लोकतंत्र में जगी आस्था तो अपने बन गए ‘श्रवण कुमार
जिले के बुजुर्ग मतदाताओं ने लोकतंत्र के महापर्व पर अपनी आस्था का इजहार किया। कोई चल-फिर नहीं सकता था तो कोई बिना किसी सहारे के हिल भी नहीं सकता था।...
मंझनपुर। हिन्दुस्तान टीम
जिले के बुजुर्ग मतदाताओं ने लोकतंत्र के महापर्व पर अपनी आस्था का इजहार किया। कोई चल-फिर नहीं सकता था तो कोई बिना किसी सहारे के हिल भी नहीं सकता था। इसके बावजूद मतदान करने का हौसला दिखाया तो अपने श्रवण कुमार बनकर सामने आ गए। दोआबा के तमाम बूथों पर ऐसे बुजुर्ग दिखाई दिए जो साइकिल, गोद, व्हीलचेयर अथवा कंधों के सहारे वोट डालने आए थे।
कौशाम्बी विकास खंड क्षेत्र के हिसामपुर माढ़ो का फूलचंद्र दिव्यांगता की वजह से चंद कदम चलने में भी असमर्थ है। गुरुवार को वोट डालने पोलिंग बूथ जाने के लिए वह चारों ओर टकटकी लगाए देख रहा था। तभी परिवार के ही एक युवक ने उसका दर्द समझा। वह उसको गोद में उठाकर वोट डालवाने ले गया। मताधिकार का प्रयोग करने के बाद फूलचंद्र की खुशी का ठिकाना नहीं था। इसी तरह कड़ा के अलीपुरजीता की वृद्धा शबाना बीबी के लिए उनका बेटा रेहान श्रवण बना। रेहान ही शबाना को कंधों का सहारा देकर वोट डलवाने लेकर गया था। कइमा में बुजुर्ग राजाराम को भी उनके परिवार का एक युवक गोद में उठाकर वोट डलवाने ले गया। राला निवासी 95 वर्षीय इंद्रपाल चौरसिया, भंदवा निवासी 90 साल की मखनी देवी, तिल्हापुर में 90 वर्ष की रामदेई देवी आदि भी अपने बूथों पर श्रवण बने अपनों के सहारे मताधिकार का प्रयोग करने पहुंचे। इन बुजुर्गों का उत्साह देख हर किसी का मन गदगद हो उठा।
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