कलश यात्रा के साथ हुई भागवत कथा
सरायअकिल के हनुमान मंदिर में मंगलवार को श्रीमद भागवत कथा का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ हुआ। कथा वाचक सर्वेश प्रपन्नाचार्य के नेतृत्व में महिला श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या शामिल हुई। कलश यात्रा यज्ञ स्थल...
सरायअकिल, हिन्दुस्तान संवाद। सरायअकिल के हनुमान मंदिर में श्रीमद भागवत कथा का शुभारंभ मंगलवार को कलश यात्रा के साथ हुआ। कथा वाचक सर्वेश प्रपन्नाचार्य के नेतृत्व में शुरू हुई कलश यात्रा में बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु शामिल रहीं। डीजे की धुन में कलश यात्रा कस्बे के प्रमुख स्थलों से होते हुए यज्ञ स्थल पर समाप्त हुई।
कथावाचक ने कहा कि कलश यात्रा के साथ ही श्रीमद्भागवत कथा की शुरुआत की जाती है। कलश यात्रा निकालने के पीछे की वजह हैं। कलश में सारे देवता विराजमान होते हैं। कलश को महिलाओं के सिर पर रखकर भ्रमण करने से धरा सिद्ध होती है। जो भी भक्त कलश को धारण करता है उसकी आत्मा पवित्र हो जाती है। कलश यात्रा में तीनों देव ब्रम्हा, विष्णु व महेश के साथ-साथ 33 कोटि देवी देवता स्वयं कलश में विराजमान होते हैं। इसके बाद श्रीमद् भागवत कथा के महत्व से श्रोताओं को रूबरू कराया कहा कि जहां संत कुमारों ने भागवत का प्रवचन करते हुए नारद के मन का संशय दूर किया। इसी कथा को धुंधकारी प्रेत ने अपने अग्रज से श्रवण किया और प्रेत योनि से मुक्ति पाकर विष्णु लोक को प्राप्त हुए। कथा व्यास ने कहा कि भगवत श्रवण से जीव के सभी पाप मिट जाते हैं। इस मौके पर मुख्य यजमान मुन्नी देवी एवं कार्यक्रम के अयोजक अशोक केशरवानी, अश्वनी कुमार, अनिल केशरवानी आदि लोग मौजूद रहे।
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