सही से बैठ सकें। गोला में माली और फूल वाले फिलहाल सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। छोटी काशी कॉरीडोर के चलते दशकों से फूल बेचने वालों की दुकानें हटा दी गई हैं। अब यहां के फूल कारोबारियों के लिए नए सिरे से व्यवस्था करनी होगी। इस बारे में प्रशासन और नगर पालिका को सार्थक प्रयास करने की जरुरत है।

बढ़ती लागत और कम मुनाफा, व्यापारी परेशान

फूलों की खेती से जुड़े व्यापारी बताते है कि फूल उत्पादन में खाद, कीटनाशक, पानी और बिजली की खपत अधिक होती है। इन सभी की कीमतों में पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। फूल व्यवसायी बताते हैं कि परिवहन की लागत दोगुनी हो गई है। किसानों का कहना है कि उत्पादन लागत बढ़ने के बावजूद बाजार में फूलों के दाम उतने नहीं बढ़े, जिससे उन्हें उचित मुनाफा नहीं मिल पा रहा। खीरी जिले में फूल उत्पादन के लिए उद्यान विभाग किसानों को प्रेरित नहीं कर पा रहा है।

कृत्रिम फूलों से भी कारोबार को चुनौती

फूल व्यवासायियों का कहना है कि आजकल कृत्रिम फूलों की बढ़ती लोकप्रियता ने भी प्राकृतिक फूलों के बाजार को प्रभावित किया है। शादियों-पार्टियों में अब लोग सजावट के लिए कृत्रिम फूलों का उपयोग अधिक कर रहे हैं, जो कम खर्चीले और बार-बार इस्तेमाल करने लायक होते हैं। प्लास्टिक और फाइबर के तेजी से बदलते ट्रेंड के कारण लोग अब प्लास्टिक और फाइबर के फूलों और बुके की मांग बढ़ गई है। इनके चलते प्राकृतिक फूलों की बिक्री प्रभावित हुई है।

फूल मण्डी और स्टोरेज न होने से हो रहा नुकसान

शहर में फूल व्यवसाइयों के पास कोई स्थायी मंडी नहीं है। उन्हें सड़क किनारे या अस्थायी जगहों पर फूल बेचना पड़ता है, जिससे उनका व्यापार प्रभावित होता है। एक व्यवसायी ने बताया कि हमारे पास मंडी नहीं है, इसलिए कभी-कभी हमें सार्वजनिक स्थानों पर फूल बेचने पड़ते हैं। स्थायी दुकान न होने पर हम लोगों के खोखे हटा दिये जाते हैं या नगर पालिका चालान कर देती है। व्यापारियों का कहना है कि फूल एक नाज़ुक उत्पाद है, जिन्हें सही तापमान और वातावरण में रखना आवश्यक होता है। लेकिन शहर में फूलों को सहेजने के लिए कोई स्थान उपलब्ध नहीं है, जिससे फूल जल्दी सड़ जाते हैं और व्यवसायियों को नुकसान उठाना पड़़ता है।

महंगे फूल और घटती ग्राहक संख्या से दुकानदार परेशान

व्यापारियों ने बताया कि शहर में फूल बाहर से मंगाए जाते हैं, जिससे उनकी कीमतें बढ़ जाती हैं। महंगे फूल खरीदने के लिए ग्राहकों की संख्या घट रही है। एक दुकानदार ने बताया कि बाहर से आने के कारण फूल महंगे हो जाते हैं और ग्राहक उन्हें खरीदने से कतराते हैं। अगर स्थानीय स्तर पर फूलों की खेती को बढ़ावा दिया जाए, तो कीमतों को नियंत्रित किया जा सकेगा और ग्राहकों को ताजे फूल मिल सकेंगे।

स्थानीय उत्पादन और प्रशिक्षण की आवश्यकता

फूल कारोबारियों का कहना है कि अगर स्थानीय स्तर पर बड़ी मात्रा में फूलों की खेती की जाए और व्यवसायियों को आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाए, तो न केवल फूलों की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि उनकी कीमतें भी कम होंगी। इससे न केवल स्थानीय बाजार में ताजे फूल उपलब्ध होंगे, बल्कि ग्राहकों को भी सस्ते दामों पर फूल मिलेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में फूलों की खेती के लिए उपयुक्त भूमि है। यदि सरकार और स्थानीय प्रशासन मिलकर इस दिशा में पहल करें, तो यह न केवल फूल व्यवसायियों की समस्याओं का समाधान करेगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।

शिकायतें

1- फूल मण्डी न होने से माल खरीदने और बेचने में समस्या होती है।

2- फूलों को सुरक्षित रखने के लिये कोल्ड स्टोरेज नही है।

3- फूलों का कोई रेट तक नही है। लोग कम दाम पर लेते हैं।

4- उद्यान विभाग द्वारा कोई प्रशिक्षण नही मिलता।

5- बैंक से लोन नहीं मिलता और उनका पंजीकरण तक नहीं है।

6- ऑनलाइन मार्केट से जोड़ने के लिये कोई व्यवस्था नही है।

सुझाव

1- लखीमपुर व गोला में कोल्ड स्टोरेज बनवाया जाए।

2-धार्मिक स्थलों पर स्थायी दुकाने बनाई जाएं।

3- राजापुर मण्डी में फूलों के व्यापारियों को जगह मिले।

4- उद्यान विभाग फूलों के प्राकृतिक संरक्षण के लिये प्रशिक्षण दे।

5- प्रशासनिक अधिकारियों के संरक्षण में व्यापारियों का यूनियन बने और फूल बेचने के रेट तय हों।

6- ऑनलाइन मार्केट से जोड़ने के लिये प्रशिक्षण दिया जाए।

मेरी आवाज सुनो:

राजेश 12 वर्षों से फूल व्यापार में हैं। वह बताते हैं कि हम सालों से यहां फूलों का व्यापार कर रहे हैं। लेकिन नगर पालिका आए दिन अभियान चलाकर हमारा काउंटर हटवा देती है। इससे हमें बार-बार नुकसान उठाना पड़ता है। व्यापार सही से चल ही नहीं पाता।

विशाल का कहना है कि हम स्थायी दुकान की छोटी जगह लेकर दुकान लगाते हैं। लेकिन इसके लिए हमें भाड़ा देना पड़ता है। कई बार नगर पालिका हमारी दुकानें हटा देती है। जिससे हमें परेशानी होती है और व्यापार प्रभावित होता है।

अंकुर गुलाब की दुकान के व्यापारी बताते है कि हम शुरुआत से गुलाब की दुकान चला रहे हैं। लेकिन सफाई अभियान के नाम पर बार-बार दुकानें हटा दी जाती हैं। ऐसे में व्यापार करना मुश्किल हो जाता है। सबसे बड़ी समस्या यही है कि आखिर हम काम करें तो कैसे।

मनोज जो कई वर्षों से इस व्यापार में है कहते है कि हम सालों से यहां फूलों का व्यापार कर रहे हैं, लेकिन इलाके में शौचालय की भारी समस्या है। इस जगह के आस पास कोई भी शौचालय नहीं बना। जगह की भी बड़ी समस्या है, कभी भी नगर पालिका अभियान चलाकर दुकानें हटा देती है, जिससे व्यापार प्रभावित होता है।

श्यामू सैनी 6 वर्षों से फूल व्यापार में बोलते है कि अगर हमें निश्चित जगह मिल जाए तो हमारा काम और बेहतर हो सकता है। अभी हालत यह है कि अगर कोई गाड़ी सजवाने आता है, तो उसे 500 मीटर दूर गाड़ी पार्क करके आना पड़ता है। इससे ग्राहक भी परेशान होते हैं और हमारा काम भी प्रभावित होता है।

राम किशोर जो पुश्तैनी फूल व्यवसायी है बताते है कि हम पुश्तैनी तौर पर फूलों का व्यापार कर रहे हैं। वैसे तो कोई विशेष समस्या नहीं है, लेकिन अगर नगर पालिका हमें कोई स्थायी जगह दे दे, तो हमारा व्यापार और बेहतर हो सकता है और हम ज्यादा सुविधाजनक तरीके से काम कर सकते हैं।

पप्पू सैनी जिनका पुश्तैनी काम है कहते है कि हम फूल व्यापारियों के लिए एक निश्चित जगह मिलनी चाहिए। अगर हमें एक तय स्थान मिल जाए, तो व्यापार और अच्छा चलेगा। अभी हमें दूसरों की दुकानों के पास दुकान लगानी पड़ती है और उसके लिए किराया देना पड़ता है। अगर स्थायी जगह मिलेगी तो दुकानदारों की समस्या भी कम होगी और ग्राहकों को भी सस्ता सामान मिलेगा।

राजन तिवारी जो 10 वर्षों से फूलों की दुकान लगा रहे है कहते है कि नगर पालिका कई बार बिना किसी पूर्व सूचना के अभियान चलाकर हमारा सामान और काउंटर उठा ले जाती है। इससे दुकानदारों को कई बार काफी नुकसान होता है। इसके अलावा, पार्किंग और शौचालय की समस्या भी बनी हुई है। जिससे हमें और ग्राहकों को परेशानी होती है।

अभिषेक शर्मा 10 वर्षों से फूल की दुकान कर रहे है। उनका कहना है कि फूल व्यापारियों को बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी झेलनी पड़ रही है। सबसे बड़ी समस्या शौचालय की है। अगर हमें कोई स्थायी जगह मिल जाए, तो हमारा व्यापार सही तरीके से आगे बढ़ सकता है।

विनोद सैनी पुश्तैनी दुकानदार फूल बाजार बहुत संकरी जगह पर है। जिससे आए दिन जाम की समस्या बनी रहती है। ग्राहक इस कारण सामान लेने से हिचकते हैं। कई बार नगर पालिका भी हमारा सामान हटवा देती है, जिससे हमें काफी नुकसान उठाना पड़ता है। शौचालय और स्थायी जगह की कमी सबसे बड़ी समस्या है।

श्याम जी पुश्तैनी व्यवसायी बताते है कि हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या शौचालय की है। जब भी कोई आपात स्थिति आती है, तो हमें दुकान छोड़कर घर जाना पड़ता है। सुनते है कि शायद पास के पार्क में शौचालय बना हुआ है, लेकिन उसमें ताला लगा रहता है। अगर शौचालय है तो नगर पालिका को चाहिए कि इस शौचालय को हमारे उपयोग के लिए खोल दे।

शुभम जो पुश्तैनी फूल व्यवसायी है कहते है कि यहां पर सबसे बड़ी समस्या जाम की है। जब भी जाम लगता है, तो नगर पालिका हमें ही टारगेट करती है। कई बार हमारा सामान उठा ले जाती है, जिससे व्यापार चलाना मुश्किल हो जाता है। अगर हमें स्थायी जगह मिल जाए, तो यह परेशानी दूर हो सकती है।

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