Hindi NewsUttar-pradesh NewsKushinagar NewsKushinagar Postal Agents Face Economic Hardships and Operational Challenges

आमदनी कम, काम ज्यादा, बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित

Kushinagar News - कुशीनगर में डाक अभिकर्ताओं की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। कमीशन में कमी, नए नियमों की जटिलताएँ, और बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। डिजिटल परिवर्तन...

Newswrap हिन्दुस्तान, कुशीनगरSun, 23 Feb 2025 02:21 AM
share Share
Follow Us on
आमदनी कम, काम ज्यादा, बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित

- Kushinagar News: डाक विभाग के अभिकर्ताओं की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। इन अभिकर्ताओं पर ग्रामीण डाक सेवाओं की रीढ़ होने का तमगा तो लगा दिया गया है, लेकिन उनकी समस्याओं को हल करने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा सके हैं। डाक जीवन बीमा और ग्रामीण डाक जीवन बीमा को लोगों तक पहुंचाने वाले अभिकर्ता आज खुद आर्थिक तंगी और अस्थिर भविष्य की चिंता से जूझ रहे हैं। कमीशन घटने, नए नियमों की जटिलता और सरकारी उदासीनता ने उनके कामकाज को पहले से कहीं और अधिक कठिन बना दिया है। अब काम ज्यादा है तो आमदनी कम है। यहां तक कि बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। हिन्दुस्तान से बातचीत करते हुए डाक अभिकर्ताओं ने अपने दर्द को बयां किया।

कुशीनगर में एक प्रधान डाकघर के अलावा 22 उप डाकघर और उससे संबद्ध 150 शाखाएं संचालित हो रहीं हैं। डाक घर से तकरीबन 800 के करीब अभिकर्ता जुड़े हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या सर्वाधिक है। 500 के करीब महिला अभिकर्ता कार्यरत हैं। पिछले कुछ वर्षों में डाक अभिकर्ताओं के कमीशन में कई बार कटौती की गई है। पहले जहां उन्हें पांच प्रतिशत से लेकर 10 प्रतिशत तक कमीशन मिलता था तो वहीं अब इसे घटाकर दो से तीन प्रतिशत कर दिया गया है। इस कटौती से अभिकर्ताओं की आमदनी पर सीधा असर पड़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभिकर्ताओं के लिए यह कमीशन ही उनकी आय का मुख्य जरिया होता है, लेकिन अब वे अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में भी कठिनाई महसूस कर रहे हैं। हिन्दुस्तान से बातचीत करते हुए डाक अभिकर्ताओं ने कहा कि, डाक विभाग ने अभिकर्ताओं के लिए कई नए नियम लागू किए हैं, जिनसे उनका काम और भी मुश्किल हो गया है। अब अभिकर्ताओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की धीमी गति और तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण वे इस बदलाव के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं। इससे उनका व्यवसाय प्रभावित हो रहा है और वह नए ग्राहकों को जोड़ने में असफल हो रहे हैं। उनका कहना है कि कमीशन घटने और तकनीकी बाधाओं के कारण डाक अभिकर्ताओं के लिए नई बीमा पॉलिसी बेचना भी अब पहले जैसा आसान नहीं रह गया है। पहले वह ग्राहकों को पॉलिसी लेने के लिए प्रोत्साहित कर पाते थे, क्योंकि उन्हें भी अच्छा लाभ मिलता था। लेकिन अब, जब कमीशन कम हो गया है, तो वे इस व्यवसाय में अधिक रुचि नहीं दिखा रहे हैं। यही वजह है कि पीएलआई (पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस) और आरपीएलआई (ग्रामीण डाक जीवन बीमा) की नई पॉलिसियों में गिरावट देखने को मिल रही है। इससे न सिर्फ अभिकर्ता परेशान हैं, बल्कि डाक विभाग को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। डाक अभिकर्ता कोई स्थायी कर्मचारी नहीं हैं। हमें कोई पेंशन, बीमा या अन्य सुविधाएं नहीं दी जाती हैं। हम पूरी तरह अपने कमीशन पर ही निर्भर रहते हैं। अब जब कमीशन घटा दिया गया है तो हमारे लिए अपने भविष्य को लेकर चिंता बढ़ गई है। कई अभिकर्ता इस व्यवसाय को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में रोजगार तलाशने पर मजबूर हो रहे हैं। डाक अभिकर्ताओं ने कहा कि, कमीशन दर को फिर से बढ़ाया जाए ताकि अभिकर्ताओं की आय में सुधार हो सके। डिजिटल प्रणाली को सरल बनाने के साथ ही अभिकर्ताओं को उचित प्रशिक्षण मिलना चाहिए। हमें भी सरकारी मान्यता और स्थायी सुविधा मिले ताकि भविष्य सुरक्षित हो सके। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं को बेहतर करने पर जोर दिया जाए और पीएलआई (पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस) और आरपीएलआई (ग्रामीण डाक जीवन बीमा) योजनाओं में नए प्रोत्साहन देने पर विचार हो तो अभिकर्ता अधिक से अधिक लोगों को इससे जोड़ सकते हैं। सरकार और डाक विभाग अभिकर्ताओं की समस्याओं को गंभीरता से लेकर सुधार करें तो ग्राहकों को भी बेहतर सेवाएं मिलेंगी और अभिकर्ताओं का कार्य अधिक प्रभावी और सुविधाजनक होगा।

