Hindi NewsUttar-pradesh NewsKushinagar NewsConcerns Over Doctor s Long Tenure at Ramkola CHC Amidst Illegal Practices

डिप्टी सीएमओ का पद छोड़ सीएचसी पर बने हैं डॉक्टर

Kushinagar News - कुशीनगर के रामकोला सीएचसी में डिप्टी सीएमओ डॉ. एपी गुप्ता की पांच सालों से लगातार तैनाती सवालों के घेरे में है। उच्चाधिकारियों की सेटिंग्स के चलते उनका स्थानांतरण नहीं हो रहा है। अवैध प्रेक्टिस करने...

Newswrap हिन्दुस्तान, कुशीनगरSun, 9 March 2025 10:13 AM
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डिप्टी सीएमओ का पद छोड़ सीएचसी पर बने हैं डॉक्टर

कुशीनगर। ऐसी कोई न कोई बात रामकोला सीएचसी मे जरूर है कि डिप्टी सीएमओ का पद छोड़ डॉक्टर करीब पांच वर्षों से यहीं जमे हुए हैं। उच्चाधिकारियों से सेटिंग्स के चलते तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी रामकोला सीएचसी से स्थानांतरित नहीं किया जाना विभागीय व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर रहा है। प्राइवेट कंपाउंडर्स की अवैध प्रेक्टिस और एक ही कम्पनी की बाहर की दवा लिखने के लिए रामकोला सीएचसी पर डॉक्टरों की तैनाती का कोई शासनादेश प्रभावी नहीं होता है। डॉक्टर अपनी मनमानी नहीं छोड़ते और विभागीय अधिकारी इन पर कार्रवाई करने से गुरेज करते हैं। वरना क्या कारण है कि अवैध रूप से कार्य करने वाले कंपाउंडर्स के विरूद्ध एमओआईसी द्वारा पत्र लिखने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाती। एक दो बार छापा भी पड़ा, लेकिन कार्रवाई सिर्फ कागजों व फाइलों में दफन हो गई।

एमओआईसी के अनुसार एक चिकित्सक को तीन वर्ष पूर्व प्रमोशन देकर डिप्टी सीएमओ का पद दे दिया गया, लेकिन न तो वे अपना कार्यभार ग्रहण किए और न ही इस सीएचसी को छोड़े। बीच मे करीब एक वर्ष तक एमओआईसी का पद भी संभाले। किसी कारणवश विभाग ने इनको हटाकर पूर्व के एमओआईसी को ही फिर से यह पद सौंप दिया। पद बदलता रहा, लेकिन सीएचसी रामकोला ही पसंद बनी रही। चूंकि इस सीएचसी पर धड़ल्ले से एक ही कम्पनी की बाहर की दवाएं लिखीं जाती हैं। हो सकता है कि चिकित्सक सरकार व जनता के प्रति जवाबदेह न होकर उस कंपनी के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं। उनका निजी कूक तक गंभीर से गंभीर बीमारियों का उपचार करते देखा गया है।

इस संबंध में एमओआईसी डॉ. एसके विश्वकर्मा का कहना है कि तीन वर्ष पूर्व डॉ. एपी गुप्ता का प्रमोशन डिप्टी सीएमओ पद पर हो चुका है, लेकिन किन कारणों से वह पद नहीं संभाल रहे हैं यह विभाग जाने। बाहर की दवा लिखने और अवैध रूप से प्रेक्टिस करने वाले कंपाउंडर्स के खिलाफ मैं उच्चधिकारियों को पत्र लिख चुका हूं। कुछ दिन बंद होने के बाद फिर से व्यवस्था जस की तस हो गई।

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