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बजेंगे सायरन, यूपी के जिलों में होगा ब्‍लैक आउट; जानें मॉक ड्रिल में क्‍या करना है आपको

डीजीपी प्रशांत कुमार ने साफ किया कि संवेदनशीलता के मद्देनजर निर्णय लिया गया है कि यूपी के सभी जिलों में मॉकड्रिल की जाएगी। मॉकड्रिल में सिविल प्रशासन के साथ ही पुलिस प्रशासन, अग्निशमन और डिजास्‍टर रिस्‍पांस फोर्स भी शामिल होगी। मॉक ड्रिल का समय जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित किया गया है।

Ajay Singh लाइव हिन्दुस्तानWed, 7 May 2025 12:12 PM
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बजेंगे सायरन, यूपी के जिलों में होगा ब्‍लैक आउट; जानें मॉक ड्रिल में क्‍या करना है आपको

पाकिस्‍तान के आतंकी ठिकानों पर भारतीय वायुसेना की एयर स्‍ट्राइक के बाद यूपी में रेड अलर्ट घोषित किया गया है। दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच आज प्रदेश के सभी जिलों में मॉकड्रिल किया जाना है। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश में 19 जिले मॉक ड्रिल के लिए चिह्रित किए गए थे। इनमें एक जिला कैटेगरी ए, दो जिले कैटेगरी सी और बाकी जिले कैटेगरी सी में रखे गए थे। लेकिन मंगलवार की शाम डीजीपी प्रशांत कुमार ने साफ किया कि संवेदनशीलता के मद्देनजर निर्णय लिया गया है कि यूपी के सभी जिलों में मॉकड्रिल की जाएगी। मॉकड्रिल में सिविल प्रशासन के साथ ही पुलिस प्रशासन, अग्निशमन और डिजास्‍टर रिस्‍पांस फोर्स भी शामिल होगी। मॉक ड्रिल का समय जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित किया जाएगा। ब्‍लैक आउट से कुछ मिनट पहले सायरन बजाया जाएगा।

मंगलवार को लखनऊ और प्रयागराज में पुलिस लाइन के सभागार में मॉकड्रिल का रिहर्सल किया गया। गृह मंत्रालय की ओर से मॉक ड्रिल के लिए चिन्ह्रित जिलों में बुलंदशहर को ए श्रेणी में रखा गया है।

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कौन सा शहर किस श्रेणी में?

मॉक ड्रिल के लिए जिलों को सामरिक, रणनीतिक लिहाज से तीन श्रेणियों सबसे संवेदनशील, मध्यम संवेदनशील और कम संवेदनशील में बांटा गया है। दिल्ली और बुलंदशहर श्रेणी-ए (सबसे संवेदनशील) में हैं। वहीं, श्रेणी-बी में यूपी के लखनऊ, झांसी, कानपुर, प्रयागराज,गोरखपुर, बरेली जिलों के अलावा अन्य शहर शामिल हैं। श्रेणी-सी में उत्तर प्रदेश के बागपत, मुजफ्फरनगर जिले शामिल किए गए हैं।

आज का अभ्यास क्यों महत्वपूर्ण है?

- बुधवार को होने वाली मॉक ड्रिल का उद्देश्य युद्ध जैसे हालात में भारत की नागरिक तैयारियों का परीक्षण करना है। केंद्र, राज्य और जिला अधिकारियों के बीच समन्वय में सुधार करना भी है।

कितने बजे से शुरू होगी मॉक ड्रिल?

-यूपी के अधिकांश शहरों में शाम चार बजे से अभ्यास होगा।

-लखनऊ में शाम 6:59 सायरन बजेगा, इसके बाद 15 मिनट तक ब्लैक आउट रहेगा।

मॉक ड्रिल के दौरान क्या- क्या होगा?

- हवाई हमले की चेतावनी के लिए सायरन गूंजेंगे। लोगों को सुरक्षित स्थान जैसे बंकर या मजबूत इमारतों में जाने का अभ्यास कराया जाएगा

- प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण दिया जाएगा। स्कूलों, कॉलेजों में विशेष सत्र आयोजित होंगे

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मॉकड्रिल से जुड़ी दस बातें…

1. हवाई हमलों को लेकर लोगों को सतर्क करने के तौर तरीकों का आकलन होता है

2. सायरन के जरिए लोगों को चेताया जाता है, आवाज की गुणवत्ता को मापा जाता है

3. लोगों को आपात स्थिति से निपटने के लिए विशेष तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है