किराए के भवन में चल रहा प्रधान डाकघर, बरसात में भींगते हैं अभिलेख

पडरौना। पडरौना शहर के बीचों-बीच संकरी गलियों में प्रधान डाकघर वर्षों से किराए के भवन में संचालित हो रहा है। यह भवन अब जर्जर हालत में पहुंच चुका है। किराए के भवन की दीवारों में दरारें आ गईं हैं। छत से प्लास्टर टूटकर गिर रहा है और बरसात के दिनों में छत से पानी टपकने के कारण अभिलेख भींगकर खराब हो जाते हैं। इससे न केवल डाकघर में काम करने वाले कर्मचारियों को परेशानी होती है, बल्कि यहां आने वाले लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

किराए के भवन में जगह की कमी है। इसके कारण यहां आने वाले अभिकर्ता और लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जरुरी कार्यों से आने वाले लोगों को लंबी कतारों में घंटों खड़ा रहना पड़ता है। सबसे ज्यादा दिक्कत उन बुजुर्गों और महिलाओं को होती है, जो पेंशन और अन्य योजनाओं का लाभ लेने के लिए डाकघर आते हैं। डाकघर में नगदी की कमी और धीमी सर्वर की समस्या भी बनी हुई है। इससे लेन-देन में घंटों का समय लग जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब पडरौना शहर के समीप ही जिला मुख्यालय है तो यहां एक आधुनिक और सुव्यवस्थित डाकघर की व्यवस्था होनी चाहिए। डाक विभाग के अधिकारियों ने भी इस समस्या को स्वीकार किया और नए भवन की आवश्यकता महसूस की। बताया जाता है कि जिला मुख्यालय पर विभाग को एक जमीन मिली है। भवन निर्माण के लिए बजट भी आ गया था। मगर, कुछ तकनीकी कारणों से बजट वापस हो गया। तभी से भवन निर्माण का मामला अधर में लटका है। हालांकि, विभाग द्वारा भवन निर्माण कराए जाने की पहल आज भी की जा रही है।

न बैठने की जगह, न शौचालय और पानी का इंतजाम :

अभिकर्ताओं की आमदनी पहले की तरह नहीं रह गई है। ऊपर से हमें बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित रखा गया है। डाक घरों में न तो बैठने की जगह है और न ही शौचालय व पीने के लिए पानी का इंतजाम है। यहां तक कि सुरक्षा की व्यवस्था भी नहीं है। सर्वर धीमी गति से चलने के कारण भी परेशानी होती है। कलेक्शन करके जब वह रुपये जमा करने के लिए डाक घर पर आते हैं तो इसके लिए भी उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है। इस दौरान असुरक्षा की भावना भी बनी रहती है। कम कमीशन में किसी तरह हम अपने काम को कर रहे हैं, लेकिन हमें जो सुविधाएं मिलनी चाहिए, वह भी नहीं मिल रहीं हैं।

कई बार कर चुके हैं मांग, नहीं होती सुनवाई :

अभिकर्ताओं ने कहा कि, वह कई बार अपनी समस्याओं को सरकार और डाक विभाग के सामने रख चुके हैं। उन्होंने कमीशन बढ़ाने, डिजिटल सिस्टम को सरल बनाने और अन्य सुविधाएं देने की मांग भी की। इसके लिए कई बार ज्ञापन भी सौंप चुके हैं, लेकिन अब तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। डाक अभिकर्ताओं की यह स्थिति उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे डाक विभाग के लिए भी एक गंभीर चुनौती है। अगर हमारी समस्याओं का जल्द समाधान नहीं किया गया तो भविष्य में ग्रामीण बीमा योजनाएं कमजोर पड़ जाएंगी। हालांकि, हमें आज भी उम्मीद है कि सरकार हमारी मांगों पर विचार करेगी और वह सम्मान और सुविधा मुहैया कराएगी, जिसके अभिकर्ता हकदार हैं।

अभिकर्ताओं की परेशानियां ग्रामीण वित्तीय ढांचे पर भी असर :

