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हमदर्दी व गमख्वारी का महीना है रमज़ान उल मुबारक

Kushinagar News - कुशीनगर में मौलाना सरफ़राज़ अहमद क़ासमी ने रमज़ान के महीने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रमज़ान का यह महीना मोमिनों के लिए खुदा की रहमतों और बरकतों से भरा है। रोजेदारों को इस दौरान गुनाहों की माफी...

Newswrap हिन्दुस्तान, कुशीनगरSun, 9 March 2025 10:20 AM
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हमदर्दी व गमख्वारी का महीना है रमज़ान उल मुबारक

कुशीनगर। ऐ मोमिनों तुम पर रमज़ान के रोज़े फ़र्ज़ कर दिए गए। जिस तरह तुम से पहले लोगों पर फ़र्ज़ किए गए थे, ताकि तुम परहेज़गार बन जाओ। क्योंकि रमज़ान वह मुबारक़ महीना है, जिसमें कुरआन शरीफ़ नाज़िल हुआ। ये बातें मदरसा मोआज़ बिन ज़बल बतरौली बाजार के मौलाना सरफ़राज़ अहमद क़ासमी ने कहीं। उन्होंने कहा कि ऐ मोमिनों, तुम में से जो शख्स इस महीने को पाए तो उसे चाहिए कि रमज़ान के पूरे रोज़े रखे। उस शख्स के लिए हलाकत है, जिसने रमजान का महीना पाया और अपने गुनाहों की बख्शीश व माफी ना पा सके। पूरे रमज़ान अल्लाह तआला हर रोज़ इफ्तार के वक्त लोगों को जहन्नम से आजाद करता है। रमज़ान का पूरा महीना मोमिनों के लिए ख़ुदा की तरफ से अज़मत, रहमत और बरकतों से लबरेज़ है। रोज़ेदार जब रोज़े की हालत में पूरे दिन भूखा-प्यासा रहकर अल्लाह की इबादत में मशगूल रहता है, भूख-प्यास की तड़प के बीच जबान से रूह तक पहुंचने वाली खुदा की वही इबादत हर मोमिन को उसका खास बना देती है।

रमज़ान खुद को हर बुराई से बचाकर अल्लाह के नजदीक ले जाने की यह सख्त कवायद हर मुसलमान के लिए खुद को पाक-साफ करने का बेहतरीन मौका है। अल्लाह ने इस मुबारक़ महीने को तीन अशरों में तक़सीम किया है जिसका पहला अशरा ख़ुदा की रहमतों वाला है। रमज़ान के पहले अशरे में दस दिनों तक अल्लाह की तमाम सारी रहमतें अपने बंदों पर बरसती हैं। इस महीने में जहां हम दीगर नेक आमाल के जरिए अपने नामा-ए-आमाल में नेकियों का जखीरा करते हैं, वहीं हमें चाहिए कि हम इस माह-ए-मुबारक में रब से अपने लिए मगफिरत और बख्शीश तलब करें। अपने रब के सामने गिड़गिड़ाएं और उससे अपने गुनाहों की माफी मांगें। रमज़ान-उल-मुबारक को हमदर्दी व गमख्वारी का महीना भी कहा जाता है। क्योंकि रोज़े की हालत में इन्सान जब भूख-प्यास की शिद्दत और कैफ़ीयत से गुज़रता है। तब जाकर उसे मुआशरे के उन तमाम महरूम और ग़रीब तबक़ों का एहसास होता है।

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