भरत महिमा का हुआ बखान
ग्राम सुहेला के हनुमान मंदिर में चल रही श्री राम कथा में प्रशांत जी महाराज ने भरत की महिमा का वर्णन किया। राजा दशरथ के वियोग में भरत ने अपनी मां कैकई के प्रति ग्लानि महसूस की। पिता की अंत्येष्टि के...
ग्राम सुहेला स्थित हनुमान मंदिर पर चल रही श्री राम कथा में कथा व्यास प्रशांत जी महाराज ने भरत महिमा का बखान किया। कैकेई द्वारा राजा दशरथ से वरदान मांगे जाने के कारण प्रभु श्री राम का सीता, लक्ष्मण सहित वन गमन हो गया। इस वियोग में राजा दशरथ ने अपने प्राण त्याग दिए। भरत अपने ननिहाल गए थे जिन्हें अयोध्या लाया गया। भरत ने जब पूरा वृतांत जाना तो उनके हृदय में अपनी मां कैकई के लिए ग्लानि उत्पन्न हो गई है। पिता की अंत्येष्टि करने के बाद श्री राम को मनाने के लिए भरत राज- समाज के साथ चित्रकूट के लिए प्रस्थान कर गए।चलत पायदे खात फल, पिता दीन्ह तजि राजु। जात मनावन रघुवरहिं, भरत सरिस को आजु। कथा व्यास ने कहा संसार में भरत जैसा भाई होना दुर्लभ है। भरत का चरित्र समुद्र की भांति अगाध है ,बुद्धि की सीमा से परे है। इस अवसर पर डॉ वेद प्रकाश अग्निहोत्री, जय प्रकाश अवस्थी, रामकिशोर वर्मा, राम प्रताप वर्मा, अशोक मिश्रा, गीता देवी, राजकुमार ,मुकेश कुमार ,शिव कुमार अग्निहोत्री, राजेश कुमार त्रिवेदी आदि उपस्थित रहे।
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