4. सिविल और वायुसेना के अधिकारी हॉटलाइन और रेडियो लिंक से संपर्क साधते हैं

5. अधिकारी नियंत्रण कक्ष की क्षमता और उसकी तत्परता का आकलन भी करते हैं

6. बंधक होने से बचने के लिए बच्चों- छात्रों को विशेष तरह से तैयार किया जाता है

7. एयरफिल्ड, रिफाइनरी, रेल यार्ड और न्यूक्लियर प्लांट की सुरक्षा भी बढ़ाई जाती है

8. अग्निशमन यंत्रों को परखा जाएगा, जरूरतमंद को चलाना भी सिखाया जाएगा

9. आपात स्थिति में लोगों के सुरक्षित स्थानों तक पहुंचने के तौर तरीकों का मूल्यांकन

10. हर व्यक्ति आपात स्थिति में एक-दूसरे की चिकित्सकीय मदद करेगा

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मॉक ड्रिल से जुड़े दस सवाल और जवाब… को ऐसे समझें

क्या होता है ब्लैक आउट

मॉक ड्रिल के दौरान ब्लैकआउट किया जाएगा। ब्लैक आउट का उद्देश्य रात में हर तरफ अंधेरा करना होता है जिससे युद्ध के हालात में दुश्मन को रिहाइशी क्षेत्रों की भनक नहीं लगे।

मॉक ड्रिल क्यों की जाती है?

यह आपात स्थिति से निपटने की तैयारी होती है। इसके तहत हर व्यक्ति एक दूसरे की मदद की भावना से मैदान में उतरता है। कई चुनौतियां से निपटने को इस तरह की मॉक ड्रिल अलग-अलग देशों में होती है।

क्या सबको हिस्सा लेना जरूरी?

संवेदनशील जिलों में जिला प्रशासन की निगरानी में मॉक ड्रिल होगी। इसमें सिविल डिफेंस वार्डेन, होम गार्ड, नेशनल कैडेट कॉर्प्स, राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़े लोग के साथ हर उम्र के नागरिक इसमें शामिल होंगे।

ड्रिल के दौरान क्या करें?

मॉक ड्रिल में खतरे से निपटने की तैयारियों का मूल्यांकन होता है। इसमें किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। हर व्यक्ति को सावधानी व संयम से आगे की रणनीति पर काम करना होता है, इसमें अपनी और दूसरों की सुरक्षा अहम होती है।

आपात स्थिति से अंतर ?

मॉक ड्रिल की जानकारी आमजनों को पहले ही दी जाती है। इसमें सायरन या चेतावनी संकेतों के साथ घोषणाएं की जाती हैं। आपात स्थिति में अचानक किसी संकट की सूचना मिल सकती है। सिर्फ विश्वसनीय सूत्रों की सूचना पर ही विश्वास करें।

सोलर लाइट लगी है तो क्या करें?

सौर ऊर्जा से चलने वाली लाइटों में ऑन-ऑफ का सिस्टम नहीं होता है। जैसे ही अंधेरा होता है ये जल उठती है। ऐसे में इसको बंद करने के लिए सौर प्लेट और लाइट के बीच लगे तार को अलग कर दीजिए।

सायरन का संदेश कैसे समझें?

सायरन लंबा बजता है तो ये अलर्ट है, सायरन थोड़ी देर के लिए बजता है और बंद हो जाता है। मतलब की सब सामान्य और सुरक्षित है। छोटे सायरन के बाद लोगों को सुरक्षित स्थानों की तरफ बढ़ना चाहिए। हां ध्यान रखना है जल्दबाजी में किसी खतरे भरी जगह का चयन न हाे।

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ब्‍लैक आउट की तैयारी कैसे करें?

घर की खिड़कियों पर ऐसे पर्दे लगाएं जिससे भीतर की रोशनी बाहर न जाए। ब्‍लैक आउट में लाइट, टीवी और अन्‍य उपकरण जिससे रोशन हो उसका इस्‍तेमाल बिल्‍कुल भी न करें।

क्‍या सावधानी बरतनी होगी?

ड्रिल से जुड़ी तस्‍वीरें या वीडियो सोशल मीडिया पर साझा न करें। किसी स्‍थान को प्रतिबंधित किया गया है तो वहां जाने की कोशिश न करें। फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी न करें।

क्या हमारी सुरक्षा कोई और करेगा?

बच्चों को छिपने और बचाव का गुर सिखाएं। महिलाओं और बच्चों का विशेष ख्याल रखें। आपात स्थिति में सुरक्षित स्थान तक पहुंचने के लिए खुद कोशिश करें, दूसरों का इंतजार न करें।

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