डाक अभिकर्ताओं की परेशानियां सिर्फ उन तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि इसका असर ग्रामीण वित्तीय ढांचे पर भी पड़ रहा है। कई गांवों में बैंकिंग सुविधाएं सीमित हैं। ऐसे में पीएलआई और आरपीएलआई जैसी योजनाएं लोगों के लिए बड़ी सहूलियत थीं, लेकिन अगर डाक अभिकर्ता ही इस व्यवसाय को छोड़ देंगे तो ग्रामीण क्षेत्रों में बीमा सुविधाएं और डाक सेवाएं काफी हद तक प्रभावित होंगी। सरकार इस पर विचार करे। नई पॉलिसियों से अभिकर्ताओं को जोड़ते हुए उन्हें उनका हक दे और घटे हुए कमीशन को पहले ही तरह बढ़ाने में मदद करे। अभिकर्ताओं के हित में अगर यह कदम उठाए जाते हैं तो निश्चित ही डाक विभाग को फायदा होगा।

कर्मचारियों की कमी से भी हो रही परेशानी :

डाक घरों में इंटरनेट की समस्या और कर्मचारियों की कमी के कारण भी परेशानी बढ़ गई है। अभिकर्ताओं का कहना है कि नेटवर्क प्रणाली के खराब होने के कारण मिनटों के काम में घंटों लग जा रहे हैं। ऊपर से कर्मचारियों की भारी कमी है। रिक्त पदों को भरने पर भी विचार नहीं किया जा रहा है। इसके कारण अभिकर्ताओं की परेशानी बढ़ गई है।

अभिकर्ताओं की यह मांगे प्रमुख :

-एजेंसी नवीनीकरण में पुलिस सत्यापन को समाप्त किया जाए।

-अभिकर्ताओं के लिए डाक घरों में अलग काउंटर होना चाहिए।

-डाकघर की योजनाएं अभिकर्ता के माध्यम से जमा कराई जाए।

-डाकघर में रिक्त पड़े पदों पर कर्मचारियों की शीघ्र नियुक्ति हो।

-डाकघरों में प्रिंटर, विद्युत व बैटरी की समस्या को दूर किया जाए।

-डाकघरों में भुगतान व निवेश समय से हो। मार्कर चेकबुक जारी हो।

-डाकघर के कर्मचारियों द्वारा अभिकर्ताओं के साथ बेहतर व्यवहार करें।

शिकायत :

1. अभिकर्ताओं की आय पहले की तरह नहीं रह गई है। क्योंकि कमीशन की दर कम कर दी गई हैं। जबकि डाक विभाग के कार्यों का लोड हम पर ही है।

2. पोस्ट ऑफिस का ऑनलाइन सिस्टम धीमा है। लेन-देन में देरी होने पर ग्राहक असंतुष्ट रहते हैं। उनकी नाराजगी अभिकर्ताओं को झेलनी पड़ती है।

3. अभिकर्ताओं के बैठने व कार्य करने के लिए डाक घरों में कोई व्यवस्था नहीं है। वाहन स्टैंड के साथ-साथ शौचालय और पेयजल का इंतजाम नहीं है।

4. नई पॉलिसी या खाता खोलने के लिए दस्तावेजी प्रक्रिया अधिक होती है। इससे अभिकर्ताओं का समय बर्बाद होता है और कोई मदद भी नहीं करता।

5. नए नियम और योजनाओं की जानकारी अभिकर्ताओं को समय पर नहीं दी जाती है। इसके चलते वह ग्राहकों को भी सही जानकारी नहीं दे पाते हैं।

सुझाव :

1. अभिकर्ताओं के लिए स्थायी और पुरानी कमीशन दरें लागू की जाए ताकि हम भी आर्थिक रूप से सुरक्षित रहें और परिवार चलाने में दिक्कत न हो।

2. डाक घरों के ऑनलाइन सिस्टम और सर्वर को अपग्रेड किया जाए ताकि काम में तेजी आए और सुविधा मिले। साथ ही कर्मचारियों की संख्या बढ़े।

3. किसान विकास पत्र, राष्ट्रीय बचत पत्र, टीडी जमा योजना व सभी योजनाओं को अभिकर्ता के माध्यम से निवेश कराया जाए। इससे आमदनी बढ़ेगी।

4. फॉर्म भरने और अन्य दस्तावेजी कार्य को डिजिटल किया जाए ताकि अभिकर्ताओं का समय बचे। बैठने की व्यवस्था के साथ बुनियादी सुविधा मिले।

5. एजेंसी रिनुअल को समाप्त करके अभिकर्ताओं को स्थाई किया जाए। जो भी डायरेक्ट स्कीमें हैं, उनको अभिकर्ताओं के कोड से ही जोड़ा जाए।

यह दर्द गहरा है::

हमारे कमीशन में लगातार कटौती हो रही है। इससे हमारी आमदनी प्रभावित हो रही है। सरकार को चाहिए कि पुरानी कमीशन पर ही हमसे काम लें।

