Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़कुशीनगरSuccessful All-India Vedic Conference Held in Kushinagar

अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में सफल रही राष्ट्रीय वैदिक संगोष्ठी

कुशीनगर में शिक्षा मंत्रालय, महर्षि सांदीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान और श्रीनाथ संस्कृत महाविद्यालय द्वारा त्रिदिवसीय अखिल भारतीय वैदिक संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी में 51 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए और...

Newswrap हिन्दुस्तान, कुशीनगरSat, 23 Nov 2024 10:03 AM
share Share

कुशीनगर। शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के आर्थिक सहयोग, महर्षि सांदीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन तथा श्रीनाथ संस्कृत महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय अखिल भारतीय वैदिक संगोष्ठी अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में सफल रही। श्रीनाथ संस्कृत महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती हाल में त्रिदिवसीय वैदिक संगोष्ठी में वेद एवं वेदांगों पर गंभीर वक्तव्य हुए एवं शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।

संगोष्ठी में सोमनाथ, द्वारका, अहमदाबाद, काशी, दिल्ली, गोरखपुर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, प्रयागराज, ख्यातिलब्ध वैदिक विद्वानों द्वारा वेद वेदांगों की विशेषताओं आदि अनेक विश्व विद्यालयों की विशेषताओं से परिचय कराया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त पूर्व निदेशक द्वारकाधीश संस्कृत एकेडमी द्वारका गुजरात प्रोफेसर जयप्रकाश नारायण द्विवेदी की अध्यक्षता में मुख्य अतिथि सांसद कुशीनगर विजय कुमार दुबे एवं विशिष्ट अतिथि हाटा विधायक मोहन वर्मा के द्वारा वैदिक मंत्रोचार के बीच द्वीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती के पूजन अर्चन के साथ हुआ। संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफ़ेसर ओमप्रकाश पांडेय ने बीज वक्तव्य विषय पर विस्तार से चर्चा किया। कुल 10 सत्रों में 51 शोध पत्र पढ़े गए। गोष्ठी के समापन सत्र में अध्यक्ष लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति एवं ख्याति लब्ध संस्कृत विद्वान प्रोफेसर मुरली मनोहर पाठक एवं मुख्य अतिथि कुशीनगर के पूर्व सांसद राजेश पांडेय रहे। तथा विशिष्ट अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय काशी के ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय रहे। संगोष्ठी को मूर्त रूप देकर सफल संयोजन में संगोष्ठी समिति के संरक्षण,प्रबंधक अग्निवेश मणि, अध्यक्ष महामहोपाध्यक्ष गंगेश्वर पांडेय, संयोजक डॉक्टर राजेश कुमार चतुर्वेदी एवं शिक्षकों का विशेष योगदान रहा। वस्तुतःसंगोष्ठी में व्यक्त विचारों का आम जनमानस, शोध छात्रों एवं शिक्षकों पर काफी प्रभाव पड़ा और वेद को जानने, समझने के प्रति रुचि देखी गयी। इस प्रकार निःसंदेश यह संगोष्ठी अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सफल रही।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें