संतान की दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा व्रत
Kausambi News - जिले में सकट चौथ (संकष्टी चतुर्थी) का पर्व शुक्रवार को पूरे श्रद्धा के साथ मनाया गया। माताओं ने दिनभर व्रत रखा और रात में भगवान गणेश, शिव और पार्वती की पूजा की। चंद्रदेव को अर्घ्य देकर संतान की...
जिले में सकट चौथ (संकष्टी चतुर्थी) का पर्व शुक्रवार को परंपरागत तरीके से मनाया गया। दिनभर व्रत रखने के बाद रात में माताओं ने संतान की दीर्घायु के लिए भगवान गणेश, शिव व पार्वती की विधिवत उपासना की। चंद्रदेव को अर्घ्य दिया। तिल-गुड़ का प्रतीकात्मक पहाड़ बनाकर थाली में सजाया। फिर फलाहार ग्रहण कर व्रत तोड़ा। माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चौथ (संकष्टी चतुर्थी) के नाम से भी जाना जाता है। इसे तिलकुटा चौथ, संकटा चौथ, माघी चतुर्थी आदि भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो महिलाएं निर्जला व्रत रखते हुए रात में चंद्र दर्शन कर भगवान गणेश, शिव व पार्वती की पूजा कर अर्घ्य देती हैं, उनकी संतान के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
शुक्रवार को मंझनपुर, सिराथू, अजुहा, करारी, भरवारी, सरायअकिल, पश्चिम शरीरा, चरवा समेत जिलेभर में सकट चौथ का त्योहार पूरी आस्था और विश्वास के साथ मनाया गया। माताओं ने सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर शुभ मुहूर्त में व्रत का संकल्प लिया। इसके बाद रात को चंद्रोदय के समय थाली में तिल, गुड़, रामदाना, सिंघाड़ा, गन्ना, अमरूद, शकरकंद, बैंगन रखकर विधिवत पूजन किया। गाय के दूध से चंद्रमा को अर्घ्य दिया। पुत्रों की दीर्घायु की कामना की। इसके बाद ही फलाहार ग्रहण किया।
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