-हरेंद्र वर्मा

डाक घर में डिजिटल प्रक्रिया बहुत धीमी है। कई बार सर्वर डाउन रहता है। इससे ग्राहकों को परेशानी होती है और हमारा समय भी बर्बाद हो जाता है।

-ओमप्रकाश कसौधन

नई स्कीम को अभिकर्ता के कोड में नहीं जोड़ा गया है। जबकि काम हमसे ही लिया जाता है। बिना कमीशन लोगों की सेवा करने की मजबूरी बन गई है।

-सुशीला गुप्ता

डाक घर में कर्मियों की कमी के कारण हमारा काम बहुत प्रभावित होता है। फार्म जमा करने से लेकर पासबुक अपडेट करवाने तक में घंटों लग जाता है।

-अर्जुन जायसवाल

नई योजनाओं की जानकारी हमें समय पर नहीं दी जाती। जब ग्राहक हमसे पूछते हैं तो हमें खुद पहले इसकी जानकारी जुटानी की आवश्यकता पड़ती है।

-जयप्रकाश

डाकघर में पहले ब्याज दर अधिक था। अब बैंकों के ब्याज दर से डाकघर का ब्याज दर कम है। लोगों का झुकाव बैंकों की तरफ है। आमदनी में यह बाधा है।

-अरूण तुलस्यान

डाक घर में अभिकर्ताओं के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। शौचालय और पीने के लिए पानी का इंतजाम नहीं किया गया है। इससे परेशानियां होती हैं।

-द्वारिका

अभिकर्ताओं की आमदनी पहले की तरह नहीं रह गई है। पुराना कमीशन लागू हो और नियमावली में संसोधन करने पर सरकार द्वारा विचार किया जाए।

-सुभाष कुशवाहा

डाक अभिकर्ता केंद्र सरकार के अंग हैं। सरकार की योजनाओं में अभिकर्ताओं को कमीशन से जोड़ा जाए ताकि हमारी आय बढ़े और लोगों में रूचि पैदा कर सकें।

-वंश बहादुर सिंह

अभिकर्ता आईडी और अन्य प्रक्रियाओं में बहुत अधिक कागजी कार्रवाई होती है। इसके कारण समय की बर्बादी होती है। इसे सरल करने पर विचार हो।

-रामनिवास गुप्ता

डाक घर की कार्य प्रणाली अभी भी पुराने तरीके पर आधारित है। इसे पूरी तरह से डिजिटल और तेज बनाया जाना चाहिए। इससे समय की बचत होगी।

-नंदलाल जायसवाल

अगर हमें बेहतर सहयोग और सुविधाएं मिलें तो हम ज्यादा ग्राहकों को जोड़ सकते हैं। इससे सरकार को भी फायदा होगा और डाक अभिकर्ताओं की आय भी बढ़ेगी। बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। महिला अभिकर्ताओं की संख्या अधिक है। लेकिन, शौचालय और पेयजल तक का इंतजाम नहीं किया गया है। कर्मचारी बढ़े और सुरक्षा की व्यवस्था की जाए। पुराने कमीशन को फिर से लागू किया जाए तो डाक विभाग को भी इसका फायदा मिलेगा।

-अजय कुमार गुप्ता, जिलाध्यक्ष-डाक अभिकर्ता संघ, कुशीनगर

डाक घर के अभिकर्ताओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कमीशन कटौती, तकनीकी दिक्कतें, प्रशिक्षण की कमी और ग्राहकों की असंतोषजनक प्रतिक्रियाएं भी अभिकर्ता ही झेलते हैं। इंटरनेट की समस्या भी ज्वलंत है। डाक घरों की नेटवर्क प्रणाली को ठीक करते हुए कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ानी चाहिए। कलेक्शन का रुपये लेकर आने में असुरक्षा की भावना बनी रहती है। सरकार को इन समस्याओं का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

-संजय मारोदिया, प्रदेश संगठन मंत्री-डाक अभिकर्ता संघ, उप्र

बोले जिम्मेदार :

प्रधान डाक घर का कार्यालय किराए के मकान में चलता है। भवन निर्माण के लिए जिला मुख्यालय पर जमीन मिली है। तकनीकी कारणों से निर्माण रूका पड़ा है। नए भवन के निर्माण के बाद ही बुनियादी सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा। अभिकर्ताओं के हित में जितना कुछ किया जा सकता है, वह सब किया जाता है। अभिकर्ता हमारी मजबूत कड़ी हैं। उनकी समस्याओं का समाधान कराना ही हमारी पहली प्राथमिकता होगी।

-प्रेम मिश्र, सहायक पोस्ट मास्टर-प्रधान डाक घर, पडरौना

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें