Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़कुशीनगरMorari Bapu said Buddha remained silent for many days when he spoke he continued to speak in kushinagar

बहुत दिनों तक मौन रहे बुद्ध, जब बोले तो बोलते ही रहे : मोरारी बापू

बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में आयोजित 854 वीं मानस निर्वाण पर आधारित रामकथा के दूसरे दिन मोरारी बापू ने कहा कि कथा सुनने के लिए इसे कई प्रकार से सुन सकते हैं। कथा कहीं यंत्र बोलता है तो...

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान टीम, कुशीनगरSun, 24 Jan 2021 06:02 PM
share Share
Follow Us on

बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में आयोजित 854 वीं मानस निर्वाण पर आधारित रामकथा के दूसरे दिन मोरारी बापू ने कहा कि कथा सुनने के लिए इसे कई प्रकार से सुन सकते हैं। कथा कहीं यंत्र बोलता है तो कहीं कागज लेकिन यहां जो कथा सुनते हैं वह कलेजा बोलता है। बुद्ध बहुत दिनों तक मौन रहे मगर जब बोले तो बोलते ही रह गये। 

मोरारी बापू ने कहा कि तुलसीदास निर्वाण शब्द का प्रयोग कई तरीके से अपने मानस में आठ बार किए हैं। व्यक्ति अकेले बैठता है तो केवल विचार ही विचार आता है। लेकिन किसी बुद्ध पुरुष के पास जाने या बैठने पर शरीर की सभी हलचल समाप्त हो जाती है और वह शांति महसूस करने लगता है। उन्होंने कहा कि हर आश्रित यह चाहता है कि मेरा गुरु जब तक जीए तब तक हम भी जीएं। भगवान राम के वन से आने और राजतिलक होने तक सभी अयोध्यावासी जीना चाहते थे। कथा में बापू ने कहा कि रामचरित मानस में चार प्रकार की मुक्ति मिलती है। यह वह भूमि है जहां परमात्मा भी आना चाहता है। अखण्ड विचार ही असली निर्वाण है। बुद्ध बहुत दिनों तक मौन रहे लेकिन जब बोले तो बोलते ही रहे। 

निर्वाण शब्द का पहला प्रयोग तुलसीदास अयोध्या कांड में किया
निर्वाण शब्द का पहला प्रयोग तुलसीदास अयोध्या कांड में करते हैं। निर्वाण, मोक्ष, मुक्ति सब एक ही शब्द है। इसका प्रयोग समय समय पर अनेक जगहों पर किया गया है। हिन्दू धर्म उदार है। इसका उदाहरण महाभारत में देखने को मिलता है। भीष्म पूरे महाभारत तक बाण की शैया पर लेटे हैं और जब पूरा महाभारत समाप्त हो जाता है तब निर्वाण को प्राप्त होते हैं। प्रत्येक परिवार में भीष्म हैं बस आपको उसे समझने की जरूरत है। लोग परिवार में भीम को खोजते हैं लेकिन भीष्म को खोजना चाहिए। काम, क्रोध, लोभ जरूरी है लेकिन अत्यंत नहीं। ईर्ष्या निंदा व द्वेष नहीं करनी चाहिए लेकिन धर्म कर्म में भी ये समाहित हो गए हैं। बापू ने राम चरित मानस व अपनी माला को हाथ में लेकर कहा यह ही मेरा निर्वाण है और मेरा अंतिम निर्वाण मेरा गुरु है। तुलसीदास ने अपनी वंदना में पहले जानकी की चरणों की वंदना की है। उसके बाद भगवान राम की वंदना की है। 

परमात्मा के कई नाम में एक नाम निर्वाण भी है 
बापू ने कहा कि परमात्मा के कई नाम हैं उसमें एक नाम निर्वाण भी है। कुकर्म जल जाय हमें शीतलता प्राप्त हो, इसके लिए रामनाम का महामंत्र जपना पड़ेगा। रामनाम का जप किसी भी रूप में ले सकते हैं। राम नाम के जप से उसके सभी पाप जल जाते हैं। वाल्मीकि कहते हैं कि अगर कोई राम राम नहीं जप पाए तो मरा मरा जपे। उसे राम राम जपना आ जाएगा। अति मंथन अच्छा नहीं है। देवताओं ने समुंदर मंथन किया। रत्न पर रत्न निकले लेकिन जब अंत हो गया तो विष निकला। इसलिए किसी भी कार्य को लेकर अति नहीं करनी चाहिए। मानस कथा आरंभ होने के पूर्व आयोजक अमर तुलस्यान ने अपने परिवारीजन के साथ मानस पर फूल चढ़ाया। उसके बाद बापू ने राम वंदना से कथा का आरंभ किया।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें